motivational hindi Story-1
inspirational stories in hindi for success
घनश्याम काका डाक विभाग में एक कर्मचारी थे।
बरसों से वे सीतापुर और आस पास के गाँव में चिट्ठियां बांटने का काम करते थे।
एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली, पता सीतापुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी।
हररोज की तरह आज भी उन्होंने अपना बैग उठाया और चिट्ठियां बांटने निकलपड़े।
सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पते की ओर बढ़ने लगे।
दरवाजे पर पहुँच कर उन्होंने आवाज़ दी, “पोस्टमैन!”
अन्दर से किसी लड़की की आवाज़ आई, “काका, वहीं दरवाजे के नीचे से चिट्ठी डाल दीजिये।”
“अजीब लड़की है मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूँ और ये महारानी दरवाजे तक भी नहीं निकल सकतीं !”, काका ने मन ही मन सोचा।
“बहार आइये! रजिस्ट्री आई है, हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी!”, काका खीजते हुए बोले।
“अभी आई।”, अन्दर से आवाज़ आई।
काका इंतज़ार करने लगे, पर जब दो मिनट बाद भी कोई आवाज़ नहीं आयी तो उनके धीरज का बाँध टूटने लगा।
“ये एक काम नहीं है मेरे पास, जल्दी कर और भी चिट्ठियां पहुंचानी है”, और ऐसा कहकर काका दरवाज़ाजोर जोर से पीटने लगे।
कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला।
सामने का दृश्य देख कर काका चौंक गए।
एक बारह- तेरह साल की लड़की थी जिसके दोनों पैर कटे हुए थे।
लेकिन अब उन्हें अपनी अधीरता पर शर्मिंदगी हो रही थी।
लड़की बोली, “क्षमा कीजियेगा मैंने आने में देर लगा दी, बताइए हस्ताक्षर कहाँ करने हैं?”
काका ने हस्ताक्षर कराये और वहां से चले गए।
इस घटना के आठ-दस दिन बाद काका को फिर उसी पते की चिट्ठी मिली।
इस बार भी सब जगह चिट्ठियां पहुँचाने के बाद वे उस घर के सामने पहुंचे!
“चिट्ठी आई है, हस्ताक्षर की भी ज़रूरत नहीं है…नीचे से डाल दूँ।”, काका बोले।
“नहीं-नहीं, रुकिए मैं अभी आई।”, लड़की भीतर से चिल्लाई।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला।
लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था।
“काका लाइए मेरी चिट्ठी और लीजिये अपना तोहफ़ा।”, लड़की मुस्कुराते हुए बोली।
“इसकी क्या ज़रूरत है बेटा”, काका संकोच से उपहार लेते हुए बोले।
लड़की बोली, “बस ऐसे ही काका…आप इसे ले जाइए और घर जा कर ही खोलियेगा!”
काका डिब्बा लेकर घर की और बढ़ चले, उन्हें समझ नहीं आर रहा था कि डिब्बे में क्या होगा!
घर पहुँचते ही उन्होंने डिब्बा खोला, और तोहफ़ा देखते ही उनकी आँखों से आंसू टपकने लगे।
डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थीं।
काका फटी हुई चप्पलें पहने ही चिट्ठियां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था।
ये उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफ़ा था…काका चप्पलें कलेजे से लगा कर रोने लगे;
उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था- बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दीं पर वे उसे पैर कहाँ से लाकर देंगे?
दोस्तों, संवेदनशीलता मनुष्यका एक बहुत बड़ा मानवीय गुण है।
दूसरों के दुखों को अपना दुख समजकर महसूस करना और उसे कम करने का निस्वार्थ प्रयास करना एक महान कार्य है।
जिस बच्ची के खुद के पैर न हों उसकी दूसरों के पैरों के प्रति संवेदनशीलता हमें एक बहुत बड़ा सन्देश देती है।
आइये हम भी अपने समाज, अपने आस-पड़ोस, अपने यार-मित्रों-अजनबियों सभी के प्रति संवेदनशील बनें…आइये हम भी किसी के नंगे पाँव की चप्पलें बनें और दुःख से भरी इस दुनिया में कुछ खुशियाँ
फैलाएं!
