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    inspiring stories in hindi for success-part 3

    inspiring hindi Story-1

    inspiring stories in hindi for success

    एक गांव में एक आदमी सुबह सुबह तालाब की ओर मछली पकड़ने की झाल लेकर निकल पड़ा था।

    तालाब के पास पहुंचने पर उसे एहसास हुआ कि अभी प्रकाश पूरा फैला नही है।

    थोड़ी देर मस्त वातावरण में इधर उधर टहलता रहा।

    अचानक उसका पैर एक बड़े झोले से टकराया।

    आश्चर्य से उसने उस में हाथ डाला तो उसे पता चला कि झोले में

    एक से बढ़कर एक चमकदार पत्थर थे। अंधेरा होने की वजह से उसे तो कुछ पता नहीं था बस टाइम पास करने के लिए उसने उसमें से एक के बाद एक पत्थर नदी में फेंकना शुरू कर दिया।

    थोड़ी देर में उसने झोला लगभग खाली कर दिया।

    जब आखरी एक पत्थर बचा था तब पूरा सवेरा हो चुका था।

    सुबह के उजाले में उसने पाया कि अंतिम पत्थर जो उनके हाथ में था वह बहुत ही चमकीला था।

    पत्थर के चमकीले पन को बस देखते ही रह गया। वह कोई मामूली पत्थर नहीं था बल्कि अमूल्य हीरा था।

    जब उसे मालूम हुआ कि तालाब में अब तक उसने जिसको पत्थर समझ कर फेंक दिया वह सारे के सारे अनमोल हीरे थे तब वह  चीख चीख कर रोने लगा।

     वह बार-बार अपने हाथ में पकड़े हुए अंतिम हीरा जिसको वह पत्थर समझ रहा था उसके लिए व अंधेरे को दोष दे रहा था।

    तालाब के किनारे दुखी होकर बैठ गया तभी उस वक्त वहां से एक साधु निकले।

    उसके पास से सारी हकीकत जानने पर साधु ने उसे कहा अरे इसमें रोने की क्या बात है? तेरा सब कुछ कहा लूट गया है?

    तू तेरी जात को नसीबदार समझ क्योंकि तेरा बहुत बड़ा नसीब है कि आखरी हीरा फेंकने से पहले ही उजाला हो गया वरना ये हीरा भी तेरे हाथों से जाने ही वाला था।

    इस मूल्यवान हीरे की कीमत तुझे पता है? इस एक हीरे से भी तेरी जिंदगी का नक्शा बदल सकता है।

    अब जो तेरे बस की बात नहीं है उस पर चीखने चिल्लाने से क्या फायदा अब जो तेरे हाथ में है उसकी खुशी तुझे मनानी चाहिए।

    साधु की बात सुनकर उसका मन कुछ हल्का हुआ वह प्रसन्न चित्त से घर वापस आ गया।

    Moral: दोस्तो, जो बीत गया सो बीत गया। जो बात हमारे बस की नहीं है उस पर शोक मनाने से हमारे हाथ में क्या आएगा?

    लेकिन जो भी हमारे पास है उसको हमें लाइफ में सेलिब्रेट करना सीखना चाहिए। हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध काव्य पंक्ति है।

    inspiring stories in hindi for success

     

    जो बीत गई सो बात गई

     

    जीवन में एक सितारा था

    माना वह बेहद प्यारा था

    वह डूब गया तो डूब गया

    अम्बर के आनन को देखो

    कितने इसके तारे टूटे

    कितने इसके प्यारे छूटे

    जो छूट गए फिर कहाँ मिले

    पर बोलो टूटे तारों पर

    कब अम्बर शोक मनाता है

    जो बीत गई सो बात गई। इस बात को हमें जिंदगी भर याद रखना चाहिए।

    Motivational story in hindi for success-part 1

    inspiring hindi Story-2

    एक सोसायटी में बहुत ही नेक दिल एक इंसान रहता था। बहुत ही परिश्रमी और प्रामाणिक था।

    जो भी उसके संपर्क में आता था वह सभी लोग उसके अच्छे व्यवहार से बहुत खुश हो जाते थे और उसकी दिल खोलकर तारीफ करते थे।

    एक दिन वह अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस वक्त उसने रास्ते में अपने मोहल्ले के कुछ लोगों को गपशप करते सुना।

    ध्यान से सुनने पर उसे पता चला के वे लोग उसके बारे में ही बातें कर रहे थे।

    अब उससे रहा नहीं गया उसको लगा के यह लोग निश्चित ही उसकी तारीफ करते होगे चुपचाप वह उन लोगों के पीछे जाने लगा, लेकिन जब उसे पता चला कि यह लोग तो प्रशंसा करने की जगह उसकी बुराई कर रहे थे|

    कोई कहता था यह इंसान तो बहुत ही अभिमानी है। तो कोई बोल रहा था कि यह तो अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और है। कुछ लोग उसे ढोंगी बता रहे थे।

    तो कुछ लोग सिर्फ दिखावा कह रहे थे।

    यह सारी बातें सुनकर उस इंसान के दिल पर बहुत गहरी चोट लगी। क्योंकि आज तक उसने अपने बारे में ऐसा कभी नहीं सुना था।

    उसका दिमाग सुन्न हो गया था। जहां भी जाता और किसी को बातें करते देखता तो उसे दाल में कुछ काला ही नजर आता था।

    उसके दिमाग में एक ग्रंथि बंध गई थी के लोग उसके बारे में

    बुरा सोच रहे हैं, बुरा बोल रहे हैं।

    ऐसी नकारात्मक सोच का असर ऐसा पड़ा कि कभी-कभी तो जब उसकी प्रशंसा की जाती थी तब भी उसे ऐसा ही लगता था कि लोग उनकी मजाक उड़ा रहे हैं।

    अब ऐसी सोच की वजह से आसपास के सभी लोगों को ऐसे लगने लगा कि मोहन में कुछ बड़ा परिवर्तन आ गया है और उसकी वाइफ भी अपने पति के ऐसे बदलाव से बहुत आश्चर्य में थी।

    एक बार उसने उसे पूछा आप इतने बदले बदले से क्यों लग रहे हो क्या इसकी वजह मैं जान सकती हूं?

