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  • Inspirational Success Story In Hindi -6

    Inspirational Success Story In Hindi -6

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    Inspirational Success Story In Hindi

    कई साल पहले की बात है काफी खुशहाल एक राज्य था।  

    जहाँ के राजा हो या प्रजा दोनों बहुत ही खुश थे। ये राज्य हर दिन   प्रगति कर रहा था।

    राज्यमे कोई छोटा सा कृषिकार हो या बड़ा व्यापारी सभी अपने काम काज में मस्त थे।

     

    इस खुशहाल राज्य के राजा को बाज पक्षियों को पालने का अनोखा शौक था

     अपने विश्वासपात्र मंत्री को आदेश देकर दो बाज पक्षी लाने को कहा।

    राजा का  आदेश पाकर मंत्री पडोस के दूसरे राज्य में गया और वहां से दो बहुत ही सुन्दर बाज पक्षी को खरीदकर एक पिंजड़े में ले आया।

    एैसे सुंदर बाज पक्षियों को पाकर राजा काफी प्रसन्न हुआ और दोनों को आहिस्ता से पिंजड़े से बाहर निकाला।

    जिसमे से एक बाज पक्षी ने ऊँची उड़ान भरी क्योकि बाज पक्षी अपनी ऊँची उड़ान के लिए जाना जाता है और दूसरी तरफ दूसरा बाज पक्षी पास ही के एक वृक्ष की एक डाल पर जा बैठा।

    दूसरे दिन फिरसे उन दो बाज पक्षियों में से एक ने बहुत ऊँची उड़ान भरी और फिर से राजा के महल में वापिस आ गया लेकिन दूसरा बाज अपनी जगह से हिला तक नहीं।

    अब तीसरे दिन भी ऐसा ही हुआ की पहला बाज पक्षी ऊँची उड़ान भर कर वापिस आ गया लेकिन  दूसरा फिरसे अपने स्थान से हिला तक नहीं।

     

    अब राजा बहोत उलझन में पड़ गया ये क्या हो रहा है कुछ समज में नहीं आ रहा।

    राजा ने  मंत्री को फिरसे हुक्म दिया की जाओ किसी वैद्य या पक्षी विशेषज्ञ को बुलाकर लाओ। आदेश पाकर मंत्री अपने राज्य और पडोसी राज्य से बहुत सारे जानकार व्यक्तियो को लेकर वापिस  आया।

    सभी जानकार लोगो ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, कोई जंतर मंतर करता तो कोई झाड़ फूंक लेकिन कोई भी उस बाज पक्षी को वहा से हिलाने में सफल नहीं हुआ।

    अब राजा बहुत ज्यादा परेशान हो गए उसने राज्य में इनाम की घोषणा करा दी  थी की अगर कोई व्यक्ति दूसरे बाज को उड़ाने में सफल हुआ तो उसे सौ सोने की अशर्फिया दी जायेगी।

     

    ये  खबर जब  मुरली नाम के एक साधारण से लक्कड़हारे को पड़ी तो मुरली राजा के  महल में आया और राजा से अनुमति लेने लगा।

    राजा ने शंका भरी नजरो से देखा और उस लक्कड़हारे को आदेश दिया। अब मुरली ने अपना काम शुरू कर दीया।

    कुछ  देर बाद राजा भी ये  देखकर विस्मित हो गए की वह दूसरा बाज भी बहुत ही ऊँची उड़ान भरने लगा।

    पहले वाले बाज से भी कंही  ज्यादा ऊंची।

    राजा बहुत आश्चर्यचकित हुए की बड़े बड़े विद्वान जो ना कर सके ये काम इस साधारण से दिखने वाले लक्कड़हारे ने कैसे कर दिया।

    जब राजा ने उस लक्कड़हारे से पूछा की ये कैसे मुमकिन हुवा?

    तब मुरली ने अपने चहरे पर एक मुस्कान लाते हुए कहा की

    “राजाजी,यह तो बहुत ही सरल काम था ।

    सबसे पहले मैंने बाज को देखकर ये पता लगाया की ये उड़ क्यों नहीं रहा है।

    पेड़ की जिस डाल पर वह बैठा हुआ था वो डाल ही मैंने काट दी और अब बाज पक्षी के बैठने की जगह ना बची तो कोई विकल्प ना रहने पर वह उड़ने लगा।

    राजा ने उसे 100 सोने कि अशर्फिया दी और मुरली ख़ुशी ख़ुशी अपने घर  गया।



    इस कहानी का सार या  मतलब ये था की एक बाज जो की अपनी ऊँची उड़ान भरने के लिए जाना जाता है किन्तु पेड़ की एक डाल का मोहताज होने के कारण वह उड़ नहीं पा रहा था।  

     हमारी जिंदगी भी कुछ इसी तरह की है। हम सबके अंदर बहुत ही असीमित सम्भावनाओ का सागर भरा पड़ा है ,

    हम जो चाहे कर सकते है और जो चाहे पा सकते है किन्तु हमारे अंदर भी कुछ चीजों का मोह बैठा हुआ है हम भी कुछ चीजों के मोहताज है।

    इस मोह को ही कम्फर्ट जोन यानि आरामदायक क्षेत्र कहते है।

    ठीक उसी प्रकार जिस तरह वह दूसरा बाज बहुत ही ऊँची उड़ान भर सकता है लेकिन पेड़ की वह डाल को नहीं छोड़ना चाहता है।  

     हम भी अपने कम्फर्ट जोन को नहीं छोड़ पा रहे है इसीलिए सफलता हाथ नहीं लग रही है।

    आपका कम्फर्ट जोन आपका दुश्मन है।

     

    सबसे बड़ी विडंबना यह है कि, जब आप आराम से रहने की कोशिश करते हुए जीवन जीते हैं, तब जीवन आपको अधिक से अधिक असुविधाएं देगा।

     

     

     यह सच है, जीवन में आपको अधिक से अधिक समस्याएं आएंगी

                    जिंदगी तुमको चैलेंज करती रहेगी।

                    जीवन आपको प्रतिरोध, संघर्ष, समस्या देता रहेगा।

     

    क्योंकि लोग आगे बढ़ने और प्रगतिशील होने के बजाय आराम से रहने के बारे में चिंतित हैं, क्योंकि लोग अपनी सीमाओंमें बन्धे है,

    और उनसे आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं।

     

    यदि आप अपने आप को असहज नहीं करते हैं, तो जीवन आपको अपने   कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने के लिए बहुत सारे कारण देगा।

     

    इसलिए आपके पास दो विकल्पों में से एक है।

     

    एक मार्ग आपको सफलता की ओर ले जाता है और दूसरा मार्ग आपको निरंतर संघर्ष और पीड़ा की ओर ले जाता है।

    यह तुम्हारी पसंद है।



    • क्या आपको लगता है कि स्टीव जॉब्स ने Apple बारे में आराम महसूस करना शुरू कर दिया?

     

    • क्या आपको लगता है कि टोप एथलीट उच्च प्रदर्शन के बाद संतुष्ट हैं?

     

    • क्या आपको लगता है कि ऑस्कर विजेता अभिनेताओं ने उच्च उपलब्धि हासिल करने के बाद अपनी महेनत कम कर दी हैं?  नहीं।

    तो आप NETFLIX मैराथन के साथ  अपना समय बर्बाद क्यों कर रहे हैं?

     

    आपको कठोर निर्णय लेने के लिए तैयार होना होगा। लेकिन आप असहज महसूस करने के लिए तैयार हो गए हैं।

     

    अजीब महसूस करना, अस्वीकृति का सामना करना, असफल होना, दबाव महसूस करना।

    आपको उन चीजों का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए, जो आपके आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है।

     

    आपने अपने जीवन को कितनी बार देखा और कहा “यार, अगर मैं केवल इतना जानता कि अब मुझे क्या करना है, तो मैं अपने जीवन को अलग तरह से जीऊंगा”

     

    तो क्या यह संभव नहीं है, कि आप जो जीवन अभी जी रहे हैं, आप अलग तरह से जी रहे होंगे, यदि आपने एक ऐसी जागरूकता विकसित करना शुरू कर दी है जो वर्तमान में आपके पास नहीं है?



