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  • Inspirational Short Stories Hindi That Can Change Life-8

    Inspirational Short Stories Hindi That Can Change Life-8

    Motivational hindi Story-1

    “आधी रोटी का कर्ज inspirational short stories

    पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि

     

    “”उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारे और मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।।

    बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा दे मारा अभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी ।

    पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ वह घर छोड़कर जाने लगी और जाते जाते पति से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है..??

    तब पति ने जो जवाब दिया उस जवाब को सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तो उसका मन भर आया पति ने पत्नी को बताया कि

    “”जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था

    मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और कहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में है

    बेटा तू खा ले मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता था कि मां मेरा पेट भर गया है मुझे और नही खाना है

    मां ने मुझे मेरी झूठी आधी रोटी खाकर मुझे पाला पोसा और बड़ा किया है

    आज मैं दो रोटी कमाने लायक हो गया हूं लेकिन यह कैसे भूल सकता हूं कि मां ने उम्र के उस पड़ाव पर अपनी इच्छाओं को मारा है,

    वह मां आज उम्र के इस पड़ाव पर किसी अंगूठी की भूखी होगी ….

    यह मैं सोच भी नही सकता तुम तो तीन महीने से मेरे साथ हो मैंने तो मां की तपस्या को पिछले पच्चीस वर्षों से देखा है…

    यह सुनकर मां की आंखों से छलक उठे वह समझ नही पा रही थी कि बेटा उसकी आधी रोटी का कर्ज चुका रहा है या वह बेटे की आधी रोटी का कर्ज…

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    Inspirational Story-2 “जीना इसी का नाम है!

    एक बार पचास लोगों का ग्रुप। किसी मीटिंग में हिस्सा ले रहा था।

    मीटिंग शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे 🏉देते हुए बोला , ” आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है। ” सभी ने ऐसा ही किया।

    अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया।

    स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा।

    सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे।

    पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…

    5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया।

    स्पीकर बोला , ” अरे! क्या हुआ , आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” ”

    नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”, एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला।

    “कोई बात नहीं , आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति का नाम पुकारे जिसका नाम उसपर लिखा हुआ है। “, स्पीकर ने निर्दश दिया।

    एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे , और कमरे में किसी तरह की अफरा- तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये।

    स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा ,” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है।

    हर कोई अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है , पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता ,

    हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है।

    जब तुम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जाओगे तो अपने आप ही तुम्हे तुम्हारी खुशियां मिल जाएँगी। और यही मानव-जीवन का उद्देश्य है ।

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    Inspiring Hindi Story-3

    “कहीं हम भी खूटियों से तो नहीं बंधे हैं?

    रेगिस्तानी मैदान से एक साथ कई ऊंट अपने मालिक के साथ जा रहे थे। अंधेरा होता देख मालिक ने एक सराय में रुकने का आदेश दे दिया।

    निन्यानवे ऊंटों को जमीन में खूंटियां गाड़कर उन्हें रस्सियों से बांध दिया मगर एक ऊंट के लिए खूंटी और रस्सी कम पड़ गई। सराय में खोजबीन की , पर व्यवस्था हो नहीं पाई।

    तब सराय के मालिक ने सलाह दी कि तुम खूंटी गाड़ने जैसी चोट करो और ऊंट को रस्सी से बांधने का अहसास करवाओ।

    यह बात सुनकर मालिक हैरानी में पड़ गया , पर दूसरा कोई रास्ता नहीं था , इसलिए उसने वैसा ही किया। झूठी खूंटी गाड़ी गई , चोटें की गईं।

    ऊंट ने चोटें सुनीं और समझ लिया कि बंध चुका है। वह बैठा और सो गया। सुबह निन्यानबे ऊंटों की खूटियां उखाड़ीं और रस्सियां खोलीं , सभी ऊंट उठकर चल पड़े , पर एक ऊंट बैठा रहा।

    मालिक को आश्चर्य हुआ – अरे , यह तो बंधा भी नहीं है , फिर भी उठ नहीं रहा है। सराय के मालिक ने समझाया – तुम्हारे लिए वहां खूंटी का बंधन नहीं है मगर ऊंट के लिए है।

    जैसे रात में व्यवस्था की , वैसे ही अभी खूंटी उखाड़ने और बंधी रस्सी खोलने का अहसास करवाओ। मालिक ने खूंटी उखाड़ दी जो थी ही नहीं , अभिनय किया और

    रस्सी खोल दी जिसका कोई अस्तित्व नहीं था। इसके बाद ऊंट उठकर चल पड़ा।

    न केवल ऊंट बल्कि मनुष्य भी ऐसी ही खूंटियों से और रस्सियों से बंधे होते हैं जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता। मनुष्य बंधता है अपने ही गलत दृष्टिकोण से , मिथ्या सोच से , विपरीत मान्यताओं की पकड़ से।

    ऐसा व्यक्ति सच को झूठ और झूठ को सच मानता है। वह दोहरा जीवन जीता है। उसके आदर्श और आचरण में लंबी दूरी होती है।

    इसलिए जरूरी है कि मनुष्य का मन जब भी जागे , लक्ष्य का निर्धारण सबसे पहले करे। बिना उद्देश्य मीलों तक चलना सिर्फ थकान, भटकाव और नैराश्य देगा , मंजिल नही।

    स्वतंत्र अस्तित्व के लिए मनुष्य में चाहिए सुलझा हुआ दृष्टिकोण, देश , काल , समय और व्यक्ति की सही परख , दृढ़ संकल्प शक्ति , पाथेय की पूर्ण तैयारी , अखंड आत्मविश्वास और स्वयं की पहचान।

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    Inspirational Hindi Story-4

    “हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ?

    एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं?

    शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया : हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं।

    संत ने मुस्कुराते हुए कहा : दोनों लोग एक दूसरे के काफी करीब होते हैं तो फिर धीरे-धीरे भी तो बात कर सकते हैं। आखिर वह चिल्लाते क्यों हैं?

    कुछ और शिष्यों ने भी जवाब दिया लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुद उत्तर देना शुरू किया।

    वह बोले : जब दो लोग एक दूसरे से नाराज होते हैं तो उनके दिलों में दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। जब दूरियां बढ़ जाएं तो आवाज को पहुंचाने के लिए उसका तेज होना जरूरी है।

    दूरियां जितनी ज्यादा होंगी उतनी तेज चिल्लाना पड़ेगा। दिलों की यह दूरियां ही दो गुस्साए लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर देती हैं। वह आगे बोले, जब दो लोगों में प्रेम होता है तो वह एक दूसरे से बड़े आराम से और धीरे-धीरे बात करते हैं।

    प्रेम दिलों को करीब लाता है और करीब तक आवाज पहुंचाने के लिए चिल्लाने की जरूरत नहीं। जब दो लोगों में प्रेम और भी प्रगाढ़ हो जाता है तो वह खुसफुसा कर भी एक दूसरे तक अपनी बात पहुंचा लेते हैं।

    इसके बाद प्रेम की एक अवस्था यह भी आती है कि खुसफुसाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। एक दूसरे की आंख में देख कर ही समझ आ जाता है कि क्या कहा जा रहा है।

    शिष्यों की तरफ देखते हुए संत बोले : अब जब भी कभी बहस करें तो दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें। शांत चित्त और धीमी आवाज में ही बात करें। ध्यान रखें कि कहीं दूरियां इतनी न बढ़ जाएं कि वापिस आना ही मुमकिन न हो।

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    कबूतर और इंसान

    एक प्राचीन मंदिर की छत पर कुछ कबूतर राजीखुशी रहते थे।जब वार्षिकोत्सव की तैयारी के लिये मंदिर का जीर्णोद्धार होने लगा तब कबूतरों को मंदिर छोड़कर पास के चर्च में जाना पड़ा।

    चर्च के ऊपर रहने वाले कबूतर भी नये कबूतरों के साथ राजीखुशी रहने लगे।

    क्रिसमस नज़दीक था तो चर्च का भी रंगरोगन शुरू हो गया।अत: सभी कबूतरों को जाना पड़ा नये ठिकाने की तलाश में।

    किस्मत से पास के एक मस्जिद में उन्हे जगह मिल गयी और मस्जिद में रहने वाले कबूतरों ने उनका खुशी-खुशी स्वागत किया।

    रमज़ान का समय था मस्जिद की साफसफाई भी शुरू हो गयी तो सभी कबूतर वापस उसी प्राचीन मंदिर की छत पर आ गये।

    एक दिन मंदिर की छत पर बैठे कबूतरों ने देखा कि नीचे चौक में धार्मिक उन्माद एवं दंगे हो गये।

    छोटे से कबूतर ने अपनी माँ से पूछा “” माँ ये कौन लोग हैं ?””