    उसने उदास मन से जो कुछ भी हुआ था वह सब बता दिया।

    पत्नी ने कई देर तक सोचा और बाद में उसे याद आया कि शहर में एक प्रेरणात्मक सेमिनार होने वाला था। वहां पर एक से बढ़कर एक वक्ता आने वाले थे।

    उसने अपने पति को इस सेमिनार के बारे में बताया और कहा कि यह सेमिनार हमें जरूर अटेंड करना चाहिए हमारी समस्या का कुछ ना कुछ हल निकल आएगा।

    दूसरे दिन वे सेमिनार में पहुंचे।

    कार्यक्रम के दौरान इस इंसान ने अपनी बात वक्ता के सामने रखी।

    उसने बताया कि अब लोग पहले जैसे नहीं रहे सभी लोग मेरे

    बारे में गलत सोचते हैं। मैं अब अच्छा इंसान नहीं रहा। आप बताइए मुझे कि पहले की तरह मैं अपनी क्रेडिट कैसे प्राप्त कर सकता हूं?

    वक्ता को पूरी बात समझ में आ चुकी थी।

    उसने उसको पास के एक गांव की शिविर में भेजा… और कहा कि आप वहीं पर रात के समय ठहरना।

    उसने सारी रात शिविर में बिताई दूसरे दिन जब वक्ता से बात हुई तो वक्ता ने उससे पूछा आप की रात कैसे गुजरी?

    तब उस इंसान ने कहा कि रात को जब मैं सोने जा रहा था अचानक ही शिविर के पास के तालाब में से कई सारे मेंढक की कर्कश आवाज आ रही थी।

    रात के समय मेंढकोने  इतना हो हल्ला मचा रखा था कि मैं पूरी रात सो भी नहीं पाया।

    मुझे इस बात का आश्चर्य हो रहा है कि इतने  कोलाहल में गांव के लोग कैसे सो पाते हैं?

    तभी वक्ता बोला, अब हो भी क्या सकता है? क्या आप से कुछ होगा?

    उसने कहा इतना कोलाहल सुनने पर तो लगता है कि मेंढको की संख्या एक दो नहीं लेकिन हजारों में होगी।

    मैं जितने हो सके उतने मजदूरों को लेकर कल आता हूं और सभी मेंढकोको पकड़कर दूर नदी में छोड़ा आता हू।

    अगले दिन वह इंसान कई सारे मजदूरों को लेकर वहां आ गया था और वह वक्ता अभी खड़े खड़े यह सब कुछ देख रहा था।

    छोटे से तालाब में सब मजदूरों ने मिलकर जाल डालकर मेंढ़को को पकड़ना शुरू किया। देखते ही देखते कई सारे मेंढक पकड़ लिए गए।

    जब उस इंसान ने देखा के ज्यादा से ज्यादा 90- 100 मेंढक ही पकड़े गए हैं तो वह बोला कि कल रात तो इस तालाब में हजारों की संख्या में मेंढक थे।

    रात के समय सारे के सारे कहां चले गए? और बस इतने ही बचे हैं?

    अब वक्ता ने उसे समझाते हुए कहा, सभी मेंढक यहीं के यहीं है।

    तुमने कल यही सारे मेंढको की ध्वनि सुनी थी।

    यह सारे मिलकर इतना हो हल्ला मचा रहे थे कि तुम्हें इसकी संख्या हजारों में लगी।

    अब आप ध्यान से समझो इसी प्रकार जब तुम अपने आसपास के कुछ ही लोगों को अपने बारे में भला बुरा बोलते सुना तो तुम भी

    बहुत बड़ी गलती कर बैठे। तुम्हें ऐसा लगने लगा कि जो कोई भी तुम्हारे संपर्क में आ रहा है वह हर आदमी तुम्हारे बारे में गलत सोच रहा है, गलत बोल रहा है।

    अब जो लोग ऐसा बोल रहे थे उसकी संख्या इस  मेंढकोकी संख्या जितनी ही थी।

    अब अगली बार किसी को अपने बारे में भला बुरा बोलते सुनो तो इतना ध्यान में रखना  हो सकता है कि बहुत थोड़ी संख्या में लोग आपके बारे में ऐसा बोल रहे हो।

    और हां एक बात और चाहे तुम कितने भी अच्छे इंसान क्यों ना हो समाज में कोई तो ऐसा होगा ही जो तुम्हारी बुराई करेगा ही करेगा।

    अब उस इंसान की आंखें खुल चुकी वह फिर से अपने पुराने व्यक्तित्व की तरफ लौट जाने की एक नई दिशा उसे मिल गयी थी|

    Moral:  दोस्तों हमें भी इस इंसान की तरह हमारे आस पास के और समाज के कुछ लोगों के व्यवहार को सभी लोगों से नहीं जोड़ना चाहिए। एक हिंदी फिल्म के गाने की बहुत ही असरदार पंक्तियां है…….

    .कुछ तो लोग कहेंगे

    लोगों का काम है कहना

    छोड़ो बेकार की बातों में                  inspiring stories in hindi for success

    कहीं बीत ना जाये रैना

    कुछ तो लोग कहेंगे

     

    कुछ रीत जगत की ऐसी है

    हर एक सुबह की शाम हुई

    कुछ रीत जगत की ऐसी है

    हर एक सुबह की शाम हुई

    तू कौन है तेरा नाम है क्या

    सीता भी यहाँ बदनाम हुई

    फिर क्यों संसार की बातों से

    भीग गए तेरे नैना।

    जीवन में यह बात हमेशा याद रखना दोस्तों हम जो हैं वह हम हैं जो लोग कह रहे हैं वह हम नहीं।

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    inspiring hindi Story-3

    एक बार एक आदमी बैंक में पैसे निकालने गया। बैंक में बहुत भीड़ थी जब उसकी बारी आई तो बैंक के कैशियर में औसत पेमेंट कर दी।

    वह आदमी पैसों को थैले में रखकर वहां से चल दिया उसने करीब 200000 रुपए बैंक से निकाले थे। लेकिन बैंक के कैशियर ने गलती से उसे 210000₹ दे दिए थे।

    लेकिन उसने ऐसा जताया के उसको कुछ पता ही नहीं है और पैसे चुपचाप अपने पास रख लिए।

    उसके दिमाग में कई तरह के विचार आ रहे थे। उसने सोचा कि इसमें मेरा क्या दोष है फिर उसके मन में आया क्यों उसे यह पैसे लौटा देना चाहिए।

    लेकिन फिर से विचार बदला उसने सोचा यदि मैं गलती करके किसी को ज्यादा पैसे दे देता हूं तो मुझे भला कोई लौटाएगा?