ऐसे में राज कपूर के फिल्म की दिल को छू जाने वाली कुछ पंक्तियां याद आती है।
inspirational stories in hindi for success
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है| Motivational story in hindi for success-part 1
inspirational hindi Story-2
एक समय की बात है।एक रेलवे स्टेशन पर कोई एक भिखारी पेँसिलोँ से भरा एक कटोरा लेकर बैठा था।
एक युवा आदमी उधर से निकला और उसनेँ कटोरे मेँ कुछ रूपये डाल दिए, लेकिन उसनेँ कोई पेँसिल नहीँ ली।
बादमें वह ट्रेन मेँ बैठ गया। ट्रेन के डिब्बे का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि वह युवा आदमी अचानक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास आया और कुछ पेँसिल उठा कर बोला,
“मैँ कुछ पेँसिल लूँगा। इन पेँसिलोँ की कीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैँ भी।” उसके बाद वह युवा तेजी से ट्रेन मेँ चढ़ गया।
कुछ वर्षों बाद, वह युवा आदमी एक पार्टी मेँ गया। वह भिखारी भी वहाँ मौजूद था। भिखारी नेँ उस युवा आदमी को देखते ही
पहचान लिया, वह उसके पास जाकर बोला-” आप शायद मुझे नहीँ पहचान सकोगे, लेकिन मैँ आपको पहचानता हूँ।”
उसके बाद उसनेँ उसके साथ घटी उस घटना का जिक्र किया। युवा आदमी नेँ कहा-” तुम्हारे याद दिलानेँ पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख मांग रहे थे। लेकिन तुम यहाँ सूट और टाई मेँ ?”
भिखारी नेँ जवाब दिया, ” आपको शायद मालूम नहीँ है कि आपनेँ मेरे लिए उस दिन क्या किया।
मुझ पर दया करने के बदले मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आये। आपनेँ कटोरे से पेँसिल उठाकर कहा, ‘इनकी कीमत है, आखिरकार तुम भी एक व्यापारी हो और मैँ भी।’
आप जब वहासे गए बादमें मैंने बहूत सोचा, मैँ यहाँ क्या काम कर रहा हूँ?
मैँ एैसे भीख क्योँ माँग रहा हूँ? मैनेँ अपनीँ जिँदगी को दुरुस्त करने के लिये कुछ सही काम करनेँ का फैसला लिया। मैनेँ अपना थैला उठाया और घूम-घूम कर पेंसिल बेचने लगा ।
फिर धीरे -धीरे मेरा व्यापार बढ़ता गया , मैं पेन – किताबे और अन्य चीजें भी बेचने लगा और आज पूरे शहर में मैं इन चीजों का सबसे बड़ा थोक विक्रेता हूँ।
मेरा सम्मान लौटानेँ के लिये मैँ आपका पूरे दिल से धन्यवाद देता हूँ क्योँकि उस घटना नेँ आज मेरा जीवन पूरे का पूरा ही बदल दिया ।”
दोस्तो, आपका अपनेँ बारे मेँ क्या ख्याल है?
अपने खुद के लिये आप क्या राय रख रहे हैँ? क्या आप अपनेँ आपको ठीक तरह से पहचान पाते हैँ?
इन सारी चीजोँ को ही हम अप्रत्यक्ष रूप से आत्मसम्मान कहते हैँ।
दुसरे लोग हमारे बारे मेँ क्या सोचते हैँ ये बाते उतनी मायनेँ नहीँ रखती या कहेँ तो कुछ भी मायनेँ नहीँ रखती लेकिन आप अपनेँ बारे मेँ क्या राय रखते हैँ, क्या सोचते हैँ ये बात बहूत ही ज्यादा मायनेँ रखती है।
लेकिन एक बात निश्चित है कि हम अपनेँ बारे मेँ जो भी सोँचते हैँ,
उसका एहसास जानेँ अनजानेँ मेँ दुसरोँ को भी करा ही देते हैँ और इसमेँ कोई भी शक नहीँ कि इसी कारण की वजह से दूसरे लोग भी हमारे साथ उसी रूप से पेश आते हैँ।
inspirational stories in hindi for success
ध्यान रहे कि आत्म-सम्मान की वजह से ही हमारे अंदर प्रेरणा पैदा होती है या कहेँ की हम स्व्यंप्रेरित होते हैँ।
इसलिए आवश्यक है कि हम अपनेँ बारे मेँ एक श्रेष्ठ राय बनाएं और आत्मसम्मान से पूर्ण जीवन व्यतीत करे।
साथी न कारवां है
ये तेरा इम्तिहां है
यूँ ही चला चल दिल के सहारे
करती है मंज़िल तुझको इशारे
देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के
ओ राही, ओ राही…रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही inspirational stories in hindi for success
Inspirational short stories about life in hindi-part 2
inspiring hindi Stoty-3
किसी शहर के होटल का एक कमरा ..