    माँ ने कहा “” ये मनुष्य हैं””।

    छोटे कबूतर ने कहा “” माँ ये लोग आपस में लड़ क्यों रहे हैं ?””

    माँ ने कहा “” जो मनुष्य मंदिर जाते हैं वो हिन्दू कहलाते हैं, चर्च जाने वाले ईसाई और मस्जिद जाने वाले मनुष्य मुस्लिम कहलाते हैं।””

    छोटा कबूतर बोला “” माँ एसा क्यों ? जब हम मंदिर में थे तब हम कबूतर कहलाते थे, चर्च में गये तब भी कबूतर कहलाते थे और जब मस्जिद में गये तब भी कबूतर कहलाते थे, इसी तरह यह लोग भी मनुष्य कहलाने चाहिये चाहे कहीं भी जायें।””

    माँ बोली “” मेनें, तुमने और हमारे साथी कबूतरों ने उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव किया है इसलिये हम इतनी ऊंचाई पर शांतिपूर्वक रहते हैं।

    इन लोगों को उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव होना बाकी है , इसलिये यह लोग हमसे नीचे रहते हैं और आपस में दंगे फसाद करते हैं।””

    Best Motivational Hindi Story -6

    डर के आगे जीत हैं

     

    बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक चूहा था जो हमेशा बिल्ली के डर से सहमा सहमा रहता था। बिल्ली के डर के कारन वो अक्सर अपने बिल में ही छुप कर रहता था, न तो अपने साथी चूहों के साथ खेलता और न ही बाहर निकलने का साहस जुटा पाता था।

     

    एक दिन एक बुजर्ग ने उस डरपोक चूहे को एक चमत्कारी स्वामी जी के बारे में बताया जो सबकी मदद करते थे। डरपोक चूहा बड़ी हिम्मत कर बिल के बाहर निकला और स्वामीजी के पास गया।

    चूहे ने अपनी समस्या स्वामी जी को बताई और मदद की गुहार लगाकर रोने लगा। स्वामी जी को उस चूहे पर दया आने लगी और उन्होंने उस चूहे को आशीर्वाद देकर अपने शक्ति से बिल्ली बना दिया।

     

    कुछ दिनों तक बिल्ली ठीक रही पर अब उसे कुत्तो का डर सताने लगा, वह फिर स्वामी जी के पास जाकर रोने लगा। स्वामी जी ने उसे अपनी शक्ति से कुत्ता बना दिया। कुत्ता बनने के बाद वह जंगल में शेर से डरने लगा। स्वामी जी ने उसे शेर बना दिया।

     

    शेर की ताकत और क्षमता होने के बावजूद अब वह शिकारी से डर-डर कर रहने लगा। वह फिर से स्वामीजी के पास गया और मदद की गुहार लगाने लगा।

    स्वामिजी ने शेर की बात सुनकर उसे फिर से चूहा बना दिया और कहा,” मै अपनी शक्ति से चाहे जो कर लू या तुम्हे जो बना दू फिर भी मै तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकता क्योंकि तुम्हारा दिल हमेशा उस डरपोक चूहे वाला ही रहेंगा।”

     

    यह सिर्फ एक कहानी नहीं है ! कही न कही हम सभी में से बहुत से लोगो की यही हकीकत है। आज हम सब किसी न किसी डर के खौंफ में जी रहे है।

    किसी को मौत का डर है, किसी को अपनों से बिछड़ने का, अस्वीकृति का, बॉस का या फिर असफल होने का डर है। डर नामक इस बीमारी की वजह से हम हम उस मुकाम तक नहीं पहुच पाते जिस के हम काबिल है। गब्बर ने भी सही कहा है,”जो डर गया समझो मर गया!”।

     

    आप जितना अपने डर से दूर भागेंगे वह उनता ही आप के पास आकर आप पर हावी हो जायेंगा। जिस दिन आप हिम्मत उठाकर उसका सामना करेंगे वह पल भर में गायब हो जायेंगा और तब आपकी समझ में आ जायेंगा की जिससे आप डर रहे थे वो केवल आप के मन का वहम है।

    अपने मन में बसे डर को दूर भगाकर आत्मविश्वास और मेहतन से आप अपनी हर मंजिल को हासिल कर सकते है।

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  • Inspirational Success Story In Hindi -6

    Inspirational Success Story In Hindi -6

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    Inspirational Success Story In Hindi

    कई साल पहले की बात है काफी खुशहाल एक राज्य था।  

    जहाँ के राजा हो या प्रजा दोनों बहुत ही खुश थे। ये राज्य हर दिन   प्रगति कर रहा था।

    राज्यमे कोई छोटा सा कृषिकार हो या बड़ा व्यापारी सभी अपने काम काज में मस्त थे।

     

    इस खुशहाल राज्य के राजा को बाज पक्षियों को पालने का अनोखा शौक था

     अपने विश्वासपात्र मंत्री को आदेश देकर दो बाज पक्षी लाने को कहा।

    राजा का  आदेश पाकर मंत्री पडोस के दूसरे राज्य में गया और वहां से दो बहुत ही सुन्दर बाज पक्षी को खरीदकर एक पिंजड़े में ले आया।

    एैसे सुंदर बाज पक्षियों को पाकर राजा काफी प्रसन्न हुआ और दोनों को आहिस्ता से पिंजड़े से बाहर निकाला।

    जिसमे से एक बाज पक्षी ने ऊँची उड़ान भरी क्योकि बाज पक्षी अपनी ऊँची उड़ान के लिए जाना जाता है और दूसरी तरफ दूसरा बाज पक्षी पास ही के एक वृक्ष की एक डाल पर जा बैठा।

    दूसरे दिन फिरसे उन दो बाज पक्षियों में से एक ने बहुत ऊँची उड़ान भरी और फिर से राजा के महल में वापिस आ गया लेकिन दूसरा बाज अपनी जगह से हिला तक नहीं।

    अब तीसरे दिन भी ऐसा ही हुआ की पहला बाज पक्षी ऊँची उड़ान भर कर वापिस आ गया लेकिन  दूसरा फिरसे अपने स्थान से हिला तक नहीं।

     

    अब राजा बहोत उलझन में पड़ गया ये क्या हो रहा है कुछ समज में नहीं आ रहा।

    राजा ने  मंत्री को फिरसे हुक्म दिया की जाओ किसी वैद्य या पक्षी विशेषज्ञ को बुलाकर लाओ। आदेश पाकर मंत्री अपने राज्य और पडोसी राज्य से बहुत सारे जानकार व्यक्तियो को लेकर वापिस  आया।

    सभी जानकार लोगो ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, कोई जंतर मंतर करता तो कोई झाड़ फूंक लेकिन कोई भी उस बाज पक्षी को वहा से हिलाने में सफल नहीं हुआ।

    अब राजा बहुत ज्यादा परेशान हो गए उसने राज्य में इनाम की घोषणा करा दी  थी की अगर कोई व्यक्ति दूसरे बाज को उड़ाने में सफल हुआ तो उसे सौ सोने की अशर्फिया दी जायेगी।

     

    ये  खबर जब  मुरली नाम के एक साधारण से लक्कड़हारे को पड़ी तो मुरली राजा के  महल में आया और राजा से अनुमति लेने लगा।

    राजा ने शंका भरी नजरो से देखा और उस लक्कड़हारे को आदेश दिया। अब मुरली ने अपना काम शुरू कर दीया।

    कुछ  देर बाद राजा भी ये  देखकर विस्मित हो गए की वह दूसरा बाज भी बहुत ही ऊँची उड़ान भरने लगा।

    पहले वाले बाज से भी कंही  ज्यादा ऊंची।

    राजा बहुत आश्चर्यचकित हुए की बड़े बड़े विद्वान जो ना कर सके ये काम इस साधारण से दिखने वाले लक्कड़हारे ने कैसे कर दिया।

    जब राजा ने उस लक्कड़हारे से पूछा की ये कैसे मुमकिन हुवा?