    बार बार उसके मन के ख्याल बदलते रहे थोड़ी देर ऐसा ख्याल आता था कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग में से कोई ना कोई नई चीज बाहर निकल कर आती थी।

    पैसे वापस ना देने के हजार बहाने मिलते थे।

    लेकिन हर इंसान के अंदर सिर्फ शैतानी दिमाग ही नहीं होता लेकिन अपने दिल की आवाज भी होती है।

    रुक रुक कर उसके दिल में से आवाज आ रही थी? क्या ऐसा करना ठीक है?

    दूसरे की गलती का फायदा उठाकर खुद बेईमान ना होने का दिखावा करते हो क्या यही तुम्हारी इंसानियत है?

    उसके दिल और दिमाग के बीच कशमकश कई देर तक चली।

    अचानक उसने थैले में से ₹10000 निकाल लिए और बैंक की ओर प्रस्थान किया।

    अब उसका  बेचैन मन शांत होने लगा था चेहरे पर प्रसन्नता के भाव थे। वह अपने आप को एक वैचारिक बीमारी से मुक्त पाया हुआ समझता था।

    उसके चेहरे पर इतनी प्रसन्नता थी मानो उसने कोई बड़ी जंग जीत ली हो।

    बैंक पहुंचकर देखा तो कैशियर थोड़ी चिंता में दिख रहा था।

    जब इस आदमी ने उसको ₹10000 वापस लौटाए तब जाकर

    कैशियर ने चैन की सांस ली।

    अपनी जेब से 500 का एक नोट निकाल कर उसने उसके हाथ में थमा या और कहा अरे भाई आप तो बहुत बड़े नेक दिल इंसान हो।

    आज मेरी तरफ से आपके बच्चों को कुछ मिठाई खिला देना।

    मेहरबानी करके ना मत बोलना।

    तब उस आदमी ने कहा के आभार आप को नहीं मुझे आपका व्यक्त करना चाहिए…. और मैं आपको मुंह मीठा कराऊंगा।

    बैंक के कैशियर ने आश्चर्य से पूछा अरे भाई, आप किस वजह से ऐसा कर रहे हो?

    तब उस आदमी ने कहा मैं इस बात के लिए आपका आभारी हूं कि यह ₹10000 ने मुझे अपने अंदर झांकने का मौका दिया।

    आज मेरे दिल और दिमाग की परीक्षा हुई। आपकी गलती ने मुझे जीवन का सबसे बड़ा गुण सिखाया।

    आज मेरी अंदर बुराई पर अच्छाई की जीत हुई… और यह सब आपकी वजह से हुआ इसलिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।          inspiring stories in hindi for success

    Moral-

    दोस्तो, समाज में दो तरह के लोग हैं एक ऐसे लोग जो अपनी प्रमाणिकता का पुरस्कार और प्रशंसा पाने का मौका नहीं गवाते।

    और ऐसे लोग भी है जो दूसरों को पुरस्कृत करते हैं।

    लेकिन हमारे जीवन में प्रामाणिकता का कोई पुरस्कार नहीं होता।

    प्रमाणिकता अमूल्य है, प्रामाणिकता और इमानदारी अपने आप में ही एक बहुत बड़ा पुरस्कार है। ऐसे मौके पर अपने आप को कंट्रोल करना एक बहुत बड़ी चैलेंज होती है।

    अपने अंतरात्मा में झांकने का अवसर जिंदगी में हमें कभी कभी ही मिलता है। हमें ऐसे सुनहरे अवसर को गवाना नहीं चाहिए लेकिन ऐसे अवसर को उत्सव में बदल देना चाहिए।

    Remember:Honesty is such a lonely word

    Everyone is so untrue

    Honesty is hardly ever heard

    And mostly what I need from you.

    Motivational story in hindi about life part-4

    inspiring stories in hindi for success

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    inspirational stories in hindi for success-part 5




     

     

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  • Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Story-1

    Inspirational short stories about life in hindi

    This inspirational short stories about life can change your life so read it carefully…….

    शिक्षक समीर जोशी कई दिनों के बाद अपने दोस्त की मुलाकात करने उसकी दुकान पर आए।

    कई दिन हो गए थे समीर को मिले इसलिए उसको देखते ही दोस्त के चेहरे पर खुशी छा गई। दोनों ने बातों का पिटारा खोल दिया।

    चाय नाश्ता कर लेने के बाद समीर बोला दोस्त में एक बात पूछूं

    इससे पहले जब भी मैं यहां आया यहां कस्टमर बहुत ज्यादा हुआ करते थे। हमें बात करने का समय भी नहीं मिलता था।

    लेकिन आज मैं देख रहा हूं कि कस्टमर का यहां पर तो अकाल पड़ा हुआ है। दुकान में वर्कर्स भी पहले के मुकाबले बहुत कम दिखाई दे रहे हैं।

    दोस्त ने समीर की बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा, अरे जाने दे यार, हमने मार्केट के चढ़ाव उतार को देखा है। आज मंदी है तो कल तेजी होगी।

    इस बात पर समीर थोड़ा असहज हुआ और बोला, दोस्त ऐसी बातों को इग्नोर मत कर। इस बात का तुझे भी पता है की तेरी आस पास कपड़े की सात आठ दूसरी नई दुकानें हुई है।

    स्पर्धा काफी है और तेरी दुकान तो…….

    समीर की बातों को हवा में उड़ाते हुए दोस्त मजाकिया लहजे में बोला, नई दुकाने होने से मुझे क्या फर्क पड़ेगा? एैसे तो कहीं आते हैं और चले जाते हैं….