    अंदाजा लगाए?  आपके लिए ज्ञान और जागरूकता विकसित करने के लिए एकमात्र तरीका है कि आपको उन चीजों की कोशिश करनी है, जिन्हें आपने अभी तक कोशिश नहीं की है।  

    उन चीजों की कोशिश करनी चाहिए जिन्हें आपने अभी तक नहीं किया है, उन चीजों की कोशिश करनी चाहिए जिन्हें आपने अभी तक नहीं बनाया है, उस जगहों पर जाना चाहिए जहां आप अभी तक नहीं  गयै है।

     

     तुम ऐसे ही  विकसित होगे!

     

    जीवन आपको उन चीजों का अनुभव करने से दूर नहीं होने देता है जिन्हें आपने अभी तक अर्जित नहीं किया है।

     

     

     

    मैं दृढ़ता से सुझाव देता हूं कि आप उन लोगों को कॉल करना शुरू कर दें,  आप उस व्यक्ति से संपर्क करना शुरू कर दें,

    आप ईर्ष्या और लालच से अधिक दया और करुणा का अभ्यास करना शुरू कर दें, ताकि आप अपनी चिंता का सामना कर सकें,

    आपको कठिन अध्ययन करते रेहना चाहिए, आपको सुबह जल्दी जागना शुरू कर देना चाहिए ,

    भले ही आप एक सुबह के व्यक्ति न हों, कि आप अपनी शिथिलता को नष्ट कर दें।

     

    आपको उन चीजों को करना शुरू कर देना चाहिए, जिनके बारे में आप जानते हैं, जो आपको पसंद हैं,

    आपको बहुत समय पहले ये काम शुरू कर देना चाहिए था, क्योंकि आप उन अनुभवों और ज्ञान का निर्माण शुरू कर सकते हैं, जो आपको सफल होने मैं आवश्यक है।

     

    यही मैं आपको सुझाव देता हूं।



    आपके लिए असुविधाजनक होने का समय है, आपके लिए फिर से सपने देखना शुरू करने का समय है,

    और जो आपका हमेशा से था, उसके बाद शुरू करना है, जिनको आपने बहुत लंबे समय तक अनदेखा किया हैं।



    और मैं वादा करता हूं, जब आप अपने आप को असुविधा में धकेलते हैं, तब आपके दोस्त नोटिस करेंगे, आपके सहकर्मी नोटिस कर लेंगे,

    आपका परिवार नोटिस कर  लेगा, LIFE नोटिस करेंगी, जीवन आपको वापस आगे बढ़ने में मदद करेगा।

    जीवन आपको समर्थन देना शुरू कर देगा, और आपके लिए दरवाजे खोल देगा, आपको उन लोगों से मिलवाएगा जो आपको अगले स्तर पर ले जाएंगे,

    लेकिन आपको पहला कदम उठाना होगा! इसलिए कदम उठा लें।

     

    पहला कदम ले लो और अपने जीवन को उज्जवल बनाओ।

     

    खेल के नए स्तरों को आप के लिए प्रकट करो और देखो कि तुम उस व्यक्ति जेसे विकसित होते हो, जिसे तुम हमेशा बनना चाहते हो।



    यह सब आपके कम्फर्ट जोन के बहार आने का इंतजार कर रहे हैं। इससे बहार आ जाओ।आ जाओ यार बहार ज़िन्दगी आपका इन्तजार कर रही है……..

    तो दोस्तो कुछ भी हो अपना कम्फर्ट जोन हमें छोड़ना ही पड़ेगा तो ही जिंदगी में हम जो भी चाहे वो हासिल कर सकते है।

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    Inspirational Success Story In Hindi

    आज  मैं रिक्शे से अपने घर आया .

     

    मैंने उस रिक्शे वाले से पूछा- भाई आपके बच्चे हैं?

    यदि आप बुरा न मानें तो, कुछ  कपड़े मैं उनके लिए

    दे दूँ.. आप उसको  पहनाओगे क्या?

     

    रिक्शेवाले ने कहा – जी साहब,आप इतना प्यार से कहेते हो तो..

     

    मैंने कहा –  मेहरबानी करके आप घर के अंदर आ जाओ

    यहां सोफे पर बैठो

    मैं अभी  कपड़े लेकर आता हूँ ।

     

    जब तक मैं कपड़े लेकर वापस लौटा  वो बाहर ही खड़ा रहा !

    ये देख मैंने उससे  कहा -भाई बैठ जाओ और

    देख लो

    जो कपड़े आपके काम आए….ले लो…

     

    कांपते हुए वो सोफे पर बैठ गया ..शायद उसे बुखार भी था

    इसलिए उसका शरीर थोड़ा कांप रहा था।

    मैंने विनम्रता से कहा -आप को ज्यादा ठण्ड लग रही है तो चाय बना दूँ ..आपको राहत मिलेगी….

    आप पी लो ..

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    ये सुनते ही उसकी आँखो से आंसू बहने लगे

     

    बोला नहीं साहब बहुत टाइम से रिक्शा चला रहा हूँ.. लेकिन

    आजतक ऐसा कोई नहीं मिला जो,इतनी इज़्ज़त दे

    हम जैसे लोगो को!!!..

    और ये जो कपड़े हैं ना जो आप लोग हम जैसे जरूरतमंद को देते हैं हम लोग इसको हररोज़ न पहन कर किसी रिश्तेदार या किसी कि शादी- पार्टी में पहन कर जाते हैं । बहुत ग़रीबी है साहब ।

     

    एक  हफ़्ते बाद घर जाऊंगा तब मेरे  बच्चे ये कपड़े पहनकर बहुत दुआ देंगे साहब ये बात सुनते ही मन बोझिल सा हो गया..

    फ़िर मन में सही खयाल आया…

    मंदिर -मस्जिद में दान करने से तो भला  किसी जरूरतमंद की जरूरत पूरी की जाएँ…

    क्या खबर क्या पता

    क्या ख़ुशी है, गम है क्या

    ले के आँसू जो हँसी दे

    ग़म के बदले जो ख़ुशी दे

    राज़ ये जाना उसी ने

    ज़िन्दगी क्या है ज़िन्दगी

    क्या खबर क्या पता…

    आप सबका  क्या खयाल है?? ?

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    Inspirational Success Story In Hindi

    रिया लव मैरिज कर ने के बाद अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से बोली पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली,

    ये सुनकर पापा काफी गुस्सें में थे, लेकिन वो बहुत समजदार शख्स थे,

    उसने सिर्फ अपनी बेटी से इतना ही कहा, मेरे घर से निकल जाओं, रिया ने कहा अभी लड़के के पास कोई काम नही हैं,

    हमें थोड़े दिन रहने दीजिए हम बाद में चलें जाएगें, पर उसके पापा ने एक नही सुनी और उसे घर के बहार का रास्ता दिखा दिया…….

    कुछ साल निकल गयें, अब रिया के पापा इस दुनिया में नही रहें, और कमनसीबी से जिस लड़के ने रिया से शादी की वो भी उसे धोखा देकर भाग गया,

    रिया की एक लड़की एक लड़का था, रिया खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन का गुजारा हो रहा था………

    रिया को जब ये खबर हुई के अब उसके पापा नही रहें, तो वह मन ही मनमे खुश हुई क्यूकी मुजे घर से निकाल दिया था, भटकने के लिए….

    मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुजे घर नही बुलाया, मैं तो नही जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा रिया ऐसा मत करो, जाने वाला शख्श तो चला गया…..

    अब उनसे दुश्मनी कैसी, सोनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलों हो आती हूं, देखू तो जिन्होने मुजे ठुकराया वो मरने के बाद कैसे सुकून पाता हैं……………

    रिया जब अपने पापा के घर आयी तो सब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहें थें, पर रिया को उनके मरने का कोई दुख नही था, वो तो बस अपने ताऊजी के कहने पर आयी थी,

    अब रिया के पापाकी अंतिमयात्रा शुरू हुई, सब रो रहें थे पर रिया दूर खड़ी हुई थी, जैंसे तैसे सब क्रिया पूरी हुई।

    आज रिया के पापा की तेरहवी थी, उसके ताऊ जी आए और रिया के हाथ में एक खत देते हुये कहा, ये तुम्हारे पापा ने तुम्हें दिया हैं, हो सके तो इसे पढ़ लेना………….

    रात हो चुकी थी सारें मेहमान घर जा चुके थे, रिया ने वो खत निकाला और पढ़ने लगी,

    उसने सबसे पहले लिखा था, मेरी प्यारी गुड़िया मुजे पता हैं, तुम मुजसे नाराज हो, पर मुजको माफ कर देना,

    मैं जानता हूं, तुम्हें मैंने घर से निकाला था, तुम्हारे पास रहने की जगह नही थी, तुम दर_दर की ठोकरे खा रही थी, पर मैं भी उदास था, तुम्हें कैसे बताऊँ,,,,,,

    “याद हैं तुम्हें जब तुम सात साल की थी, तब तुम्हारी माँ हमें छोड़ के चली गयी थी,

    तब तुम कितना रोती थी, डरती थी, मेरे बिना सोती नही थी, रातों को उठकर रोती थी, तब मैं भी सारी रात तुम्हारे साथ जागता था,

    तुम जब स्कूल जाने से डरती थी, तब मैं भी सारा वक्त तुम्हारे स्कूल की खिडकी पर खड़ा होता था, और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी,

    तुम्हें सीने से लगा लेता था, वो कच्चा_पक्का खाना याद हैं, जो तुम्हें पसंद नही आता था, मैं उसे फेंक कर फिर से तुम्हारे लिए नया बनाता था,

    ताकी तुम भूखी ना रहों, याद हैं  जब तुम्हें बुखार आया था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था, अंदर ही अंदर रोता था, पर तुम्हें हंसाता था, की तुम ना रोओ वरना मैं रो पड़ता था,

    वो पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा जब तुम रात भर पढ़ती थी, तो मैं सारी रात तुम्हें चाय बनाकर देता था,

    याद है तुम्हें जब तुम पहली बार कालेज गयी थी, और तुम्हें लड़को ने छेड़ा था, तो मैं तुम्हारे साथ कालेज गया और उन बदतमीज लड़को से भीड गया,

    उम्र हो गयी थी, और मैं कमजोर भी, कुछ चोटे मुजे भी आयी थी, पर हर लड़की की नजर में पापा हीरों होते हैं, इसलिए अपना दर्द सह गया…………….

    “याद हैं तुम्हें वो तुम्हारी पहली जीन्स वो छोटे कपड़े, वो गाड़ी, सारी कालोनी एकतरफ थी की ये सब नही चलेगा, लड़की छोटे कपड़े नही पहनेगी, पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था,

    किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नही दिया, तुम्हारा वो रातों को देर से आना, डिस्को जाना, लड़को के साथ घूमना, इन सब बातों को कभी मैंने गौर नही किया,

    क्यूकि जिस उम्र में थी उस उम्र मे ये सब थोड़ा बहुत होता हैं, ………………….

    पर एक दिन तुम एक अनजान लड़के से शादी कर आयी,

    वो भी उस लड़के से जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी मालूम नही था, तुम्हारा पापा हूं,

    मैंने उस लड़के के बारे मे सब पता किया, उसने ना जाने वासना और पैंसे के लिए कितनी लड़कियों को धोखा दिया, पर तुम तो उस वक्त प्रेम में अंधी थी,

    तुमने एक बार भी मुजसे नही पूछा, और सीधा शादी कर के आ गयी, मेरे कितने अरमान थें, तुम्हें डोली में बिठाऊ, चाँद, तारों की तरह तुम्हें सजाऊ,

    ऐसी धूमधाम से शादी करूँ की लोग बोल पड़े वो देखों शर्माजी जिन्होने अपनी बच्ची को इतने नाजों से अकेले पाला हैं, पर तुमने मेरे सारे ख्वाब तोड़ दियें, “खैर” इन सब बातों का कोई मतलब नही हैं,

    मैंने तो तुम्हारें लिए खत इसलिए छोड़ा है की कुछ बात बता सकूं…………………

    मेरी “गुड़िया” आलमारी में तुम्हारी माँ के गहने और मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदें तो वो सब रखें हैं, तीन चार घर और कुछ जमीन है

    मैंने सब तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर दी हैं, कुछ पैसें बैंक में है तुम बैंक जाकर उसे निकाल लेना,

    “_और आखिरी में बस इतना ही कहूंगा गुडिया काश तुमने मुजे समझा होता मैं तुम्हारा दुश्मन नही था, तुम्हारा पापा था, वो पापा जिसने तुम्हारी माँ के मरने के बाद भी,

     

    दूसरी शादी नही की लोगो के ताने सुने, गालियाँ सुनी, ना जाने कितने रिश्तें ठुकराए पर तुम्हें दूसरी माँ से कष्ट ना हो इसलिए खुद की ख्वाहिशें मार दी…………………..

    अंत में बस इतना ही कहूंगा मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के जोड़े पर घर आयी थी ना,

    तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था, तुम्हारे माँ के मरने के वक्त भी उतना नही रोया जितना उस वक्त और उस दिन से हर दिन रोया इसलिए नही की समाज_जात_परिवार_रिश्तेदार क्या कहेंगें,,,

    इसलिए वो जो मेरी नन्ही सी गुड़िया सु_सु तक करने के लिए, सारी रात मुजे उठाती थी, पर जिसने शादी का इतना बड़ा फैसला लिया पर मुजे एक बार भी बताना सही नही समझा,

    गुड़िया अब तो तुम भी माँ हो औलाद का दर्द खुशी सब क्या होता हैं, वो जब दिल तोड़ते हैं तो कैसा लगता हैं, ईश्वर तुम्हें कभी भी ये दर्द की शक्ल ना दिखाए,

    एक खराब पिता ही समझ के मुजे माफ कर देना मेरी गुड़िया, तुम्हार पापा अच्छा नही था,

    जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया, अब खत यही समाप्त कर रहा हूं, हो सकें तो माफ कर देना, और खत के साथ एक ड्राइंग लगी थी

    जो खुद कभी रिया ने बचपन में बनाई थी, और उसमें लिखा था आई लव यू मेरे पापा मेरे हिरो मैं आपकी हर बात मानूंगी, ………………..