    तब मुरली ने अपने चहरे पर एक मुस्कान लाते हुए कहा की

    “राजाजी,यह तो बहुत ही सरल काम था ।

    सबसे पहले मैंने बाज को देखकर ये पता लगाया की ये उड़ क्यों नहीं रहा है।

    पेड़ की जिस डाल पर वह बैठा हुआ था वो डाल ही मैंने काट दी और अब बाज पक्षी के बैठने की जगह ना बची तो कोई विकल्प ना रहने पर वह उड़ने लगा।

    राजा ने उसे 100 सोने कि अशर्फिया दी और मुरली ख़ुशी ख़ुशी अपने घर  गया।



    इस कहानी का सार या  मतलब ये था की एक बाज जो की अपनी ऊँची उड़ान भरने के लिए जाना जाता है किन्तु पेड़ की एक डाल का मोहताज होने के कारण वह उड़ नहीं पा रहा था।  

     हमारी जिंदगी भी कुछ इसी तरह की है। हम सबके अंदर बहुत ही असीमित सम्भावनाओ का सागर भरा पड़ा है ,

    हम जो चाहे कर सकते है और जो चाहे पा सकते है किन्तु हमारे अंदर भी कुछ चीजों का मोह बैठा हुआ है हम भी कुछ चीजों के मोहताज है।

    इस मोह को ही कम्फर्ट जोन यानि आरामदायक क्षेत्र कहते है।

    ठीक उसी प्रकार जिस तरह वह दूसरा बाज बहुत ही ऊँची उड़ान भर सकता है लेकिन पेड़ की वह डाल को नहीं छोड़ना चाहता है।  

     हम भी अपने कम्फर्ट जोन को नहीं छोड़ पा रहे है इसीलिए सफलता हाथ नहीं लग रही है।

    आपका कम्फर्ट जोन आपका दुश्मन है।

     

    सबसे बड़ी विडंबना यह है कि, जब आप आराम से रहने की कोशिश करते हुए जीवन जीते हैं, तब जीवन आपको अधिक से अधिक असुविधाएं देगा।

     

     

     यह सच है, जीवन में आपको अधिक से अधिक समस्याएं आएंगी

                    जिंदगी तुमको चैलेंज करती रहेगी।

                    जीवन आपको प्रतिरोध, संघर्ष, समस्या देता रहेगा।

     

    क्योंकि लोग आगे बढ़ने और प्रगतिशील होने के बजाय आराम से रहने के बारे में चिंतित हैं, क्योंकि लोग अपनी सीमाओंमें बन्धे है,

    और उनसे आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं।

     

    यदि आप अपने आप को असहज नहीं करते हैं, तो जीवन आपको अपने   कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने के लिए बहुत सारे कारण देगा।

     

    इसलिए आपके पास दो विकल्पों में से एक है।

     

    एक मार्ग आपको सफलता की ओर ले जाता है और दूसरा मार्ग आपको निरंतर संघर्ष और पीड़ा की ओर ले जाता है।

    यह तुम्हारी पसंद है।



    • क्या आपको लगता है कि स्टीव जॉब्स ने Apple बारे में आराम महसूस करना शुरू कर दिया?

     

    • क्या आपको लगता है कि टोप एथलीट उच्च प्रदर्शन के बाद संतुष्ट हैं?

     

    • क्या आपको लगता है कि ऑस्कर विजेता अभिनेताओं ने उच्च उपलब्धि हासिल करने के बाद अपनी महेनत कम कर दी हैं?  नहीं।

    तो आप NETFLIX मैराथन के साथ  अपना समय बर्बाद क्यों कर रहे हैं?

     

    आपको कठोर निर्णय लेने के लिए तैयार होना होगा। लेकिन आप असहज महसूस करने के लिए तैयार हो गए हैं।

     

    अजीब महसूस करना, अस्वीकृति का सामना करना, असफल होना, दबाव महसूस करना।

    आपको उन चीजों का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए, जो आपके आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है।

     

    आपने अपने जीवन को कितनी बार देखा और कहा “यार, अगर मैं केवल इतना जानता कि अब मुझे क्या करना है, तो मैं अपने जीवन को अलग तरह से जीऊंगा”

     

    तो क्या यह संभव नहीं है, कि आप जो जीवन अभी जी रहे हैं, आप अलग तरह से जी रहे होंगे, यदि आपने एक ऐसी जागरूकता विकसित करना शुरू कर दी है जो वर्तमान में आपके पास नहीं है?



    अंदाजा लगाए?  आपके लिए ज्ञान और जागरूकता विकसित करने के लिए एकमात्र तरीका है कि आपको उन चीजों की कोशिश करनी है, जिन्हें आपने अभी तक कोशिश नहीं की है।  

    उन चीजों की कोशिश करनी चाहिए जिन्हें आपने अभी तक नहीं किया है, उन चीजों की कोशिश करनी चाहिए जिन्हें आपने अभी तक नहीं बनाया है, उस जगहों पर जाना चाहिए जहां आप अभी तक नहीं  गयै है।

     

     तुम ऐसे ही  विकसित होगे!

     

    जीवन आपको उन चीजों का अनुभव करने से दूर नहीं होने देता है जिन्हें आपने अभी तक अर्जित नहीं किया है।

     

     

     

    मैं दृढ़ता से सुझाव देता हूं कि आप उन लोगों को कॉल करना शुरू कर दें,  आप उस व्यक्ति से संपर्क करना शुरू कर दें,

    आप ईर्ष्या और लालच से अधिक दया और करुणा का अभ्यास करना शुरू कर दें, ताकि आप अपनी चिंता का सामना कर सकें,

    आपको कठिन अध्ययन करते रेहना चाहिए, आपको सुबह जल्दी जागना शुरू कर देना चाहिए ,

    भले ही आप एक सुबह के व्यक्ति न हों, कि आप अपनी शिथिलता को नष्ट कर दें।

     

    आपको उन चीजों को करना शुरू कर देना चाहिए, जिनके बारे में आप जानते हैं, जो आपको पसंद हैं,

    आपको बहुत समय पहले ये काम शुरू कर देना चाहिए था, क्योंकि आप उन अनुभवों और ज्ञान का निर्माण शुरू कर सकते हैं, जो आपको सफल होने मैं आवश्यक है।

     

    यही मैं आपको सुझाव देता हूं।



    आपके लिए असुविधाजनक होने का समय है, आपके लिए फिर से सपने देखना शुरू करने का समय है,

    और जो आपका हमेशा से था, उसके बाद शुरू करना है, जिनको आपने बहुत लंबे समय तक अनदेखा किया हैं।



    और मैं वादा करता हूं, जब आप अपने आप को असुविधा में धकेलते हैं, तब आपके दोस्त नोटिस करेंगे, आपके सहकर्मी नोटिस कर लेंगे,

    आपका परिवार नोटिस कर  लेगा, LIFE नोटिस करेंगी, जीवन आपको वापस आगे बढ़ने में मदद करेगा।

    जीवन आपको समर्थन देना शुरू कर देगा, और आपके लिए दरवाजे खोल देगा, आपको उन लोगों से मिलवाएगा जो आपको अगले स्तर पर ले जाएंगे,

    लेकिन आपको पहला कदम उठाना होगा! इसलिए कदम उठा लें।

     

    पहला कदम ले लो और अपने जीवन को उज्जवल बनाओ।

     

    खेल के नए स्तरों को आप के लिए प्रकट करो और देखो कि तुम उस व्यक्ति जेसे विकसित होते हो, जिसे तुम हमेशा बनना चाहते हो।



    यह सब आपके कम्फर्ट जोन के बहार आने का इंतजार कर रहे हैं। इससे बहार आ जाओ।आ जाओ यार बहार ज़िन्दगी आपका इन्तजार कर रही है……..

    तो दोस्तो कुछ भी हो अपना कम्फर्ट जोन हमें छोड़ना ही पड़ेगा तो ही जिंदगी में हम जो भी चाहे वो हासिल कर सकते है।

    inspiring stories in hindi for success-part 3

    Motivational story in hindi about life part-4

     

    motivational hindi story for success-2 

    Inspirational Success Story In Hindi

    आज  मैं रिक्शे से अपने घर आया .