    समीर को पता लग गया था कि यह बहुत टेढ़ा इंसान है ऐसे नहीं समझेगा।

    उसने अपने दोस्त को थोड़े दिनों के बाद अपने घर पर बुलाया।

    जब दोस्त थोड़े दिनों के बाद उनके घर पहुंचा तो शिक्षक समीर ने

    गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। थोड़ी देर चाय नाश्ता और बातें होती रही बाद में समीर उसको अपने घर में बनी प्रयोगशाला में ले गया।

    दोस्त, आज मैं तुझे एक अनोखा और रसप्रद प्रयोग दिखाता हूं। समीर ने एक पात्र में गरम पानी लिया और उसमें एक मेंढ़क को डाला।

     गर्म पानी के कांटेक्ट में आते ही मेंढक सतर्क हो गया और छलांग लगाकर भाग निकला।

    फिर समीर ने पात्र से गर्म पानी फेंक कर उसमें ठंडा पानी भरा।

    एक बार फिर मेंढक को उस में डाला। बहुत ही स्वाभाविक था मेंढक उसमें आराम से तैरने लगा।

    तभी समीर ने एक अनोखा काम किया, उसने पात्र को उठाकर

    एक गैस बर्नर पर रख दिया और बहुत ही धीमी आंच पर पानी गर्म करने लगा।

    थोड़ी देर में पानी गर्म होने लगा मेंढ़क को थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन मेंढक अपने आप को पात्र में गर्म हुए पानी के तापमान के हिसाब से एडजस्ट करता गया।

    जैसे जैसे पानी गर्म होता गया वैसे-वैसे मेंढक अपने शरीर के तापमान को एडजस्ट करता गया और आराम से पढ़ा रहा।

    लेकिन जब एक हद से ज्यादा पानी गर्म हो गया और उबलने लगा तब मेंढक को लगा कि अब मेरी जान को खतरा है। तब उसने पूरे जोरों से बाहर कूदने की कोशिश की

    लेकिन बार-बार खुद को एडजस्ट करते करते उसके शरीर की काफी एनर्जी वेस्ट हो चुकी थी और अब अपने आप को बचाने के लिए नहीं उसके पास कोई शक्ति बची थी और ना ही समय बचा था देखते ही देखते उबलते पानी ने मेंढक की जान ले ली।

    प्रयोग देखने के बाद दोस्त बोला-

    यार तूने यह क्या किया मेंढ़क को यूहीं मार क्यों दिया?

    और मुझे यह सब दिखाने कि  क्या जरूरत थी?

    समीर बोला, इस मेंढक को मैंने नहीं मारा उसने खुद को मारा है।

    अगर वह बदलती हुई परिस्थिति में बार-बार अपने आप को एडजस्ट नहीं करता और उससे बचने के कुछ उपाय ढूंढता तो वह आसानी से बच जाता।

    और रही बात तुझे बताने की तो तू भी इसी मेंढक की तरह इस वक्त परिस्थिति में से बाहर निकलने का सोच नहीं रहा और ऐसे ही अपना बिजनेस चला रहा है।

    तेरा कारोबार कितना बड़ा है और तू बाजार की परिस्थितियों को समझ ही नहीं रहा और बस ऐसा ही सोचे जा रहा है की यह सब अपने आप हो जाएगा।

    लेकिन जिंदगी में एक बात याद रखना दोस्त अगर तू आज हो रहे बदलाव के अनुसार अपने आप को ढाल नहीं सका तो इसी तरह इस मेंढक के जैसे कल को संभालने के लिए न तो तेरे पास कोई शक्ति बचेगी और नहीं तेरे पास वक्त बचेगा।

    शिक्षक समीर की बात ने उसकी आंखें खोल दी। उसने अपने दोस्त को गले लगाया और प्रॉमिस किया फिर एक बार वह

    पहले की तरह  बिजनेस लीडर बनकर दिखाएगा।

    दोस्तो समीर सर के उस दोस्त की तरह कई लोग अपनी जिंदगी में अपने आसपास हो रहे किसी भी बदलाव को नजरअंदाज करते रहते हैं। दूसरे लोग अपनी जिन क्षमताओं के कारण नौकरी के लिए चुने जाते हैं बस उसी पर अटके रहते हैं खुद में कुछ भी बदलाव नहीं करते। अपने आप को अपडेट करना उसे याद आता ही नहीं। कई लोग सालों से जिस ढंग से अपना धंधा कर रहे होते हैं बस उसी तरीको को पकड़ कर बैठे रहते हैं और बाद में बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है।डार्विन का Fitness for survival याद रखो।

    दोस्तों यदि आप भी इस गलती को अपनी जिंदगी में दोहरा रहे हो तो सतर्क हो जाइए और इस कहानी से बोध लेते हुए अपने आसपास हो रहे किसी भी परिवर्तन के प्रति अलर्ट रहें

    ताकि परिवर्तन की बड़ी से बड़ी आंधी भी आप जो भी क्षेत्र में काम कर रहे हो उसकी जड़ों को हिला ना पाए।

    Story-2 Inspirational short stories about life in hindi

    एक डॉक्टर साहब शीघ्र गति से हॉस्पिटल के एक वॉर्ड में दाखिल हुए। एक इमरजेंसी केस होने की वजह से उसे तुरंत बुलाया गया था। अंदर आते ही उसने पाया के जिस लड़के का अकस्मात हुआ था उनके स्वजन बड़ी आतुरता से उनकी राह देख रहे थे।

    डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता उन पर बरस पड़ा,

    क्या एैसे निभाते हैं अपना फर्ज़? जब जी चाहे चले आते हो

    अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो आपको तो मैं छोड़ने वाला नहीं

    डॉक्टर एकदम शांत चित से सुनते रहे फिर बड़ी विनम्रता से बोले

    मुझे क्षमा कीजिए, मैं यहां नहीं था। और इमरजेंसी का कॉल मिलने के बाद जितना भी हो सके उतनी जल्दी से मैं यहां पहुंचा हूं। मेहरबानी करके आप लोग शांति रखिए ताकि मैं ठीक से इसका इलाज कर सकूं।