विवाह की बात चल रही है
लडका-लडकी को एक दूसरे को समजने के लिये अकेला छोड दिया गया है!
बिना समय खोए लडके ने प्रारंभ कर दिया है।
मेरा परिवार मेरे लिये सर्वस्व है
माँ को एक ऐसी लड़की चाहिये
जो पढी लिखी हो
घर के काम में काबिल हो
संस्कार पूर्ण हो
सबका अच्छी तराह से ख्याल रखे।
उनके बेटे के साथ कदम से कदम मिलाकर चले !
हमारा परिवार पुराने ख्यालात का तो हरगिज नहीं पर ये जरूर चाहता है
कि ऐसा कोई हो जो हमारे रीति रिवाज को अपना ले और उसका सम्मान करे।
परिवार की महिलायें ‘चश्मा’ नहीं लगातीं हैं!
इश्वर कृपा से हमारे पास सब कुछ है
हमें आपसे कुछ अपेक्षा नही।
बस लडकी घर को जोडकर रखने वाली चाहिये!
मेरी कोई खास पसंद नहीं है
बस मुझे समझने वाली चाहिये
थोडा बहुत देश-समाज की भी जानकारी रखती हो
हाँ जरा लम्बे बाल और साडी वाली लडकियाँ मुझे अच्छी लगतीं हैं!
आपकी कोई इच्छा हो तो कहिए!!!
बहुत देर से मौन बैठी लडकी ने लाज का घूँघट हटाकर
स्वाभिमान की चूनर सिर पर रख ली है!
पूरे विश्वास से बोलना शुरू कर दिया है
मेरा परिवार मेरी शक्ति है!
पिताजी को दामाद के रूप में ऐसा लड़का चाहिये
जो उनके हर सुख दुख में ‘बिना अहसान’ उनके साथ खडा रहे
बेटी के साथ घर के काम में कुछ मदद भी करे
जिसे अपनी माँ और पत्नी के बीच ‘पुल’ बनना आता हो
और जो उनकी बेटी को अपने परिवार की ‘केयर टेकर’ बनाकर न ले जाये !
जीवनसाथी से ज्यादा उम्मीद तो नहीं
लेकिन ऐसा कोई जो अपनी पत्नी को परिवार में सम्मान दिला पाये
‘पठानी सूट’ में बिना मूँछ-दाढी वाले लडके पसंद हैं!
अपने ‘स्पैक्ट्स’ को खुद से भी ज्यादा प्यार करती हूँ!
‘सरनेम’ बदलना या न बदलना अपने अधिकार क्षेत्र में रखना चाहूँगी
आप और हम पढे लिखे हैं
तो विवाह का खर्च आधा आधा दोनों परिवार उठायें
देश के विकास में ये भी एक पहल होनी चाहिये !
और हाँ…..
हर बात सिर झुकाकर मानते रहना संस्कारी होने की निशानी नहीं है!
लडका भौचक्का हो गया है!!!
लडकी कमरा छोडकर जा चुकी है
चारों तरफ सन्नाटा फैल गया है !
थोड़े दूर सभ्यता का तराजू मंद मंद मुस्कुरा रहा है। अब सदियों बाद उसके दोनों पलडे बराबर आ गये हैं!! जब दोनों गाड़ी के पहियों के बिना गाड़ी ना चल सकेगी तो एक पहिये को कम क्यों आंका जाए।!! inspiring stories in hindi for success-part 3
inspirational stories in hindi for success
life changing hindi Story-4
जिंदगी का बहोत बड़ा सबक दे जाती है ये कहानी ….