     

    मैंने उस रिक्शे वाले से पूछा- भाई आपके बच्चे हैं?

    यदि आप बुरा न मानें तो, कुछ  कपड़े मैं उनके लिए

    दे दूँ.. आप उसको  पहनाओगे क्या?

     

    रिक्शेवाले ने कहा – जी साहब,आप इतना प्यार से कहेते हो तो..

     

    मैंने कहा –  मेहरबानी करके आप घर के अंदर आ जाओ

    यहां सोफे पर बैठो

    मैं अभी  कपड़े लेकर आता हूँ ।

     

    जब तक मैं कपड़े लेकर वापस लौटा  वो बाहर ही खड़ा रहा !

    ये देख मैंने उससे  कहा -भाई बैठ जाओ और

    देख लो

    जो कपड़े आपके काम आए….ले लो…

     

    कांपते हुए वो सोफे पर बैठ गया ..शायद उसे बुखार भी था

    इसलिए उसका शरीर थोड़ा कांप रहा था।

    मैंने विनम्रता से कहा -आप को ज्यादा ठण्ड लग रही है तो चाय बना दूँ ..आपको राहत मिलेगी….

    आप पी लो ..

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    ये सुनते ही उसकी आँखो से आंसू बहने लगे

     

    बोला नहीं साहब बहुत टाइम से रिक्शा चला रहा हूँ.. लेकिन

    आजतक ऐसा कोई नहीं मिला जो,इतनी इज़्ज़त दे

    हम जैसे लोगो को!!!..

    और ये जो कपड़े हैं ना जो आप लोग हम जैसे जरूरतमंद को देते हैं हम लोग इसको हररोज़ न पहन कर किसी रिश्तेदार या किसी कि शादी- पार्टी में पहन कर जाते हैं । बहुत ग़रीबी है साहब ।

     

    एक  हफ़्ते बाद घर जाऊंगा तब मेरे  बच्चे ये कपड़े पहनकर बहुत दुआ देंगे साहब ये बात सुनते ही मन बोझिल सा हो गया..

    फ़िर मन में सही खयाल आया…

    मंदिर -मस्जिद में दान करने से तो भला  किसी जरूरतमंद की जरूरत पूरी की जाएँ…

    क्या खबर क्या पता

    क्या ख़ुशी है, गम है क्या

    ले के आँसू जो हँसी दे

    ग़म के बदले जो ख़ुशी दे

    राज़ ये जाना उसी ने

    ज़िन्दगी क्या है ज़िन्दगी

    क्या खबर क्या पता…

    आप सबका  क्या खयाल है?? ?

    Motivational story in hindi for success-part 1

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    Inspirational Success Story In Hindi

    रिया लव मैरिज कर ने के बाद अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से बोली पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली,

    ये सुनकर पापा काफी गुस्सें में थे, लेकिन वो बहुत समजदार शख्स थे,

    उसने सिर्फ अपनी बेटी से इतना ही कहा, मेरे घर से निकल जाओं, रिया ने कहा अभी लड़के के पास कोई काम नही हैं,

    हमें थोड़े दिन रहने दीजिए हम बाद में चलें जाएगें, पर उसके पापा ने एक नही सुनी और उसे घर के बहार का रास्ता दिखा दिया…….

    कुछ साल निकल गयें, अब रिया के पापा इस दुनिया में नही रहें, और कमनसीबी से जिस लड़के ने रिया से शादी की वो भी उसे धोखा देकर भाग गया,

    रिया की एक लड़की एक लड़का था, रिया खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन का गुजारा हो रहा था………

    रिया को जब ये खबर हुई के अब उसके पापा नही रहें, तो वह मन ही मनमे खुश हुई क्यूकी मुजे घर से निकाल दिया था, भटकने के लिए….

    मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुजे घर नही बुलाया, मैं तो नही जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा रिया ऐसा मत करो, जाने वाला शख्श तो चला गया…..

    अब उनसे दुश्मनी कैसी, सोनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलों हो आती हूं, देखू तो जिन्होने मुजे ठुकराया वो मरने के बाद कैसे सुकून पाता हैं……………

    रिया जब अपने पापा के घर आयी तो सब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहें थें, पर रिया को उनके मरने का कोई दुख नही था, वो तो बस अपने ताऊजी के कहने पर आयी थी,

    अब रिया के पापाकी अंतिमयात्रा शुरू हुई, सब रो रहें थे पर रिया दूर खड़ी हुई थी, जैंसे तैसे सब क्रिया पूरी हुई।

    आज रिया के पापा की तेरहवी थी, उसके ताऊ जी आए और रिया के हाथ में एक खत देते हुये कहा, ये तुम्हारे पापा ने तुम्हें दिया हैं, हो सके तो इसे पढ़ लेना………….

    रात हो चुकी थी सारें मेहमान घर जा चुके थे, रिया ने वो खत निकाला और पढ़ने लगी,

    उसने सबसे पहले लिखा था, मेरी प्यारी गुड़िया मुजे पता हैं, तुम मुजसे नाराज हो, पर मुजको माफ कर देना,

    मैं जानता हूं, तुम्हें मैंने घर से निकाला था, तुम्हारे पास रहने की जगह नही थी, तुम दर_दर की ठोकरे खा रही थी, पर मैं भी उदास था, तुम्हें कैसे बताऊँ,,,,,,

    “याद हैं तुम्हें जब तुम सात साल की थी, तब तुम्हारी माँ हमें छोड़ के चली गयी थी,

    तब तुम कितना रोती थी, डरती थी, मेरे बिना सोती नही थी, रातों को उठकर रोती थी, तब मैं भी सारी रात तुम्हारे साथ जागता था,

    तुम जब स्कूल जाने से डरती थी, तब मैं भी सारा वक्त तुम्हारे स्कूल की खिडकी पर खड़ा होता था, और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी,

    तुम्हें सीने से लगा लेता था, वो कच्चा_पक्का खाना याद हैं, जो तुम्हें पसंद नही आता था, मैं उसे फेंक कर फिर से तुम्हारे लिए नया बनाता था,

    ताकी तुम भूखी ना रहों, याद हैं  जब तुम्हें बुखार आया था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था, अंदर ही अंदर रोता था, पर तुम्हें हंसाता था, की तुम ना रोओ वरना मैं रो पड़ता था,

    वो पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा जब तुम रात भर पढ़ती थी, तो मैं सारी रात तुम्हें चाय बनाकर देता था,

    याद है तुम्हें जब तुम पहली बार कालेज गयी थी, और तुम्हें लड़को ने छेड़ा था, तो मैं तुम्हारे साथ कालेज गया और उन बदतमीज लड़को से भीड गया,

    उम्र हो गयी थी, और मैं कमजोर भी, कुछ चोटे मुजे भी आयी थी, पर हर लड़की की नजर में पापा हीरों होते हैं, इसलिए अपना दर्द सह गया…………….

    “याद हैं तुम्हें वो तुम्हारी पहली जीन्स वो छोटे कपड़े, वो गाड़ी, सारी कालोनी एकतरफ थी की ये सब नही चलेगा, लड़की छोटे कपड़े नही पहनेगी, पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था,

    किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नही दिया, तुम्हारा वो रातों को देर से आना, डिस्को जाना, लड़को के साथ घूमना, इन सब बातों को कभी मैंने गौर नही किया,

    क्यूकि जिस उम्र में थी उस उम्र मे ये सब थोड़ा बहुत होता हैं, ………………….