    अरे आप हमें शांत होने को कह रहे हो? लड़के के पिता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। क्या इस समय अगर आप मेरी जगह पर होते तो आप चुप रहते? शांत रहने की सलाह देना

    सरल है लेकिन जिस पर बीत रही हो उसी को पता होता है।

    आप लोगों के पास मानव ह्रदय जैसी कोई चीज ही नहीं होती।

    दया की भावना ही मर चुकी है…. आप सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोचते  रहते हो… पिताजी बस बोलते ही रहे……

    डॉक्टर ने कहा… यदि भगवान ने चाहा तो सब कुछ अच्छा हो जाएगा आप लोग प्रार्थना कीजिए मैं ऑपरेशन के लिए जा रहा हूं।

    इतना कहते ही डॉक्टर चले गए।

    Motivational story in hindi for success-part 1

    Inspirational short stories about life in hindi

    बाहर लड़के के पिता की छटपटाहट अभी भी चालू थी…

    कैसे निर्दयी  लोग होते हैं …. अपने आप को बहुत बड़ा समझते हैं…. सुफियानी सलाह देते हैं…

    लगभग 2 घंटे के बाद जब डॉक्टर बाहर निकले…  उनके चेहरे पर मुस्कान थी और बोले…आपके बेटे को अब कोई खतरा नहीं है… भगवान का लाख-लाख शुक्र …

    इतना सुनते ही लड़के के स्वजन की खुशी का ठिकाना ना रहा…

    उन्होंने डॉक्टर से पूछा… उनको अस्पताल से छुट्टी कब मिलेगी?

    लेकिन बिना कुछ जवाब दिए डॉक्टर बिजली की रफ्तार से वापस चले गए… इसी सवाल को नर्स से पूछा गया…

    लड़के के पिता ने नर्स से कहा…यह डॉक्टर तो बहुत अभिमानी है… हमारे सवाल को मानो सुना ही नहीं और ऐसे ही चल दिया…

    अब नर्स का सब्र टूट गया… उसकी आंखों में आंसू आ गए.. गला रूंध गया… और बोली.. आज सुबह की बात है जब एक भयावह अकस्मात में डॉक्टर साहब के लड़के की.. मौत हो गई..

    जब हमने उन्हें आपके लड़के की परिस्थिति के बारे में बताएं यार तब वे अपने बेटे के  अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे।लेकिन आपके लड़के की परिस्थिति जानकार वे फौरन यहां चले आए।

    अपने दुख को एक बाजू रखकर उसने आपके बेटे की जान बचाई और अब वह अपने लाडले की अंतिम क्रिया के लिए वापस घर जा रहे हैं।

    इतना सुनते ही लड़के के स्वजन  और पिता की काटो तो खून न निकले ऐसी हालत हो गई। लड़के के पिता को अपने बोले हुए एक एक शब्द  लोहे के हथौड़े की तरह, उन पर ही बार कर रहे थे।

     Moral- दोस्तों कई बार हम किसी भी परिस्थिति को पूरी तरह जाने बिना उस पर हमारी प्रतिक्रिया दे देते हैं।

    हमें सबसे पहले हर किसी की हालत और परिस्थिति को जाना चाहिए समझना चाहिए और बाद में हमें बोलना चाहिए।

    कई बार हम बिना जाने समझे अनजाने में ही उसको ही ठेस पहुंचा देते हैं…. जो इंसान हमारे भले के लिए सोच रहा हो।

    inspiring stories in hindi for success-part 3

    Story-3 Inspirational short stories about life in hindi 

    सातवीं कक्षा के सभी स्टूडेंट काफी उमंग में थे। इस बार उन्हेंवन्य जीवन दिखाने के लिए ले जाया जा रहा था। सही वक्त पर सभी स्टूडेंट पिकनिक का सारा सामान और मौज मजा मस्ती करने के लिए बिल्कुल तैयार थे।

    पिकनिक की बसमे सब ने अपनी अपनी जगह ले ली और थोड़े  ही घंटे में बस वन्य जीवन पार्क पर पहुंच गई।

    वहां सब बच्चों को एक बड़े कैंटर में बिठाया और एक गाइड उन्हें वन्य जीवन पार्क दिखाने के लिए जंगल में ले गया।

    प्रिंसिपल भी स्टूडेंट को अपने आसपास के परिसर और विविध प्राणी पशु पक्षी के बारे में स्टूडेंट को बहुत ही रोचक जानकारियां दे रहे थे। बच्चे भी बहुत इंटरेस्ट से प्रिंसिपल की बात सुन रहे थे।

    बच्चों के लिए यह बिल्कुल नया एक्सपीरियंस था। वे कई सारे वन्य जीव और जंगली पशु पक्षियों को देख कर आनंदित हो गए थे।

    रोमांचक सफर चालू था कि तभी अचानक गाइडने सभी विद्यार्थियों को शांत रहने को कहा,….चू,…..प आप सब बिल्कुल शांत रहिए और मैं जो दिखाने जा रहा हूं वह एक बहुत ही अनोखा

    और दुर्लभ दृश्य है। एक मादा जिराफ इस वक्त अपने बच्चे को

    जन्म दे रही है….

    सभी स्टूडेंट बड़े रोमांच से उस दृश्य को देखने लगे। मादा जिराफ की हाइट काफी थी।

    जन्म लेते ही बच्चा बहुत ऊंचाई से जोर से जमीन पर गिरा और उसने गिरते ही अपने  पांव अंदर की तरफ मोड लिए।

    बच्चे को लगा के अभी भी व नई दुनिया में नहीं है

    अपनी मां की कोख में ही है।

    मां नीचे झुककर बच्चे को बड़े प्यार से देखने लगी। अपनी लंबी जीभ से उसको चाटने लगी।

    सभी विद्यार्थी एक्साइटमेंट से देख रहे थे… अचानक ही कुछ ऐसी अनोखी घटना हुई जिसके बारे में विद्यार्थी सोच भी नहीं सकते थे… मादा जिराफ ने अपने बच्चे को

    बहुत ही जोर से एक लात मारी और बच्चा अपनी जगह से दूसरी ओर पलट गया।

    सभी स्टूडेंट चिल्ला उठे सर जी, आप उस मादा जिराफ का कुछ कीजिए  वरना यह तो बच्चे को जान से मार डालेगी।