    रिया रो ही रही थी, उतने में उसके ताऊजी आ गयें, रिया ने उन्हें रोते_रोते सब बताया, पर एक बात उसके ताऊजी ने बताई, उसके ताऊजी ने कहा,

    रिया वो जो तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैंसे मैंने नही दियें थें, वो पैंसे तुम्हारे पिताजी ने मुजसे दिलवाए थें,

    क्यूकि औलाद चाहें कितनी भी बुरी, माँ_बाप कभी बुरे नही होतें, औलाद चाहें माँ_बाप को छोड़ दे माँ_बाप मरने के बाद भी अपने बच्चों को दुआ देते हैं,

    दोस्तों रिया के पापा को सुकून मिलेगा या नही मुजे नही पता, पर उस खत को पढ़ने के बाद, शायद सारी जिंदगी, रिया को सुकून नही मिलेंगा …………………

    ______बस इतना ही कहूंगा, आखिर में दोस्तों, लव मैरिज शादी करना कोई गलत बात नही, पर यही अपने माँ_पिताजी की मर्जी शामिल कर लें, पत्थर से पानी निकल जाता हैं,

    वो तो माँ_बाप है ना कब तक नही टूटेंगें अपने बच्चों की खुशी के लिए, हर बाप की एक इच्छा होती हैं अपनी बेटी को अपने हाथों से डोली में विदा करने की हो सकें तो उसे एक सपना मत रहने दीजिए।  

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    Inspirational Success Story In Hindi

    सरिता का रिजर्वेशन जिस कोच में था,

    उसमें सभी लड़के ही थे ।

    टॉयलेट जाने के बहाने सरिता पूरी बोगीमें चक्कर लगा अायी।

    मुश्किल से दो या तीन महिलाएं होंगी ।

    दिल अज्ञात भय से काँप सा गया ।

    सरिता जिंदगीमे पहली बार अकेली सफर कर रही थी,

    तो पहले से ही घबराई हुई थी।

    इसलिए खुद को सहज रखने के लिए चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी ।

    नवयुवकों का ग्रुप जो शायद किसी कैम्प जा रहे थे, के हँसी – मजाक , चुटकुले सरिताकी हिम्मत को और भी तोड़ रहे थे ।

    सरिता के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे – धीरे गुजरने लगी ।

    अचानक सामने के सीट पर बैठे एक लड़के ने कहा —

    ” हेलो , मैं साहिल और आप ? “

     

    भय से पीली पड़ चुकी सरिता ने कहा –” जी मैं ………”

    “कोई बात नहीं , नाम मत बताना ।

     

    ये बताइए कहा जा रहीं हैं आप ?”

     

    सरिता ने धीरे से कहा–“कानपुर”

     

    “क्या कानपुर… ?

    वो तो मेरा नानी -घर है।

    इस रिश्ते से तो आप मेरी बहन लगीं ।

    खुश होते हुए साहिल ने कहा ।

    और फिर साहिल कानपुर की अनगिनत बातें बताता रहा कि उसके नाना जी काफी ख्यातनाम व्यक्ति हैं ,

    उसके दोनों मामा सेना के उच्च अधिकारी हैं और बहोत सारी नई – पुरानी बातें ।

     

    सरिता भी धीरे – धीरे सामान्य होकर उसकी बातों में रूचि लेती गई ।

     

    सरिता रात भर साहिल जैसे भाई के सुरक्षित साए के ख्याल से निश्चिंत सोती रही।

     

    सुबह सरिता  ने कहा – ” लीजिये मेरा पता रख लीजिए , कभी नानी घर आइये तो मुझे जरुर मिलने आइयेगा ।”

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    ” कौन सा नानी घर बहन ?

    वो तो मैंने आपको डरते देखा तो झूठ – मूठ के रिश्ते बनाता रहा ।

    मैं तो पहले कभी कानपुर आया ही नहीं ।”

    “क्या….. ?” — चौंक उठी सरिता ।

     

    “बहन ऐसा नहीं है कि सभी लड़के बुरे ही होते हैं,

    कि किसी अकेली लड़की को देखा नहीं कि उस पर भेड की तरह टूट पड़ें ।

    हमारे बीच  पिता और भाई भी तो  होते हैं ।”

     

    कह कर प्यार से उसके सर पर हाथ रख मुस्कुरा उठा साहिल ।

     

    सरिता साहिल को देखती रही जैसे कि कोई अपना भाई उससे विदा ले रहा हो सरिता की आँखें भीग चुकी थी…

     

    तभी जातेजाते साहिल  ने सरिता से कहा, और हा बहन मेरा नाम साहिल नही विनायक  है….!

     

    काश…. इस जगत मे सब ऐसे हो जाये…

    न कोई ज्यादती ,न अत्याचार , एक भय मुक्त समाज का स्वरूप हमारा देश,हमारा प्रदेश, हमारा शहर, हमारा मुल्क,हमारा गांव

    जहाँ सभी बहन ,बेटियों,खुली हवा में चैन की सांस ले सकें

    निर्भय होकर कहीं भी कभी भी आ जा सके जहाँ पर हर कोई एक दूसरे का मददगार हो….

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    घनश्याम काका डाक विभाग में एक कर्मचारी थे।

    बरसों से वे सीतापुर और आस पास के गाँव में चिट्ठियां बांटने का काम करते थे।

     

    एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली, पता सीतापुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी।

     

    हररोज की तरह आज भी उन्होंने अपना बैग उठाया और चिट्ठियां बांटने निकलपड़े।

    सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पते की ओर बढ़ने लगे।

    दरवाजे पर पहुँच कर उन्होंने आवाज़ दी, “पोस्टमैन!”

     

    अन्दर से किसी लड़की की आवाज़ आई, “काका, वहीं दरवाजे के नीचे से चिट्ठी डाल दीजिये।”

     

    “अजीब लड़की है मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूँ और ये महारानी दरवाजे तक भी नहीं निकल सकतीं !”, काका ने मन ही मन सोचा।

     

    “बहार आइये! रजिस्ट्री आई है, हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी!”, काका खीजते हुए बोले।

     

    “अभी आई।”, अन्दर से आवाज़ आई।

     

    काका इंतज़ार करने लगे, पर जब दो मिनट बाद भी कोई आवाज़ नहीं आयी तो उनके धीरज का बाँध टूटने लगा।

     

    “ये एक काम नहीं है मेरे पास, जल्दी कर और भी चिट्ठियां पहुंचानी है”, और ऐसा कहकर काका दरवाज़ाजोर जोर से पीटने लगे।

     

    कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला।

     

    सामने का दृश्य देख कर काका चौंक गए।

     

    एक बारह- तेरह साल की लड़की थी जिसके दोनों पैर कटे हुए थे।

    लेकिन अब उन्हें अपनी अधीरता पर शर्मिंदगी हो रही थी।

     

    लड़की बोली, “क्षमा कीजियेगा मैंने आने में देर लगा दी, बताइए हस्ताक्षर कहाँ करने हैं?”

     

    काका ने हस्ताक्षर कराये और वहां से चले गए।

     

    इस घटना के आठ-दस दिन बाद काका को फिर उसी पते की चिट्ठी मिली।

    इस बार भी सब जगह चिट्ठियां पहुँचाने के बाद वे उस घर के सामने पहुंचे!

     

    “चिट्ठी आई है, हस्ताक्षर की भी ज़रूरत नहीं है…नीचे से डाल दूँ।”, काका बोले।

     

    “नहीं-नहीं, रुकिए मैं अभी आई।”, लड़की भीतर से चिल्लाई।

     

    कुछ देर बाद दरवाजा खुला।

     

    लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था।

     

    “काका लाइए मेरी चिट्ठी और लीजिये अपना तोहफ़ा।”, लड़की मुस्कुराते हुए बोली।

     

    “इसकी क्या ज़रूरत है बेटा”, काका संकोच से उपहार लेते हुए बोले।

     

    लड़की बोली, “बस ऐसे ही काका…आप इसे ले जाइए और घर जा कर ही खोलियेगा!”

     

    काका डिब्बा लेकर घर की और बढ़ चले, उन्हें समझ नहीं आर रहा था कि डिब्बे में क्या होगा!

     

    घर पहुँचते ही उन्होंने डिब्बा खोला, और तोहफ़ा देखते ही उनकी आँखों से आंसू टपकने लगे।

     

    डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थीं।

    काका फटी हुई चप्पलें पहने ही चिट्ठियां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था।

     

    ये उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफ़ा था…काका चप्पलें कलेजे से लगा कर रोने लगे;

    उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था- बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दीं पर वे उसे पैर कहाँ से लाकर देंगे?