    पर एक दिन तुम एक अनजान लड़के से शादी कर आयी,

    वो भी उस लड़के से जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी मालूम नही था, तुम्हारा पापा हूं,

    मैंने उस लड़के के बारे मे सब पता किया, उसने ना जाने वासना और पैंसे के लिए कितनी लड़कियों को धोखा दिया, पर तुम तो उस वक्त प्रेम में अंधी थी,

    तुमने एक बार भी मुजसे नही पूछा, और सीधा शादी कर के आ गयी, मेरे कितने अरमान थें, तुम्हें डोली में बिठाऊ, चाँद, तारों की तरह तुम्हें सजाऊ,

    ऐसी धूमधाम से शादी करूँ की लोग बोल पड़े वो देखों शर्माजी जिन्होने अपनी बच्ची को इतने नाजों से अकेले पाला हैं, पर तुमने मेरे सारे ख्वाब तोड़ दियें, “खैर” इन सब बातों का कोई मतलब नही हैं,

    मैंने तो तुम्हारें लिए खत इसलिए छोड़ा है की कुछ बात बता सकूं…………………

    मेरी “गुड़िया” आलमारी में तुम्हारी माँ के गहने और मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदें तो वो सब रखें हैं, तीन चार घर और कुछ जमीन है

    मैंने सब तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर दी हैं, कुछ पैसें बैंक में है तुम बैंक जाकर उसे निकाल लेना,

    “_और आखिरी में बस इतना ही कहूंगा गुडिया काश तुमने मुजे समझा होता मैं तुम्हारा दुश्मन नही था, तुम्हारा पापा था, वो पापा जिसने तुम्हारी माँ के मरने के बाद भी,

     

    दूसरी शादी नही की लोगो के ताने सुने, गालियाँ सुनी, ना जाने कितने रिश्तें ठुकराए पर तुम्हें दूसरी माँ से कष्ट ना हो इसलिए खुद की ख्वाहिशें मार दी…………………..

    अंत में बस इतना ही कहूंगा मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के जोड़े पर घर आयी थी ना,

    तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था, तुम्हारे माँ के मरने के वक्त भी उतना नही रोया जितना उस वक्त और उस दिन से हर दिन रोया इसलिए नही की समाज_जात_परिवार_रिश्तेदार क्या कहेंगें,,,

    इसलिए वो जो मेरी नन्ही सी गुड़िया सु_सु तक करने के लिए, सारी रात मुजे उठाती थी, पर जिसने शादी का इतना बड़ा फैसला लिया पर मुजे एक बार भी बताना सही नही समझा,

    गुड़िया अब तो तुम भी माँ हो औलाद का दर्द खुशी सब क्या होता हैं, वो जब दिल तोड़ते हैं तो कैसा लगता हैं, ईश्वर तुम्हें कभी भी ये दर्द की शक्ल ना दिखाए,

    एक खराब पिता ही समझ के मुजे माफ कर देना मेरी गुड़िया, तुम्हार पापा अच्छा नही था,

    जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया, अब खत यही समाप्त कर रहा हूं, हो सकें तो माफ कर देना, और खत के साथ एक ड्राइंग लगी थी

    जो खुद कभी रिया ने बचपन में बनाई थी, और उसमें लिखा था आई लव यू मेरे पापा मेरे हिरो मैं आपकी हर बात मानूंगी, ………………..

    रिया रो ही रही थी, उतने में उसके ताऊजी आ गयें, रिया ने उन्हें रोते_रोते सब बताया, पर एक बात उसके ताऊजी ने बताई, उसके ताऊजी ने कहा,

    रिया वो जो तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैंसे मैंने नही दियें थें, वो पैंसे तुम्हारे पिताजी ने मुजसे दिलवाए थें,

    क्यूकि औलाद चाहें कितनी भी बुरी, माँ_बाप कभी बुरे नही होतें, औलाद चाहें माँ_बाप को छोड़ दे माँ_बाप मरने के बाद भी अपने बच्चों को दुआ देते हैं,

    दोस्तों रिया के पापा को सुकून मिलेगा या नही मुजे नही पता, पर उस खत को पढ़ने के बाद, शायद सारी जिंदगी, रिया को सुकून नही मिलेंगा …………………

    ______बस इतना ही कहूंगा, आखिर में दोस्तों, लव मैरिज शादी करना कोई गलत बात नही, पर यही अपने माँ_पिताजी की मर्जी शामिल कर लें, पत्थर से पानी निकल जाता हैं,

    वो तो माँ_बाप है ना कब तक नही टूटेंगें अपने बच्चों की खुशी के लिए, हर बाप की एक इच्छा होती हैं अपनी बेटी को अपने हाथों से डोली में विदा करने की हो सकें तो उसे एक सपना मत रहने दीजिए।  

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    Inspirational Success Story In Hindi

    सरिता का रिजर्वेशन जिस कोच में था,

    उसमें सभी लड़के ही थे ।

    टॉयलेट जाने के बहाने सरिता पूरी बोगीमें चक्कर लगा अायी।

    मुश्किल से दो या तीन महिलाएं होंगी ।

    दिल अज्ञात भय से काँप सा गया ।

    सरिता जिंदगीमे पहली बार अकेली सफर कर रही थी,

    तो पहले से ही घबराई हुई थी।

    इसलिए खुद को सहज रखने के लिए चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी ।

    नवयुवकों का ग्रुप जो शायद किसी कैम्प जा रहे थे, के हँसी – मजाक , चुटकुले सरिताकी हिम्मत को और भी तोड़ रहे थे ।

    सरिता के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे – धीरे गुजरने लगी ।

    अचानक सामने के सीट पर बैठे एक लड़के ने कहा —

    ” हेलो , मैं साहिल और आप ? “

     

    भय से पीली पड़ चुकी सरिता ने कहा –” जी मैं ………”

    “कोई बात नहीं , नाम मत बताना ।

     

    ये बताइए कहा जा रहीं हैं आप ?”

     

    सरिता ने धीरे से कहा–“कानपुर”

     

    “क्या कानपुर… ?

    वो तो मेरा नानी -घर है।

    इस रिश्ते से तो आप मेरी बहन लगीं ।

    खुश होते हुए साहिल ने कहा ।

    और फिर साहिल कानपुर की अनगिनत बातें बताता रहा कि उसके नाना जी काफी ख्यातनाम व्यक्ति हैं ,

    उसके दोनों मामा सेना के उच्च अधिकारी हैं और बहोत सारी नई – पुरानी बातें ।

     

    सरिता भी धीरे – धीरे सामान्य होकर उसकी बातों में रूचि लेती गई ।

     

    सरिता रात भर साहिल जैसे भाई के सुरक्षित साए के ख्याल से निश्चिंत सोती रही।

     

    सुबह सरिता  ने कहा – ” लीजिये मेरा पता रख लीजिए , कभी नानी घर आइये तो मुझे जरुर मिलने आइयेगा ।”

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    ” कौन सा नानी घर बहन ?

    वो तो मैंने आपको डरते देखा तो झूठ – मूठ के रिश्ते बनाता रहा ।

    मैं तो पहले कभी कानपुर आया ही नहीं ।”

    “क्या….. ?” — चौंक उठी सरिता ।

     

    “बहन ऐसा नहीं है कि सभी लड़के बुरे ही होते हैं,

    कि किसी अकेली लड़की को देखा नहीं कि उस पर भेड की तरह टूट पड़ें ।

    हमारे बीच  पिता और भाई भी तो  होते हैं ।”

     

    कह कर प्यार से उसके सर पर हाथ रख मुस्कुरा उठा साहिल ।

     

    सरिता साहिल को देखती रही जैसे कि कोई अपना भाई उससे विदा ले रहा हो सरिता की आँखें भीग चुकी थी…

     

    तभी जातेजाते साहिल  ने सरिता से कहा, और हा बहन मेरा नाम साहिल नही विनायक  है….!

     

    काश…. इस जगत मे सब ऐसे हो जाये…

    न कोई ज्यादती ,न अत्याचार , एक भय मुक्त समाज का स्वरूप हमारा देश,हमारा प्रदेश, हमारा शहर, हमारा मुल्क,हमारा गांव

    जहाँ सभी बहन ,बेटियों,खुली हवा में चैन की सांस ले सकें

    निर्भय होकर कहीं भी कभी भी आ जा सके जहाँ पर हर कोई एक दूसरे का मददगार हो….

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  • Motivational story in hindi about life part-4

    Motivational story in hindi about life part-4

     Motivational story in hindi about life

     inspiring hindi Story -1

    सुनील करीब 18 साल का एक लड़का था और मुंबई की एक सोसाइटी में रहता था।

    सुनील के पिता का छोटा कारोबार था। जिससे वह अपना गुजारा करते थे।

    सुनील वैसे तो देखा जाए तो बहुत भला लड़का था लेकिन उसमें एक बुरी आदत घर कर गई थी और वह आदत थी फिजूलखर्ची की।

    सुनील बार-बार अपने पिता से पैसे मांगा करता और बाद में पैसे मौज शौक और फिल्में देखने में उड़ा देता।

    एक बार पिता ने सुनील को कहा, बेटा तुझे नहीं लगता कि अब तू बड़ा हो गया है और तुझे अपनी जिम्मेदारियों का अच्छी तरह से एहसास होना चाहिए।

    बार-बार तुम मुझसे पैसे मांगते रहता है और जहां जी में आए वहां उड़ा देता है क्या यह ठीक है?