जीवन के बीस साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की तलाश। ये नहीं वो, दूर नहीं पास ।
ऐसा करते करते दो तीन नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।
फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल।
दो तीन साल और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र पच्चीस हो गयी।
और फिर विवाह हो गया। जीवन की आम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक दो साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे ।
हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही बीत गए।
और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा।
अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।
समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही ना चला।
इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।
बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में ।
घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता।
उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी अपने आप को।
इतने में मैं पैतीस का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो क्या है समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।
इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया।
उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब दसवीं आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।
एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा ” अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो।
चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।”
उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि “तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।”
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।
तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।
बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।
उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।
दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।
अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।
एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।
उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।
मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी।
मैंने उसे आवाज दी “चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं “
वो तुरंत बोली ” अभी आई”।
मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए ।
अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!
उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी “बोलो क्या बोल रहे थे?”
लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।
क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
” क्या करू ? “
उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी।
धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।
मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
“चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?” बोलो !!
ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!……
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली।
मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।
क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??
सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो ।
जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।……
inspirational stories in hindi for success
Story -5
एक समय की बात है।
सभी देवताओं में एक चर्चा हो रहो थी, चर्चा इस बात पर थी कि मानव की हर आकांक्षाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी परम शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये।
सभी देवताओं में इस पर बहुत बहस हुई। एक देवता ने अपना मंतव्य रखा और कहा कि इसे हम एक घने जंगल की गुफा में रख देतेतो बहोत अच्छा होगा।
दूसरे देवता ने असहमति जताते हुवे कहा
अरे नहीं हम इसे एक पर्वत की टोच पर छिपा देंगे।
उस देवता ने अभी उसकी बात ठीक पूरी भी नहीं की थी कि कोई कहने लगा , “न तो हम इसे कहीं गुफा में छिपाएंगे और न ही इसे पर्वत की टोच पर हम इसे समुद्र की गहराइयों में छिपा देते हैं
यही जगह इसके लिए सबसे अनुकूल रहेगी ।”
सभी के मंतव्य समाप्त हो जाने के बाद एक बुद्धिमान देवता ने कहा क्यों न हम मनुष्य की चमत्कारिक शक्तियों को मानव -मन की गहराइयों में छिपा दें।
क्यूंकि बचपन से ही उसका मन इधर -उधर दौड़ता रहता है, मनुष्य कभी सोचभी नहीं सकेगा कि ऐसी अदभुत और अद्वितीय शक्तियां उसके भीतर भी छिपी हो सकती हैं ।
मानव इन्हें बाह्य जगत में खोजता रहेगा इसलिए इन विलक्षण शक्तियों को हम उसके मन की निचली तह में छिपा देंगे।
बाकी सब देवता भी इस सुझाव पर सहमत हो गए। और ऐसा ही किया गया , मानव के अंदर ही चमत्कारी शक्तियों का भण्डार छुपा दिया गया,
बहोत कम लोगों को पता है कि मानव मन में अद्भुत शक्तियां छिपी हैं।
मित्रो, ये कहानी का मतलब यह है कि मनुष्य का मन असीम ऊर्जा का स्त्रोत है।
मानव जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी अशकय नहीं है।
किंतु बड़े अफसोस की बात है उसे खुद ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां बिराजमान हैं।
इसलिए अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों को पहचानिये, उन्हें पहाड़ों में, गुफामें या समुद्र में मत ढूंढिए बल्कि अपने भीतर खोजिए और अपनी शक्तियों को निखारिए।
हथेलियों से अपनी आँखों को बंध करके अंधकार होने की शिकायत मत कीजिये। आँखें खोलिए ,
अपने अंदर झांकिए और अपनी असीम शक्तियों का उपयोग कर जिंदगी का हर एक सपना पूरा कर दीजिए।
Motivational story in hindi about life part-4
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