     

    दोस्तों, संवेदनशीलता मनुष्यका एक बहुत बड़ा मानवीय गुण है।

    दूसरों के दुखों को अपना दुख समजकर महसूस करना और उसे कम करने का निस्वार्थ प्रयास करना एक महान कार्य है।

    जिस बच्ची के खुद के पैर न हों उसकी दूसरों के पैरों के प्रति संवेदनशीलता हमें एक बहुत बड़ा सन्देश देती है।

    आइये हम भी अपने समाज, अपने आस-पड़ोस, अपने यार-मित्रों-अजनबियों सभी के प्रति संवेदनशील बनें…आइये हम भी किसी के नंगे पाँव की चप्पलें बनें और दुःख से भरी इस दुनिया में कुछ खुशियाँ

    फैलाएं!

    ऐसे में राज कपूर के फिल्म की दिल को छू जाने वाली कुछ पंक्तियां याद आती है।

    inspirational stories in hindi for success

    किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार

    किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार

    किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार

    जीना इसी का नाम है

    किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार

    किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार

    किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार

    जीना इसी का नाम है|  Motivational story in hindi for success-part 1

     inspirational hindi Story-2

    एक समय की बात है।एक रेलवे स्टेशन पर कोई एक भिखारी पेँसिलोँ से भरा एक कटोरा लेकर बैठा  था।

    एक युवा आदमी उधर से निकला और उसनेँ कटोरे मेँ कुछ रूपये डाल दिए, लेकिन उसनेँ कोई पेँसिल नहीँ ली।  

    बादमें वह ट्रेन मेँ बैठ गया। ट्रेन के डिब्बे का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि वह युवा आदमी अचानक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास आया और कुछ पेँसिल उठा कर बोला,

    “मैँ कुछ पेँसिल लूँगा। इन पेँसिलोँ की कीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैँ भी।” उसके बाद वह युवा तेजी से ट्रेन मेँ चढ़ गया।

     

    कुछ वर्षों बाद, वह युवा आदमी एक पार्टी मेँ गया। वह भिखारी भी वहाँ मौजूद था। भिखारी नेँ उस युवा आदमी को देखते ही

    पहचान लिया, वह उसके पास जाकर बोला-” आप शायद मुझे नहीँ पहचान सकोगे, लेकिन मैँ आपको पहचानता हूँ।”

     

    उसके बाद उसनेँ उसके साथ घटी उस घटना का जिक्र किया। युवा आदमी  नेँ कहा-” तुम्हारे याद दिलानेँ पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख मांग रहे थे। लेकिन तुम यहाँ सूट और टाई मेँ ?”

     

    भिखारी नेँ जवाब दिया, ” आपको शायद मालूम नहीँ है कि आपनेँ मेरे लिए उस दिन क्या किया।

    मुझ पर दया करने के बदले मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आये। आपनेँ कटोरे से पेँसिल उठाकर कहा, ‘इनकी कीमत है, आखिरकार तुम भी एक व्यापारी हो और मैँ भी।’

     

    आप जब वहासे गए बादमें मैंने बहूत सोचा, मैँ यहाँ क्या काम कर रहा हूँ?

    मैँ एैसे भीख क्योँ माँग रहा हूँ? मैनेँ अपनीँ जिँदगी को दुरुस्त करने के लिये कुछ सही काम करनेँ का फैसला लिया। मैनेँ अपना थैला उठाया और घूम-घूम कर पेंसिल बेचने लगा ।

    फिर धीरे -धीरे मेरा व्यापार बढ़ता गया , मैं पेन – किताबे और अन्य चीजें भी बेचने लगा और आज पूरे शहर में मैं इन चीजों का सबसे बड़ा थोक विक्रेता हूँ।

     

    मेरा सम्मान लौटानेँ के लिये मैँ आपका पूरे दिल से धन्यवाद देता हूँ क्योँकि उस घटना नेँ आज मेरा जीवन पूरे का पूरा ही बदल दिया ।”

     

    दोस्तो, आपका अपनेँ बारे मेँ क्या ख्याल है?

    अपने खुद के लिये आप क्या राय रख रहे हैँ? क्या आप अपनेँ आपको ठीक तरह से पहचान पाते हैँ?

    इन सारी चीजोँ को ही हम अप्रत्यक्ष रूप से आत्मसम्मान कहते हैँ।

    दुसरे लोग हमारे बारे मेँ क्या सोचते हैँ ये बाते उतनी मायनेँ नहीँ रखती या कहेँ तो कुछ भी मायनेँ नहीँ रखती लेकिन आप अपनेँ बारे मेँ क्या राय रखते हैँ, क्या सोचते हैँ ये बात बहूत ही ज्यादा मायनेँ रखती है।

    लेकिन एक बात निश्चित है कि हम अपनेँ बारे मेँ जो भी सोँचते हैँ,

    उसका एहसास जानेँ अनजानेँ मेँ दुसरोँ को भी करा ही देते हैँ और इसमेँ कोई भी शक नहीँ कि इसी कारण की वजह से दूसरे लोग भी हमारे साथ उसी रूप से पेश आते हैँ।

    inspirational stories in hindi for success

    ध्यान रहे कि आत्म-सम्मान की वजह से ही हमारे अंदर प्रेरणा पैदा होती है या कहेँ की हम स्व्यंप्रेरित होते हैँ।

    इसलिए आवश्यक है कि हम अपनेँ बारे मेँ एक श्रेष्ठ राय बनाएं और आत्मसम्मान से पूर्ण जीवन व्यतीत करे।

    साथी न कारवां है
    ये तेरा इम्तिहां है
    यूँ ही चला चल दिल के सहारे
    करती है मंज़िल तुझको इशारे
    देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के
    ओ राही, ओ राही…रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
    काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
    ओ राही, ओ राही  inspirational stories in hindi for success

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

     inspiring hindi Stoty-3

    किसी शहर के होटल का एक कमरा ..

     

    विवाह की बात चल रही है

    लडका-लडकी को एक दूसरे को समजने के लिये अकेला छोड दिया गया है!

     

    बिना समय खोए लडके ने प्रारंभ कर दिया है।

    मेरा परिवार मेरे लिये सर्वस्व  है

    माँ को एक ऐसी लड़की चाहिये

    जो पढी लिखी हो

    घर के काम में काबिल हो

    संस्कार पूर्ण हो

    सबका अच्छी तराह से ख्याल रखे।

    उनके बेटे के साथ कदम से कदम मिलाकर चले !

     

    हमारा परिवार पुराने ख्यालात का तो हरगिज नहीं पर ये जरूर चाहता है

    कि ऐसा कोई हो जो हमारे रीति रिवाज को अपना ले और उसका सम्मान करे।

     

    परिवार की महिलायें ‘चश्मा’ नहीं लगातीं हैं!

     

    इश्वर कृपा से हमारे पास सब कुछ है

    हमें आपसे कुछ अपेक्षा नही।

    बस लडकी घर को जोडकर रखने वाली चाहिये!

     

    मेरी कोई खास  पसंद नहीं है

    बस मुझे समझने वाली चाहिये

    थोडा बहुत देश-समाज की भी जानकारी रखती हो

    हाँ जरा लम्बे बाल और साडी वाली लडकियाँ मुझे अच्छी लगतीं हैं!

     

    आपकी कोई इच्छा हो तो कहिए!!!

     

    बहुत देर से मौन बैठी लडकी ने लाज का घूँघट हटाकर

    स्वाभिमान की चूनर सिर पर रख ली है!

     

    पूरे विश्वास से बोलना शुरू कर दिया है

    मेरा परिवार मेरी शक्ति है!