    ऐसा सुनकर सुनील बेफिक्र होकर बोला, पिताजी आप भी ना

    मैं कहां आपके पास से हजारों रुपए लेता हूं।

    थोड़े से पैसों के लिए आप मुझे इतना बड़ा ज्ञान दे रहे हैं?! इतने पैसे तो मैं कभी भी आपको वापस कर सकता हूं। सुनील नाराज हो गया।

    सुनील की बात सुन के पिताजी को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन उसको पता लग गया था कि अब डांट फटकार से कुछ बात

    बनेगी नही। पिताजी ने कहा यह तो तूने बहुत अच्छी बात कही चले ऐसा कर तू मुझे हर रोज का 1 ₹ ला कर दे दिया कर।

    सुनील खुश हो गया और अपने आप को विजेता मानकर वहां से चल दिया।

    अगले दिन सुनील जब पिताजी के सामने आया तो उसको देखते ही पिता जी बोले बेटा याद है ना मेरा 1 ₹?

    पिता की बात सुनकर सुनील जरा चमक गया फिर संभलते हुए जल्दी से अपनी दादी मां से 1₹ लेकर वापस आया।

    ये लो पिताजी आपका एक रुपया। इतना कहते हुए उसने 1₹ पिताजी को दे दिया।

    उसे लेते ही पिताजी ने सिक्का जलती हुई भट्ठी में डाल दिया।

    अरे पिताजी आपने ये  क्या किया और क्यों किया?

    सुनील हैरान रह गया।

    पिताजी मुस्कुरा कर बोले , मैं चाहे जो भी करूं तुझे इससे क्या मतलब?

    सुनील ने ज्यादा दलील नहीं की और बिना कुछ कहे वहां से चला गया।

    अब अगले दिन फिर से सुनील के पिता ने उससे 1₹  मांगा तो इस बार सुनील ने अपनी मां से पैसा मांग कर दे दिया।

    कई दिनों तक ऐसे ही होता रहा सुनील रोज अपने कोई दोस्त, जान पहचान वाले, सगे संबंधी से पैसे ले लेता और पिताजी को दे देता और पिताजी सिक्के को बड़े आराम से भट्ठी के हवाले कर देते।

    अब रोज की आदत से तंग लोग सुनील को पैसे देने से कतरा ने लगे।

    सुनील को अब फिक्र होने लगी पिताजी को वह क्या मुंह दिखाएगा।

    धीरे-धीरे समय बीतता गया सुनील को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि करे तो क्या करें? सिर्फ ₹1 ना दे पानी की शर्मिंदगी का अहसास वह झेलना नहीं चाहता था। तभी उसे एक मजदूर दिखा

    जो किसी मुसाफिर को हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे से लेकर कहीं जा रहा था।

    सुनील ने उसे कहा भैया कृपया आप मुझे थोड़ी देर के लिए यह रिक्शा खींचने दोगे? उसके बदले में मैं तुमसे बस फक्त 1 ₹ लूंगा।

    थके हुए रिक्शा वाले ने जल्दी से हां कह दी।

    अब सुनील रिक्शा खींचने लगा लेकिन यह काम उसने जितना सोचा था इतना आसान नहीं था।

    थोड़ी देर में उनकी हथेलियों में छाले पड़ गए, हाथ पांव फूल गए। जैसे तैसे करके उसने अपना काम पूरा किया और बदले में जिंदगी में अपनी कमाई का 1₹ कमाया।

    आज पिताजी के पास पहुंचते वक्त उसके चेहरे पर अलग ही भाव थे। पिताजी के पास पहुंच कर उसने बड़े गर्व से 1₹ पिताजी के हाथ में दिया।

    हर रोज की तरह पिताजी ने रुपया लेते ही उसे भट्टी में फेंकने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया

    सुनील चिल्लाया, आप ऐसा नहीं कर सकते आपको पता है यह मेरे पसीने की कमाई है।

    फिर सुनील ने पूरी घटना सुनाई।

    पिताजी आगे बढ़े और सुनील को अपने गले से लगाया।

    अब बात समझ में आई बेटा इतने दिनों से मैं सिक्के को जब फेंक रहा था तब तूने मुझे एक बार भी नहीं रोका।

    लेकिन आज जब तूने अपनी मेहनत की कमाई को आदमी जाते देखा तो तुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ ठीक वैसे ही जब तू मेरी मेहनत की कमाई को फिजूल खर्चे में उड़ाता था तो मुझे इतनी ही तकलीफ होती थी।

    इसलिए पैसे की कीमत समझ बेटा कभी भी पैसे बर्बाद नहीं करनी चाहिए चाहे वह तुम्हारे हो या किसी और के।

    अब सुनील को पिता की बात समझ में आ चुकी थी उसने तुरंत ही पिता से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी।

    आज उसे ₹1 की कीमत समझ आ चुकी थी और उसने मन ही मन में संकल्प कर लिया कि अब वह कभी भी पैसे की बर्बादी नहीं करेगा।

    Motivational story in hindi for success-part 1

     

    Motivational story in hindi about life

      inspirational story about life-2

     

    सरिता परबतो  की कठिन व लम्बी सफर के बाद तराई में पहुंची। उसके दोनों ही किनारों पर गोलाकार, अण्डाकार व बिना किसी निश्चित आकार के कई पत्थरों का ढेर सा लगा हुआ था।

    वह पर दो पत्थरों के बीच आपस में परिचय बढ़ने लगा।

    दोनों एक दूसरे से अपने मन की बातें कहने-सुनने लगे।

     

    उनमेंसे एक पत्थर एकदम गोल-मटोल, चिकना व अत्यंत आकर्षक था जबकि दूसरा पत्थर बिना किसी निश्चित आकार का अनाकर्षक था।

     

    एक बार इनमें से बेडौल, खुरदरे पत्थर ने चिकने पत्थर से पूछा, ‘‘हम दोनों ही दूर ऊंचे पर्वतों से बहकर आए हैं फिर तुम  इतने गोल-मटोल, चिकने व आकर्षक क्यों हो जबकि मैं नहीं?’’

     

    यह सुनकर चिकना पत्थर बोला, “पता है शुरुआत में मैं भी बिलकुल तुम्हारी तरह ही था लेकिन उसके बाद मैं निरंतर कई सालों तक बहता और लगातार टूटता व घिसता रहा हूं…

    ना जाने मैंने कितने तूफानों को झेला है… कितनी ही बार नदी के तेज थपेड़ों ने मुझे चट्टानों पर पटका है…तो कभी अपनी धार से मेरे शरीर को  काटा है… तब जाकर मैंने ये रूप पाया है।

     

    तुझे पता है? मेरे पास हमेंशा ये विकल्प था कि मैं इन कठनाइयों से बच जाऊं और आराम से एक किनारे पड़ा रहूँ…पर क्या ऐसे जीना भी कोई जीना है?

    नहीं, मेरी नज़रों में तो ये मौत से भी बदतर है!

     

    तु भी अपने इस रूप से निराश मत हो… तुझे अभी और संघर्ष करना है और निरंतर संघर्ष करते रहा तो एक दिन तु मुझसे भी अधिक सुंदर, गोल-मटोल, चिकने व आकर्षक बन जाएगा।

     

    क्यो स्वीकारे उस रूप को जो हमारे अनुरूप ना हो… तुम आज वही हो जो मैं कल था…. कल तुम वही होगे जो मैं आज हूँ… या शायद उससे भी बेहतर!”, चिकने पत्थर ने अपनी बात पूरी की।

     

    संघर्ष में इतनी ताकत होती है कि वो इंसान के जीवन को बदल कर रख देता है।

    आज आप चाहे कितनी ही विषम परिस्थति में क्यों न हों… संघर्ष करना मत छोड़िये…. अपने प्रयास बंद मत करिए. आपको बहुत बार लगेगा कि आपके प्रयत्नों का कोई फल नहीं मिल रहा लेकिन फिर भी प्रयत्न करना मत छोडिये।

    और जब आप ऐसा करेंगे तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो आपको सफल होने से रोक पाएगी।

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Motivational story in hindi about life

     Motivational Story for success-3

     

    आदरणीय गुरुजी,

     

    मैं श्याम  हूँ, आपका पुराना छात्र. शायद आपको मेरा नाम भी याद ना हो, कोई बात नहीं, हम जैसों को कोई क्या याद रखेगा|

    मुझे आज आपसे कुछ कहना है सो ये चिट्ठी डाक बाबु से लिखवा रहा हूँ|

     

    गुरुजी जब   मैं पांच साल का था जब मेरे पिताजी ने आपकी शाला में मेरा दाखिला कराया था.