    प्रिंसिपल की ओर से कोई जवाब नहीं मिला सब लोग फिर उस दृश्य को आतुरता से देखने लगे।

    बच्चा अपनी जगह से बड़ी मुश्किल से उठने का प्रयत्न कर रहा था तभी एक बार फिर मादा जिराफ ने उसे जोर से दूसरी लात मारी। इस लात के प्रहार से बच्चा अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ

    और जैसे तैसे करके चलने लगा। देखते ही देखते मादा जिराफ और उसका बच्चा जंगल में अदृश्य हो गए।

    ऐसा दृश्य देखकर सभी विद्यार्थी आश्चर्यचकित थे और उसने सर से पूछा कि वह मां अपने ही बच्चे को इतनी बेरहमी से लात क्यों मार रही थी.. अगर उसके बच्चे को ज्यादा लग जाता और उसको कुछ यदि हो जाता तो?

    अब प्रिंसीपल बोले मेरी बात ध्यान से सुनो…

    जंगल में कई हिंसक और खूंखार प्राणी होते हैं। यहां पर इस बच्चे का जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि…..

    वह अपनी जिंदगी बचाने के लिए जितनी जल्दी हो सके इतनी जल्दी अपने पैरों पर चलना सीख ले अगर वह ऐसा नहीं कर सकता तो उसकी जान पर खतरा मंडराता रहेगा।

    अगर मादा जिराफ उसे यहां पर इसी अवस्था में पड़े रहने देती और उसको लात नहीं मारती तो शायद यह बच्चा अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था और कोई भी हिंसक प्राणी उसे अपना शिकार बना कर खा जाता।

    Moral:

    यह सिर्फ कहानी नहीं है दोस्तों जरा ध्यान से सोचो हमारे मां-बाप भी जिंदगी में हमें कई बार डांटते हैं, कभी कभी भला बुरा कह देते हैं…. स्वाभाविक है हमें अच्छा नहीं लगता|

    लेकिन अब इस कहानी से जोड़कर यदि हम सोचे तो अपने मां बाप की डांट की वजह से आज हमारी जिंदगी में हम जो कुछ भी है वह बन पाए हैं

    इसलिए दोस्तों हमें हमारी जिंदगी में कभी भी हमारे घर में अपने से बड़ों की सख्ती को दिल में ना लेते हुए उसके पीछे जो आपका भला करने की उनके हृदय की भावना है , उसके बारे में सोचना चाहिए।

    Motivational story in hindi about life part-4

    नम्र विनंती- आपको यदि कोई ऐसी घटना या प्रसंग याद हो कि जिस में घर के बड़ों के कहने के कारण किसी के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया हो….

    और उसकी जिंदगी पूरी की पूरी बदल गई तो ऐसी घटना कोई ऐसा यादगार प्रसंग जो किसी महान व्यक्ति की जिंदगी से जुड़ा हो या आपकी जिंदगी से जुड़ा हो तो उस घटना या प्रसंग को नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर शेयर जरूर करिएगा।

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  • Motivational story in hindi for success-part 1

    Motivational story in hindi for success-part 1

    Motivational story in hindi for success   

    Story-1

    This motivational story in hindi for success can change your life so read it carefully…….

                     

    एक शाला में शिक्षक ने अपने विद्यार्थियों को एक बात सुनाई और बोले

    एक वक्त की बात है कि एक वक्त एक जहाज की दुर्घटना हो गई

     

    जहाज में पति-पत्नी सवार थे |

    पति पत्नी ने देखा के जहाज पर एक लाइफ बोट है उनमें एक ही व्यक्ति का समावेश हो सकता है|

     

    थोड़ी देर सोचने के बाद उस आदमी ने अपनी पत्नी को नीचे धक्का दे दिया और खुद लाइफ बोट पर जाकर बैठ गया|

     

    पत्नी जोर से कुछ बोली

     

    शिक्षक ने विद्यार्थियों से पूछा तुम अनुमान लगाओ कि वह जोर से क्या बोली होगी?

     

    बहुत से विद्यार्थियों ने कहा उसने कहा होगा तुम क्रूर हो मैंने तुमसे अंधा प्यार किया तुमने मुझे धोखा दिया

     

    सभी शिक्षक ने देखा कि एक विद्यार्थी चुपचाप बैठा है और कुछ सोच रहा है

     

    शिक्षक ने उसे बुलाया और कहा अब तुम  ही बताओ उसने चिल्लाकर क्या कहा होगा

     

    विद्यार्थी बोला उसने कहा होगा के हमारे बच्चों का ध्यान रखना

    अब शिक्षक को आश्चर्य हुआ और बोले तुमने यह बात कभी भी पहले सुनी है क्या?

     

    बच्चे ने थोड़ी देर सोच कर जवाब दिया नहीं

     

    लेकिन मेरी मां ने मरने के वक्त मेरे पिताजी को यही बात कही थी

    तेरा उत्तर बिल्कुल सही है।

     

    फिर जहाज डूब गया और वह आदमी अपने घर गया

     

    अपनी भोली भाली बच्ची का पालन पोषण कर उसकी परवरिश की

    कई साल के बाद उस आदमी की मौत हो गई तो उस लड़की को घर में से अपने पिता की एक डायरी मिली उसमें लिखा था कि

     

    जब वह जहाज पर गए तब से उन्हें पता था कि उसकी पत्नी को एक गंभीर बीमारी है और उसके बचने की संभावना ना के बराबर है

    बावजूद उसने उसको बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए

    इस उम्मीद से कि वह ठीक हो जाए लेकिन ऐसा हो ना सका और दुर्घटना हो गई

     

    वह भी उसके साथ समंदर की गहराइयों में मर जाना चाहता था

     

    लेकिन सिर्फ अपनी बच्ची के लिए भारी हृदयसे उसने पत्नी को समंदर में डूब जाने को अकेला ही छोड़ दिया।

     

    बात पूरी हो गई पूरे क्लास में सन्नाटा सा छा गया।

     