    पिताजी को दामाद के रूप में ऐसा लड़का चाहिये

    जो उनके हर सुख दुख में ‘बिना अहसान’ उनके साथ खडा रहे

    बेटी के साथ घर के काम में कुछ मदद भी करे

    जिसे अपनी माँ और पत्नी के बीच ‘पुल’ बनना आता हो

    और जो उनकी बेटी को अपने परिवार की ‘केयर टेकर’ बनाकर न ले जाये !

     

    जीवनसाथी से ज्यादा उम्मीद तो नहीं

    लेकिन ऐसा कोई जो अपनी पत्नी को परिवार में सम्मान दिला पाये

    ‘पठानी सूट’ में बिना मूँछ-दाढी वाले लडके पसंद हैं!

     

    अपने ‘स्पैक्ट्स’ को खुद से भी ज्यादा प्यार करती हूँ!

     

    ‘सरनेम’ बदलना या न बदलना अपने अधिकार क्षेत्र में रखना चाहूँगी

    आप और हम पढे लिखे हैं

    तो विवाह का खर्च आधा आधा दोनों परिवार उठायें

    देश के विकास में ये भी एक पहल होनी चाहिये !

    और हाँ…..

    हर बात सिर झुकाकर मानते रहना संस्कारी होने की निशानी नहीं है!

     

    लडका भौचक्का हो गया है!!!

     

    लडकी कमरा छोडकर जा चुकी है

    चारों तरफ सन्नाटा फैल गया है !

     

    थोड़े दूर सभ्यता का तराजू मंद मंद मुस्कुरा रहा है। अब सदियों बाद उसके दोनों पलडे बराबर  आ गये हैं!! जब दोनों गाड़ी के पहियों के बिना गाड़ी ना चल सकेगी तो एक पहिये को कम क्यों आंका जाए।!! inspiring stories in hindi for success-part 3

    inspirational stories in hindi for success

    life changing hindi Story-4

    जिंदगी का बहोत बड़ा  सबक दे जाती है ये कहानी ….

     

    जीवन के बीस साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की तलाश। ये नहीं वो, दूर नहीं पास ।

    ऐसा करते करते दो तीन नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

     

    फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल।

    दो तीन साल और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र पच्चीस हो गयी।

     

    और फिर विवाह हो गया। जीवन की आम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक दो साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे ।

    हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही बीत गए।

     

    और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा।

    अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

     

    समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही ना चला।

    इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

     

    बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में ।

    घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता।

    उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी अपने आप को।

     

    इतने में मैं पैतीस का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो क्या है समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

     

    इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया।

    उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब दसवीं आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

     

    एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा ” अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो।

    चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।”

     

    उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि “तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।”

    कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

     

    तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

     

    बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

     

    उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

     

    दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

     

    अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

     

    एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

     

    उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

     

    मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी।

    मैंने उसे आवाज दी “चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं “

    वो तुरंत बोली ” अभी आई”।

     

    मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए ।

    अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

     

    उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी “बोलो क्या बोल रहे थे?”

     

    लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

     

    क्षण भर को वो शून्य हो गयी।

    ” क्या करू ? “

     

    उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी।

    धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

     

    मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली

    “चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?” बोलो !!

    ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!……

    वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली।

    मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

     

    क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

     

    सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो ।

    जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।……

    inspirational stories in hindi for success

    Story -5

    एक समय की बात है।

    सभी देवताओं में एक चर्चा हो रहो थी, चर्चा इस बात पर थी कि मानव की हर आकांक्षाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी परम शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये।

    सभी देवताओं में इस पर बहुत बहस हुई। एक देवता ने अपना मंतव्य रखा और कहा कि इसे हम एक घने जंगल की गुफा में रख देतेतो बहोत अच्छा होगा।

    दूसरे देवता ने असहमति जताते हुवे कहा

    अरे नहीं हम इसे एक पर्वत की टोच पर छिपा देंगे।

    उस देवता ने अभी उसकी बात ठीक पूरी भी नहीं की थी कि कोई कहने लगा , “न तो हम इसे कहीं गुफा में छिपाएंगे और न ही इसे पर्वत की टोच पर हम इसे समुद्र की गहराइयों में छिपा देते हैं

    यही जगह इसके लिए सबसे अनुकूल रहेगी ।”

    सभी के मंतव्य समाप्त हो जाने के बाद एक बुद्धिमान देवता ने कहा क्यों न हम मनुष्य की चमत्कारिक शक्तियों को मानव -मन की गहराइयों में छिपा दें।

    क्यूंकि बचपन से ही उसका मन इधर -उधर दौड़ता रहता है, मनुष्य कभी सोचभी नहीं  सकेगा कि ऐसी अदभुत और अद्वितीय शक्तियां उसके भीतर भी छिपी हो सकती हैं ।

    मानव इन्हें बाह्य जगत में खोजता रहेगा इसलिए इन विलक्षण शक्तियों को हम उसके मन की निचली तह में छिपा देंगे।

    बाकी सब देवता भी इस सुझाव पर सहमत हो गए। और ऐसा ही किया गया , मानव के अंदर ही चमत्कारी शक्तियों का भण्डार छुपा दिया गया,

    बहोत कम लोगों को पता है कि मानव मन में अद्भुत शक्तियां छिपी हैं।

    मित्रो, ये  कहानी का मतलब यह है कि मनुष्य का मन असीम ऊर्जा का स्त्रोत है।

    मानव जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी अशकय नहीं है।

    किंतु बड़े अफसोस की बात है उसे खुद ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां बिराजमान हैं।  

    इसलिए अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों को पहचानिये, उन्हें पहाड़ों में, गुफामें या समुद्र में मत ढूंढिए बल्कि अपने भीतर खोजिए और अपनी शक्तियों को निखारिए।

    हथेलियों से अपनी आँखों को बंध करके अंधकार होने की शिकायत मत कीजिये। आँखें खोलिए ,

    अपने अंदर झांकिए और अपनी असीम शक्तियों का उपयोग कर जिंदगी का हर एक सपना पूरा कर दीजिए।

    Motivational story in hindi about life part-4

     

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  • Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Story-1

    Inspirational short stories about life in hindi

    This inspirational short stories about life can change your life so read it carefully…….

    शिक्षक समीर जोशी कई दिनों के बाद अपने दोस्त की मुलाकात करने उसकी दुकान पर आए।

    कई दिन हो गए थे समीर को मिले इसलिए उसको देखते ही दोस्त के चेहरे पर खुशी छा गई। दोनों ने बातों का पिटारा खोल दिया।

    चाय नाश्ता कर लेने के बाद समीर बोला दोस्त में एक बात पूछूं

    इससे पहले जब भी मैं यहां आया यहां कस्टमर बहुत ज्यादा हुआ करते थे। हमें बात करने का समय भी नहीं मिलता था।

    लेकिन आज मैं देख रहा हूं कि कस्टमर का यहां पर तो अकाल पड़ा हुआ है। दुकान में वर्कर्स भी पहले के मुकाबले बहुत कम दिखाई दे रहे हैं।

    दोस्त ने समीर की बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा, अरे जाने दे यार, हमने मार्केट के चढ़ाव उतार को देखा है। आज मंदी है तो कल तेजी होगी।

    इस बात पर समीर थोड़ा असहज हुआ और बोला, दोस्त ऐसी बातों को इग्नोर मत कर। इस बात का तुझे भी पता है की तेरी आस पास कपड़े की सात आठ दूसरी नई दुकानें हुई है।

    स्पर्धा काफी है और तेरी दुकान तो…….