    उनका कहना था कि सरकारी स्कूल जाऊँगा तो पढना-लिखना सीख जाऊँगा और बड़ा होकर मुझे उनकी तरह मजदूरी नहीं करनी पड़ेगी,

    दो वक़्त की रोटी के लिए तपते शरीर में भी दिन-रात काम नहीं करना पड़ेगा…

    अगर मैं पढ़-लिख जाऊँगा तो इतना कमा पाऊंगा कि मेरे बच्चे कभी भूखे पेट नहीं सोयेंगे!

     

    मेरे पिता ने कुछ ज्यादा तो नहीं सोचा था गुरु जी…कोई गाडी-बंगले का सपना तो नहीं देखा था

    वो तो बस इतना चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिख कर बस इतना कमा ले कि अपना और अपने परिवार का पेट भर सके और उसे उस दरिद्रता का सामना ना करना पड़े जो उन्होंने आजीवन झेली …!

     

    लेकिन पता है मास्टर जी मैंने उनका सपना तोड़ दिया, आज मैं भी उनकी तरह मजदूरी करता हूँ,

    मेरे भी बच्चे कई-कई दिन बिना खाए सो जाते हैं… मैं भी गरीब हूँ….अपने पिता से भी ज्यादा !

     

    शायद आप सोच रहे हों कि मैं ये सब आपको क्यों बता रहा हूँ ?

     

    क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूँ उसके लिए आप जिम्मेदार हैं !

     

    मैं स्कूल आता था, वहां आना मुझे अच्छा लगता था, सोचता था खूब मन लगा कर पढूंगा,

    क्योंकि कहीं न कहीं ये बात मेरे मन में बैठ गयी थी कि पढ़ लिख लिया तो जीवन संवर जाएगा…इसलिए मैं पढना चाहता था…लेकिन जब मैं स्कूल जाता तो वहां पढाई ही नहीं होती.

     

    आप और अन्य अध्यापक कई-कई दिन तो आते ही नहीं…आते भी तो बस अपनी हाजिरी लगा कर गायब हो जाते…या यूँही बैठ कर समय बिताते…..

    कभी-कभी हम हिम्मत करके पूछ ही लेते कि क्या हुआ गुरु जी आप इतने दिन से क्यों नहीं आये तो आप कहते कुछ ज़रूरी काम था!!!

     

    आज मैं आपसे पूछता हूँ, क्या आपका वो काम हम गरीब बच्चों की शिक्षा से भी ज़रूरी था?

     

    आपने हमे क्यों नहीं पढाया गुरुजी…क्यों आपसे पढने वाला मजदूर का बेटा एक मजदूर ही रह गया?

     

    क्यों आप पढ़े-लिखे लोगों ने मुझ अनपढ़ को अनपढ़ ही बनाए रखा ?

     

    क्या आज आप मुझे वो शिक्षा दे सकते हैं जिसका मैं अधिकारी था?

     

    क्या आज आप मेरा वो बचपन…वो समय लौटा सकते हैं ?

     

    नहीं लौटा सकते न ! तो छीना क्यों ?

     

    कहीं सुना था कि गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊँचा होता है, क्योंकि माता-पिता तो बस जन्म देते हैं पर गुरु तो जीना सिखाता है!

     

    आपसे हाथ जोड़ कर निवेदन है, बच्चों को जीना सिखाइए…उनके पास आपके अलावा और कोई उम्मीद नहीं है …उस उम्मीद को मत तोड़िये…

    आपके हाथ में सैकड़ों बच्चों का भविष्य है उसे अन्धकार में मत डूबोइए…पढ़ाइये…रोज पढ़ाइये… बस इतना ही कहना चाहता हूँ!

     

    क्षमा कीजियेगा !

    श्याम।

     

    This post is for those teachers, Who thinks teaching is their job. But it’s not,

    Teaching is their responsibility towards children’s and towards our nation.

    This motivational story in hindi about life.

     

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    कमाल अरबी नस्ल का एक शानदार घोड़ा था। वह अभी एक साल का ही था और रोज अपने पिता – “राजा” के साथ ट्रैक पर जाता था।



    राजा घोड़ों की बाधा दौड़ का चैंपियन था और कई सालों से वह अपने मालिक को सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार का खिताब दिला रहा था।

     

    एक दिन जब राजा ने कमाल को ट्रैक के किनारे उदास खड़े देखा तो बोला, ” क्या हुआ बेटा तुम इस तरह उदास क्यों खड़े हो?”

     

    “कुछ नहीं पिताजी…आज मैंने आपकी तरह उस पहली बाधा को कूदने का प्रयास किया लेकिन मैं मुंह के बल गिर पड़ा…मैं कभी आपकी तरह काबिल नहीं बन पाऊंगा…”

     

    राजा कमाल की बात समझ गया। अगले दिन सुबह-सुबह वह कमाल को लेकर ट्रैक पर आया और एक लकड़ी के लट्ठ की तरफ इशारा करते हुए बोला-

    ” चलो कमाल, ज़रा उसे लट्ठ के ऊपर से कूद कर तो दिखाओ।”

     

    कमाल हंसते हुए बोला, “क्या पिताजी, वो तो ज़मीन पे पड़ा है…उसे कूदने में क्या रखा है…मैं तो उन बाधाओं को कूदना चाहता हूँ जिन्हें आप कूदते हैं।”

     

    “मैं जैसा कहता हूँ करो।”, राजा ने लगभग डपटते हुए कहा।

     

    अगले ही क्षण कमाल लकड़ी के लट्ठ की और दौड़ा और उसे कूद कर पार कर गया।

     

    “शाबाश! ऐसे ही बार-बार कूद कर दिखाओ!”, राजा उसका उत्साह बढाता रहा।

     

    अगले दिन कमाल  उत्साहित था कि शायद आज उसे बड़ी बाधाओं को कूदने का मौका मिले पर राजा ने फिर उसी लट्ठ को कूदने का निर्देश दिया।

     

    करीब एक हफ्ते ऐसे ही चलता रहा फिर उसके बाद राजा ने कमाल से थोड़े और बड़े लट्ठ कूदने की प्रैक्टिस कराई।

     

    इस तरह हर हफ्ते थोड़ा-थोड़ा कर के कमाल के कूदने की क्षमता बढती गयी और एक दिन वो भी आ गया जब राजा उसे ट्रैक पर ले गया।

     

    महीनो बाद आज एक बार फिर कमाल उसी बाधा के सामने खड़ा था जिस पर पिछली बार वह मुंह के बल गिर पड़ा था… कमाल ने दौड़ना शुरू किया…

    उसके टापों की आवाज़ साफ़ सुनी जा सकती थी… १…२…३….जम्प….और कमाल बाधा के उस पार था।

     

    आज कमाल की ख़ुशी का ठिकाना न था…आज उसे अन्दर से विश्वास हो गया कि एक दिन वो भी अपने पिता की तरह चैंपियन घोड़ा बन सकता है और इस विश्वास के बलबूते आगे चल कर कमालभी एक कमाल का चैंपियन घोड़ा बना।

     

    दोस्तों, बहुत से लोग सिर्फ इसलिए goals achieve नहीं कर पाते क्योंकि वो एक बड़े challenge या obstacle को छोटे-छोटे challenges में divide नहीं कर पाते।

    इसलिए अगर आप भी अपनी life में एक champion बनना चाहते हैं…

    एक बड़ा लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं तो systematically उसे पाने के लिए आगे बढिए…