    शिक्षक समझ चुके थे कि विद्यार्थियों को कहानी पूरी तरह समझ में आ चुकी है

    Moral of story-

    संसार में अच्छा और बुरा दोनों है

     

    लेकिन दोनों को समझने में बहुत कठिनाई आती है

     

    क्योंकि यह सब परिस्थितियों पर आधारित है उसे समझने में थोड़ी कठिनाई आती है।

     

    अतः हमें जो दिखाई देता हो उस पर बिना सोचे हमें अपनी राय नहीं देनी चाहिए पहले बात को पूरी तरह समझ लेना जरूरी है

     

    अगर कोई अपना हाथ मदद के लिए आगे बढ़ाएं तो ऐसा नहीं कि वह उपकार कर रहा है लेकिन वह दोस्ती का मूल्य समझता है।

     

    कोई अपना काम पूरी निष्ठा से करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह डर कर करता है

    लेकिन मतलब यह है कि उसे परिश्रम का महत्व समझ में आता है और वह देश की उन्नति में अपना योगदान देता है|

     

    अगर कोई आपको किसी भी प्रकार की मदद करने को आतुर है तो उसका मतलब यह तो नहीं कि वह फालतू है

    और आपसे कुछ बदले की भावना है।

    इसका मतलब यह है कि वह अपना एक मित्र खोना नहीं चाहता।

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    Motivational story in hindi 

     inspirational hindi Story-2

    एक नगर में एक शांत औरत रहती थी। एक समय की बात है वह उसके पुत्र के साथ शाम को बाज़ार जा रही थी।

    उसी वक्त एक पागल महिला दोनों के सामने आ गई और उस लड़के की मां को भला बुरा कहने  लगी।

    उस औरत ने बहुत भला बुरा कहा लेकिन इस महिला की बातों का मां पर मानो कोई असर ही नही और वह मंद मंद मुस्कान के साथ आगे बढ़ी।

    पागल औरत अचंबित रह गई उसने सोचा इस पर तो कोई असर ही नहीं है।

    उसने और ज्यादा बुरा भला बोलने की ठान ली। अब वो पहले से ज्यादा उन्माद में क्रोधित होकर उसके पति और पूरे परिवार के लिए मन में जो आए वह कहने लगी।

    लड़की की मां बस सुनती गई। काफी देर तक यह तमाशा चला कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पागल औरत वहां से चलती बनी।

    जब वो चली गई तब बेटे ने अपनी मां को पूछा  मां उस औरत ने इतनी गालियां दी पिताजी और हमारे परिवार के लिए बुरी बातें कहीं और आप बस सुनती रही?

    वह बोलती रही और आप सुनती रही और मन मन मुस्कुराती भी रही क्या आपको उनकी बातों से जरा भी दुख नहीं हुआ?

    मां कुछ ना बोली सिर्फ बेटे को चुपचाप अपने साथ चलने को कहा। घर पर पहुंचने पर मैंने कहा तुम यहां ठहरो मैं अभी आई।

    थोड़ी देर के बाद मैं अपने रूम में से कुछ गंदे कपड़े ले आई और बेटे को बोले यह लो तुम अपने कपड़े बदल लो।

    बेटा बोला मां ये तो बहुत मैले  हैं। I इसमें तो बदबू आ रही है। बेटे ने उन कपड़ों को तिरस्कार से फेंक दिया।

    अब मां ने बेटे को बड़े प्यार से कहा कोई तुमसे बेमतलब भिड जाता है और कुछ भी बोल देता है

    तब उसके गंदे शब्दों का असर हमें अपने निर्मल मन पर कभी भी नहीं होने देना चाहिए।

    हम भी उसके साथ ऐसा बर्ताव करेंगे तो हमने और उन में फर्क ही क्या रह गया?

    किसी की फेंकी हुई गंदगी को अपने मन में बसा के हम अपना मन क्यों खराब करें? और जिसके शब्दों का कोई मूल्य ही नहीं है उसके पीछे हम अपना कीमती समय क्यों बर्बाद करें?

     

     

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

     

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     inspiring hindi Story-3

    एक समय की बात है। एक महाराजा ने गांव के विद्वानों की एक सभा बुलाई और उनसे सवाल किया।

    मेरे जन्माक्षर के मुताबिक मेरे नसीब में राजा बनने का लिखा था परंतु उसी समय अनेक लोगों ने जन्म लिया तो वे राजा क्यों नहीं बन सके? मैं समझना चाहता हूं।

    इस सवाल का किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

    वहां पर एक बूढ़ा आदमी खड़ा हुआ और उसने कहा महाराज एक काम कीजिए यहां से एक घनघोर जंगल में आपको एक संत पुरुष मिलेंगे वह आपके सवाल का बिल्कुल सही जवाब दे सकते हैं।

    राजा बहुत जल्दी से घनघोर जंगल में पहुंचा वहां पहुंच कर उसने देखा कि एक सिद्ध पुरुष वहां अंगार खा रहे थे।

    राजा के प्रश्न पूछने पर उसने क्रोध से कहा तेरे सवाल का जवाब आगे इन पर्वतों के पीछे कई सालों से एक् संत पुरुष रहते हैं वह बदला सकते हैं।

    राजा की सवाल का जवाब जानने की उत्तेजना बढ़ गई कई कठिन मार्गो को पार करके राजा वे संत  पुरुष के पास पहुंचा।

    वहां का दृश्य देखकर राजा की आंखें फटी की फटी रह गई। वे संत अपने शरीर के मांस को  चिमटे से नोच नोच कर खा रहे थे।

    राजा के  सवाल पूछने पर संत ने क्रोधित होते हुए कहा मैं भूख से आकुल व्याकुल हूं मेरे पास वक्त नहीं है।

    आगे गांव में एक बच्चे का जन्म होने वाला है और वह बच्चा थोड़ी ही देर जीवित रहेगा वह बच्चा तेरे सवाल का जवाब दे सकता है।

    अब राजा बहुत उलझन में पड़ गया।

    बड़ी कमाल की घटना उसके साथ घट रही थी। राजा फिर से कठिनाइयों को पार करके सामने वाले गांव जा पहुंचा।