    समीर की बातों को हवा में उड़ाते हुए दोस्त मजाकिया लहजे में बोला, नई दुकाने होने से मुझे क्या फर्क पड़ेगा? एैसे तो कहीं आते हैं और चले जाते हैं….

    समीर को पता लग गया था कि यह बहुत टेढ़ा इंसान है ऐसे नहीं समझेगा।

    उसने अपने दोस्त को थोड़े दिनों के बाद अपने घर पर बुलाया।

    जब दोस्त थोड़े दिनों के बाद उनके घर पहुंचा तो शिक्षक समीर ने

    गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। थोड़ी देर चाय नाश्ता और बातें होती रही बाद में समीर उसको अपने घर में बनी प्रयोगशाला में ले गया।

    दोस्त, आज मैं तुझे एक अनोखा और रसप्रद प्रयोग दिखाता हूं। समीर ने एक पात्र में गरम पानी लिया और उसमें एक मेंढ़क को डाला।

     गर्म पानी के कांटेक्ट में आते ही मेंढक सतर्क हो गया और छलांग लगाकर भाग निकला।

    फिर समीर ने पात्र से गर्म पानी फेंक कर उसमें ठंडा पानी भरा।

    एक बार फिर मेंढक को उस में डाला। बहुत ही स्वाभाविक था मेंढक उसमें आराम से तैरने लगा।

    तभी समीर ने एक अनोखा काम किया, उसने पात्र को उठाकर

    एक गैस बर्नर पर रख दिया और बहुत ही धीमी आंच पर पानी गर्म करने लगा।

    थोड़ी देर में पानी गर्म होने लगा मेंढ़क को थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन मेंढक अपने आप को पात्र में गर्म हुए पानी के तापमान के हिसाब से एडजस्ट करता गया।

    जैसे जैसे पानी गर्म होता गया वैसे-वैसे मेंढक अपने शरीर के तापमान को एडजस्ट करता गया और आराम से पढ़ा रहा।

    लेकिन जब एक हद से ज्यादा पानी गर्म हो गया और उबलने लगा तब मेंढक को लगा कि अब मेरी जान को खतरा है। तब उसने पूरे जोरों से बाहर कूदने की कोशिश की

    लेकिन बार-बार खुद को एडजस्ट करते करते उसके शरीर की काफी एनर्जी वेस्ट हो चुकी थी और अब अपने आप को बचाने के लिए नहीं उसके पास कोई शक्ति बची थी और ना ही समय बचा था देखते ही देखते उबलते पानी ने मेंढक की जान ले ली।

    प्रयोग देखने के बाद दोस्त बोला-

    यार तूने यह क्या किया मेंढ़क को यूहीं मार क्यों दिया?

    और मुझे यह सब दिखाने कि  क्या जरूरत थी?

    समीर बोला, इस मेंढक को मैंने नहीं मारा उसने खुद को मारा है।

    अगर वह बदलती हुई परिस्थिति में बार-बार अपने आप को एडजस्ट नहीं करता और उससे बचने के कुछ उपाय ढूंढता तो वह आसानी से बच जाता।

    और रही बात तुझे बताने की तो तू भी इसी मेंढक की तरह इस वक्त परिस्थिति में से बाहर निकलने का सोच नहीं रहा और ऐसे ही अपना बिजनेस चला रहा है।

    तेरा कारोबार कितना बड़ा है और तू बाजार की परिस्थितियों को समझ ही नहीं रहा और बस ऐसा ही सोचे जा रहा है की यह सब अपने आप हो जाएगा।

    लेकिन जिंदगी में एक बात याद रखना दोस्त अगर तू आज हो रहे बदलाव के अनुसार अपने आप को ढाल नहीं सका तो इसी तरह इस मेंढक के जैसे कल को संभालने के लिए न तो तेरे पास कोई शक्ति बचेगी और नहीं तेरे पास वक्त बचेगा।

    शिक्षक समीर की बात ने उसकी आंखें खोल दी। उसने अपने दोस्त को गले लगाया और प्रॉमिस किया फिर एक बार वह

    पहले की तरह  बिजनेस लीडर बनकर दिखाएगा।

    दोस्तो समीर सर के उस दोस्त की तरह कई लोग अपनी जिंदगी में अपने आसपास हो रहे किसी भी बदलाव को नजरअंदाज करते रहते हैं। दूसरे लोग अपनी जिन क्षमताओं के कारण नौकरी के लिए चुने जाते हैं बस उसी पर अटके रहते हैं खुद में कुछ भी बदलाव नहीं करते। अपने आप को अपडेट करना उसे याद आता ही नहीं। कई लोग सालों से जिस ढंग से अपना धंधा कर रहे होते हैं बस उसी तरीको को पकड़ कर बैठे रहते हैं और बाद में बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है।डार्विन का Fitness for survival याद रखो।

    दोस्तों यदि आप भी इस गलती को अपनी जिंदगी में दोहरा रहे हो तो सतर्क हो जाइए और इस कहानी से बोध लेते हुए अपने आसपास हो रहे किसी भी परिवर्तन के प्रति अलर्ट रहें

    ताकि परिवर्तन की बड़ी से बड़ी आंधी भी आप जो भी क्षेत्र में काम कर रहे हो उसकी जड़ों को हिला ना पाए।

    Story-2 Inspirational short stories about life in hindi

    एक डॉक्टर साहब शीघ्र गति से हॉस्पिटल के एक वॉर्ड में दाखिल हुए। एक इमरजेंसी केस होने की वजह से उसे तुरंत बुलाया गया था। अंदर आते ही उसने पाया के जिस लड़के का अकस्मात हुआ था उनके स्वजन बड़ी आतुरता से उनकी राह देख रहे थे।

    डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता उन पर बरस पड़ा,

    क्या एैसे निभाते हैं अपना फर्ज़? जब जी चाहे चले आते हो

    अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो आपको तो मैं छोड़ने वाला नहीं

    डॉक्टर एकदम शांत चित से सुनते रहे फिर बड़ी विनम्रता से बोले

    मुझे क्षमा कीजिए, मैं यहां नहीं था। और इमरजेंसी का कॉल मिलने के बाद जितना भी हो सके उतनी जल्दी से मैं यहां पहुंचा हूं। मेहरबानी करके आप लोग शांति रखिए ताकि मैं ठीक से इसका इलाज कर सकूं।

    अरे आप हमें शांत होने को कह रहे हो? लड़के के पिता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। क्या इस समय अगर आप मेरी जगह पर होते तो आप चुप रहते? शांत रहने की सलाह देना

    सरल है लेकिन जिस पर बीत रही हो उसी को पता होता है।

    आप लोगों के पास मानव ह्रदय जैसी कोई चीज ही नहीं होती।

    दया की भावना ही मर चुकी है…. आप सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोचते  रहते हो… पिताजी बस बोलते ही रहे……

    डॉक्टर ने कहा… यदि भगवान ने चाहा तो सब कुछ अच्छा हो जाएगा आप लोग प्रार्थना कीजिए मैं ऑपरेशन के लिए जा रहा हूं।

    इतना कहते ही डॉक्टर चले गए।

    Motivational story in hindi for success-part 1

    Inspirational short stories about life in hindi

    बाहर लड़के के पिता की छटपटाहट अभी भी चालू थी…

    कैसे निर्दयी  लोग होते हैं …. अपने आप को बहुत बड़ा समझते हैं…. सुफियानी सलाह देते हैं…

    लगभग 2 घंटे के बाद जब डॉक्टर बाहर निकले…  उनके चेहरे पर मुस्कान थी और बोले…आपके बेटे को अब कोई खतरा नहीं है… भगवान का लाख-लाख शुक्र …

    इतना सुनते ही लड़के के स्वजन की खुशी का ठिकाना ना रहा…

    उन्होंने डॉक्टर से पूछा… उनको अस्पताल से छुट्टी कब मिलेगी?