    बच्चे के जन्म के साथ ही उन्होंने उस बच्चे को राजा के हाथों में थमा दिया।

    राजा के सामने बच्चा खिलखिला कर हंस ने लगा और उसने कहा राजा समय तो मेरे पास भी नहीं है लेकिन अपने सवाल का जवाब सुन लो-

    आप मैं और दोनों संत पुरुष सात जन्म पहले चारों भाई राजकुमार थे।

    एक बार एक जंगल में शिकार करने के लिए हम 3 दिन तक बिना खाए पिए भटकते रहे। अचानक हम चारों को आटे की एक पोटली मिली।

    हम सब ने मिलकर उसकी चार रोटी सेकी और अपनी अपनी रोटी खाने बैठ गए। अभी खाना शुरू ही किया था कि भूख प्यास से आकुल व्याकुल एक् संत पुरुष वहा पर आए।

    अंगार खाने वाले से  उसने कहा। बच्चा मैंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया अपनी रोटी मुझे दे दे मुझ पर रहम कर।

    अब भूख मुझसे सही नहीं जाती मैं भूख के मारे मर जाऊंगा। इतना सुनते ही उसको क्रोध आ गया और उसने कहा मैं तुम्हें क्यों दूं भला मुझे भी जोरों की भूख लगी है। चल फुट यहां से…..

    फिर वह संत पुरुष मांस खाने वाले भैया के पास गए और उन से विनती की लेकिन उसने भी संत पुरुष का अपमान किया और कह दिया कि-

    बड़ी कठिनाई से मिली यह रोटी मैं तुम्हें क्यों दूं फिर क्या मैं अपने शरीर का मांस नोच कर खाऊंगा?

    भूख से तड़पते संत पुरुष मेरे पास आए और मुझसे रोटी मांगी किंतु मैंने भी निर्दयी होकर बोल दिया निकलो यहां से मैं क्या भूखा मरु?

    अब उनकी अंतिम आशा आप थे राजा। आपके पास आकर वे गिड़गिड़ाए। आपको उस पर तरस आ गया और आपने अपनी रोटी में से आधी रोटी उन संत पुरुष को दे दी।

    रोटी पाकर संत प्रसन्न हुए और उसने कहा। तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कर्म के अनुसार लिखा जाएगा।

    बच्चे ने कहा इस प्रकार हम सब लोग अपने अपने कर्मों का फल भोग रहे है। इतना कहते ही बच्चा मर गया।

    Moral: जैसी करनी वैसी भरनी। हमें अपने अच्छे कर्मों का अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्मों का बुरा।

    पासवर्ड यदि गलत हो तो कुछ भी नहीं खुलता तो सोचो हमारे गलत कर्मों से स्वर्ग के दरवाजे हमारे लिए कैसे खुलेंग?

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    inspiring stories in hindi for success-part 3

     best motivational hindi Story-4

    एक विद्यार्थी को कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता नसीब नहीं हुई।

    वह हिम्मत हार गया, उम्मीद की कोई किरण उनके जीवन में नहीं रही, बुरे ख्यालों से वह बेचैन हो गया। जब कोई उपाय न सूजा तो उसने सुसाइड करने का निश्चय किया।

    जब वे  एक जंगल में गया और सुसाइड का प्रयत्न कर रहा था तभी अचानक एक महात्मा ने उसे देखा।

    महात्मा ने कहा बालक ऐसी भी क्या बात है और तुम यहां इस जंगल में अकेले?

    तब उसने कहा मैं अपनी जिंदगी में कड़ी मेहनत कर चुका हूं लेकिन उसका कोई परिणाम ना मिलने से मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं ,अब मेरे जीने की कोई वजह नहीं।

    महात्मा ने उनसे सवाल किया कितने समय से तुम कड़ी मेहनत कर रहे हो?

    विद्यार्थी बोला करीब 2 साल बीत चुके है, मैं परीक्षा में असफल हुआ हूं,

    और मुझे कहीं जॉब भी नहीं मिल रही,

    महात्मा हस पड़े- अरे बेटे तुम्हे सब कुछ मिल जाएगा। थोड़ी और मेहनत करो बस कुछ ही दिन…..

    विद्यार्थी ने कहा- मैं किसी के लायक नहीं हूं। मुजसे क्या होगा?

    जब महात्मा ने गौर किया कि विद्यार्थी बिल्कुल नासीपास हो गया है तो उन्होंने कहा-

    एक समय की बात है भगवान ने 2 पौधे लगाए,

    एक पौधा बांस का और दूसरा furn का ।

    Furn वाला पौधा जल्दी से बड़ा हो गया लेकिन बांस का पौधा ज्यों का त्यों रहा।

    भगवान हिम्मत नहीं हारे। दूसरा साल भी ऐसे ही बिता।Furn

    का पौधा बहुत बड़ा हो गया। फिर भी भगवान हिम्मत नहीं हारे।

    थोड़े दिन बीत जाने पर बांस के पौधे में अंकुर फूटे और बांस का पेड़ आसमान छूने लगा।

    बांस के पेड़ को अपनी जड़े ज्यादा ताकतवर करने में थोड़े साल लग गए।

    महात्मा ने विद्यार्थी से कहा- यह आपका कड़ी मेहनत का समय, अपनी जड़े मजबूत करने के लिए है।

    आप इस समय को अमूल्य समझे। जैसे ही आप की जड़े मजबूत हो जाएगी आप आसमान को छूने लगोगे।

    बांस  ने अपनी तुलना furn से नहीं की। क्योंकि बांस को मालूम है

    की फर्न की जड़े बहुत कमजोर होती है। जरा सा तूफान आने पर उखड़ जाएगी। लेकिन अपनी जड़े इतनी मजबूत है कि बड़ा सा बड़ा तूफ़ान भी उसे डगमगा नहीं सकता।

    इसलिए विद्यार्थियों जीवन में कभी भी संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए। कड़ी से कड़ी मेहनत करके अपनी जड़ों को इतना स्ट्रांग बना ले के बड़े से बड़ा तूफान आपके फौलादी इरादों को कभी भी कमजोर ना कर सके।

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    inspirational stories in hindi for success-part 5

     



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