    लेकिन बिना कुछ जवाब दिए डॉक्टर बिजली की रफ्तार से वापस चले गए… इसी सवाल को नर्स से पूछा गया…

    लड़के के पिता ने नर्स से कहा…यह डॉक्टर तो बहुत अभिमानी है… हमारे सवाल को मानो सुना ही नहीं और ऐसे ही चल दिया…

    अब नर्स का सब्र टूट गया… उसकी आंखों में आंसू आ गए.. गला रूंध गया… और बोली.. आज सुबह की बात है जब एक भयावह अकस्मात में डॉक्टर साहब के लड़के की.. मौत हो गई..

    जब हमने उन्हें आपके लड़के की परिस्थिति के बारे में बताएं यार तब वे अपने बेटे के  अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे।लेकिन आपके लड़के की परिस्थिति जानकार वे फौरन यहां चले आए।

    अपने दुख को एक बाजू रखकर उसने आपके बेटे की जान बचाई और अब वह अपने लाडले की अंतिम क्रिया के लिए वापस घर जा रहे हैं।

    इतना सुनते ही लड़के के स्वजन  और पिता की काटो तो खून न निकले ऐसी हालत हो गई। लड़के के पिता को अपने बोले हुए एक एक शब्द  लोहे के हथौड़े की तरह, उन पर ही बार कर रहे थे।

     Moral- दोस्तों कई बार हम किसी भी परिस्थिति को पूरी तरह जाने बिना उस पर हमारी प्रतिक्रिया दे देते हैं।

    हमें सबसे पहले हर किसी की हालत और परिस्थिति को जाना चाहिए समझना चाहिए और बाद में हमें बोलना चाहिए।

    कई बार हम बिना जाने समझे अनजाने में ही उसको ही ठेस पहुंचा देते हैं…. जो इंसान हमारे भले के लिए सोच रहा हो।

    inspiring stories in hindi for success-part 3

    Story-3 Inspirational short stories about life in hindi 

    सातवीं कक्षा के सभी स्टूडेंट काफी उमंग में थे। इस बार उन्हेंवन्य जीवन दिखाने के लिए ले जाया जा रहा था। सही वक्त पर सभी स्टूडेंट पिकनिक का सारा सामान और मौज मजा मस्ती करने के लिए बिल्कुल तैयार थे।

    पिकनिक की बसमे सब ने अपनी अपनी जगह ले ली और थोड़े  ही घंटे में बस वन्य जीवन पार्क पर पहुंच गई।

    वहां सब बच्चों को एक बड़े कैंटर में बिठाया और एक गाइड उन्हें वन्य जीवन पार्क दिखाने के लिए जंगल में ले गया।

    प्रिंसिपल भी स्टूडेंट को अपने आसपास के परिसर और विविध प्राणी पशु पक्षी के बारे में स्टूडेंट को बहुत ही रोचक जानकारियां दे रहे थे। बच्चे भी बहुत इंटरेस्ट से प्रिंसिपल की बात सुन रहे थे।

    बच्चों के लिए यह बिल्कुल नया एक्सपीरियंस था। वे कई सारे वन्य जीव और जंगली पशु पक्षियों को देख कर आनंदित हो गए थे।

    रोमांचक सफर चालू था कि तभी अचानक गाइडने सभी विद्यार्थियों को शांत रहने को कहा,….चू,…..प आप सब बिल्कुल शांत रहिए और मैं जो दिखाने जा रहा हूं वह एक बहुत ही अनोखा

    और दुर्लभ दृश्य है। एक मादा जिराफ इस वक्त अपने बच्चे को

    जन्म दे रही है….

    सभी स्टूडेंट बड़े रोमांच से उस दृश्य को देखने लगे। मादा जिराफ की हाइट काफी थी।

    जन्म लेते ही बच्चा बहुत ऊंचाई से जोर से जमीन पर गिरा और उसने गिरते ही अपने  पांव अंदर की तरफ मोड लिए।

    बच्चे को लगा के अभी भी व नई दुनिया में नहीं है

    अपनी मां की कोख में ही है।

    मां नीचे झुककर बच्चे को बड़े प्यार से देखने लगी। अपनी लंबी जीभ से उसको चाटने लगी।

    सभी विद्यार्थी एक्साइटमेंट से देख रहे थे… अचानक ही कुछ ऐसी अनोखी घटना हुई जिसके बारे में विद्यार्थी सोच भी नहीं सकते थे… मादा जिराफ ने अपने बच्चे को

    बहुत ही जोर से एक लात मारी और बच्चा अपनी जगह से दूसरी ओर पलट गया।

    सभी स्टूडेंट चिल्ला उठे सर जी, आप उस मादा जिराफ का कुछ कीजिए  वरना यह तो बच्चे को जान से मार डालेगी।

    प्रिंसिपल की ओर से कोई जवाब नहीं मिला सब लोग फिर उस दृश्य को आतुरता से देखने लगे।

    बच्चा अपनी जगह से बड़ी मुश्किल से उठने का प्रयत्न कर रहा था तभी एक बार फिर मादा जिराफ ने उसे जोर से दूसरी लात मारी। इस लात के प्रहार से बच्चा अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ

    और जैसे तैसे करके चलने लगा। देखते ही देखते मादा जिराफ और उसका बच्चा जंगल में अदृश्य हो गए।

    ऐसा दृश्य देखकर सभी विद्यार्थी आश्चर्यचकित थे और उसने सर से पूछा कि वह मां अपने ही बच्चे को इतनी बेरहमी से लात क्यों मार रही थी.. अगर उसके बच्चे को ज्यादा लग जाता और उसको कुछ यदि हो जाता तो?

    अब प्रिंसीपल बोले मेरी बात ध्यान से सुनो…

    जंगल में कई हिंसक और खूंखार प्राणी होते हैं। यहां पर इस बच्चे का जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि…..

    वह अपनी जिंदगी बचाने के लिए जितनी जल्दी हो सके इतनी जल्दी अपने पैरों पर चलना सीख ले अगर वह ऐसा नहीं कर सकता तो उसकी जान पर खतरा मंडराता रहेगा।

    अगर मादा जिराफ उसे यहां पर इसी अवस्था में पड़े रहने देती और उसको लात नहीं मारती तो शायद यह बच्चा अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था और कोई भी हिंसक प्राणी उसे अपना शिकार बना कर खा जाता।

    Moral:

    यह सिर्फ कहानी नहीं है दोस्तों जरा ध्यान से सोचो हमारे मां-बाप भी जिंदगी में हमें कई बार डांटते हैं, कभी कभी भला बुरा कह देते हैं…. स्वाभाविक है हमें अच्छा नहीं लगता|

    लेकिन अब इस कहानी से जोड़कर यदि हम सोचे तो अपने मां बाप की डांट की वजह से आज हमारी जिंदगी में हम जो कुछ भी है वह बन पाए हैं

    इसलिए दोस्तों हमें हमारी जिंदगी में कभी भी हमारे घर में अपने से बड़ों की सख्ती को दिल में ना लेते हुए उसके पीछे जो आपका भला करने की उनके हृदय की भावना है , उसके बारे में सोचना चाहिए।

    Motivational story in hindi about life part-4

    नम्र विनंती- आपको यदि कोई ऐसी घटना या प्रसंग याद हो कि जिस में घर के बड़ों के कहने के कारण किसी के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया हो….

    और उसकी जिंदगी पूरी की पूरी बदल गई तो ऐसी घटना कोई ऐसा यादगार प्रसंग जो किसी महान व्यक्ति की जिंदगी से जुड़ा हो या आपकी जिंदगी से जुड़ा हो तो उस घटना या प्रसंग को नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर शेयर जरूर करिएगा।

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