    पहले छोटी-छोटी बाधाओं को पार करिए और ultimately उस बड़े goal को achieve कर अपना जीवन सफल बनाइये।

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  • inspiring stories in hindi for success-part 3

    inspiring stories in hindi for success-part 3

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    inspiring stories in hindi for success

    एक गांव में एक आदमी सुबह सुबह तालाब की ओर मछली पकड़ने की झाल लेकर निकल पड़ा था।

    तालाब के पास पहुंचने पर उसे एहसास हुआ कि अभी प्रकाश पूरा फैला नही है।

    थोड़ी देर मस्त वातावरण में इधर उधर टहलता रहा।

    अचानक उसका पैर एक बड़े झोले से टकराया।

    आश्चर्य से उसने उस में हाथ डाला तो उसे पता चला कि झोले में

    एक से बढ़कर एक चमकदार पत्थर थे। अंधेरा होने की वजह से उसे तो कुछ पता नहीं था बस टाइम पास करने के लिए उसने उसमें से एक के बाद एक पत्थर नदी में फेंकना शुरू कर दिया।

    थोड़ी देर में उसने झोला लगभग खाली कर दिया।

    जब आखरी एक पत्थर बचा था तब पूरा सवेरा हो चुका था।

    सुबह के उजाले में उसने पाया कि अंतिम पत्थर जो उनके हाथ में था वह बहुत ही चमकीला था।

    पत्थर के चमकीले पन को बस देखते ही रह गया। वह कोई मामूली पत्थर नहीं था बल्कि अमूल्य हीरा था।

    जब उसे मालूम हुआ कि तालाब में अब तक उसने जिसको पत्थर समझ कर फेंक दिया वह सारे के सारे अनमोल हीरे थे तब वह  चीख चीख कर रोने लगा।

     वह बार-बार अपने हाथ में पकड़े हुए अंतिम हीरा जिसको वह पत्थर समझ रहा था उसके लिए व अंधेरे को दोष दे रहा था।

    तालाब के किनारे दुखी होकर बैठ गया तभी उस वक्त वहां से एक साधु निकले।

    उसके पास से सारी हकीकत जानने पर साधु ने उसे कहा अरे इसमें रोने की क्या बात है? तेरा सब कुछ कहा लूट गया है?

    तू तेरी जात को नसीबदार समझ क्योंकि तेरा बहुत बड़ा नसीब है कि आखरी हीरा फेंकने से पहले ही उजाला हो गया वरना ये हीरा भी तेरे हाथों से जाने ही वाला था।

    इस मूल्यवान हीरे की कीमत तुझे पता है? इस एक हीरे से भी तेरी जिंदगी का नक्शा बदल सकता है।

    अब जो तेरे बस की बात नहीं है उस पर चीखने चिल्लाने से क्या फायदा अब जो तेरे हाथ में है उसकी खुशी तुझे मनानी चाहिए।

    साधु की बात सुनकर उसका मन कुछ हल्का हुआ वह प्रसन्न चित्त से घर वापस आ गया।

    Moral: दोस्तो, जो बीत गया सो बीत गया। जो बात हमारे बस की नहीं है उस पर शोक मनाने से हमारे हाथ में क्या आएगा?

    लेकिन जो भी हमारे पास है उसको हमें लाइफ में सेलिब्रेट करना सीखना चाहिए। हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध काव्य पंक्ति है।

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    जो बीत गई सो बात गई

     

    जीवन में एक सितारा था

    माना वह बेहद प्यारा था

    वह डूब गया तो डूब गया

    अम्बर के आनन को देखो

    कितने इसके तारे टूटे

    कितने इसके प्यारे छूटे

    जो छूट गए फिर कहाँ मिले

    पर बोलो टूटे तारों पर

    कब अम्बर शोक मनाता है

    जो बीत गई सो बात गई। इस बात को हमें जिंदगी भर याद रखना चाहिए।

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    एक सोसायटी में बहुत ही नेक दिल एक इंसान रहता था। बहुत ही परिश्रमी और प्रामाणिक था।

    जो भी उसके संपर्क में आता था वह सभी लोग उसके अच्छे व्यवहार से बहुत खुश हो जाते थे और उसकी दिल खोलकर तारीफ करते थे।

    एक दिन वह अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस वक्त उसने रास्ते में अपने मोहल्ले के कुछ लोगों को गपशप करते सुना।

    ध्यान से सुनने पर उसे पता चला के वे लोग उसके बारे में ही बातें कर रहे थे।

    अब उससे रहा नहीं गया उसको लगा के यह लोग निश्चित ही उसकी तारीफ करते होगे चुपचाप वह उन लोगों के पीछे जाने लगा, लेकिन जब उसे पता चला कि यह लोग तो प्रशंसा करने की जगह उसकी बुराई कर रहे थे|

    कोई कहता था यह इंसान तो बहुत ही अभिमानी है। तो कोई बोल रहा था कि यह तो अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और है। कुछ लोग उसे ढोंगी बता रहे थे।

    तो कुछ लोग सिर्फ दिखावा कह रहे थे।

    यह सारी बातें सुनकर उस इंसान के दिल पर बहुत गहरी चोट लगी। क्योंकि आज तक उसने अपने बारे में ऐसा कभी नहीं सुना था।

    उसका दिमाग सुन्न हो गया था। जहां भी जाता और किसी को बातें करते देखता तो उसे दाल में कुछ काला ही नजर आता था।

    उसके दिमाग में एक ग्रंथि बंध गई थी के लोग उसके बारे में

    बुरा सोच रहे हैं, बुरा बोल रहे हैं।

    ऐसी नकारात्मक सोच का असर ऐसा पड़ा कि कभी-कभी तो जब उसकी प्रशंसा की जाती थी तब भी उसे ऐसा ही लगता था कि लोग उनकी मजाक उड़ा रहे हैं।

    अब ऐसी सोच की वजह से आसपास के सभी लोगों को ऐसे लगने लगा कि मोहन में कुछ बड़ा परिवर्तन आ गया है और उसकी वाइफ भी अपने पति के ऐसे बदलाव से बहुत आश्चर्य में थी।

    एक बार उसने उसे पूछा आप इतने बदले बदले से क्यों लग रहे हो क्या इसकी वजह मैं जान सकती हूं?

    उसने उदास मन से जो कुछ भी हुआ था वह सब बता दिया।

    पत्नी ने कई देर तक सोचा और बाद में उसे याद आया कि शहर में एक प्रेरणात्मक सेमिनार होने वाला था। वहां पर एक से बढ़कर एक वक्ता आने वाले थे।

    उसने अपने पति को इस सेमिनार के बारे में बताया और कहा कि यह सेमिनार हमें जरूर अटेंड करना चाहिए हमारी समस्या का कुछ ना कुछ हल निकल आएगा।

    दूसरे दिन वे सेमिनार में पहुंचे।

    कार्यक्रम के दौरान इस इंसान ने अपनी बात वक्ता के सामने रखी।

    उसने बताया कि अब लोग पहले जैसे नहीं रहे सभी लोग मेरे

    बारे में गलत सोचते हैं। मैं अब अच्छा इंसान नहीं रहा। आप बताइए मुझे कि पहले की तरह मैं अपनी क्रेडिट कैसे प्राप्त कर सकता हूं?

    वक्ता को पूरी बात समझ में आ चुकी थी।

    उसने उसको पास के एक गांव की शिविर में भेजा… और कहा कि आप वहीं पर रात के समय ठहरना।

    उसने सारी रात शिविर में बिताई दूसरे दिन जब वक्ता से बात हुई तो वक्ता ने उससे पूछा आप की रात कैसे गुजरी?

    तब उस इंसान ने कहा कि रात को जब मैं सोने जा रहा था अचानक ही शिविर के पास के तालाब में से कई सारे मेंढक की कर्कश आवाज आ रही थी।

    रात के समय मेंढकोने  इतना हो हल्ला मचा रखा था कि मैं पूरी रात सो भी नहीं पाया।

    मुझे इस बात का आश्चर्य हो रहा है कि इतने  कोलाहल में गांव के लोग कैसे सो पाते हैं?

    तभी वक्ता बोला, अब हो भी क्या सकता है? क्या आप से कुछ होगा?

    उसने कहा इतना कोलाहल सुनने पर तो लगता है कि मेंढको की संख्या एक दो नहीं लेकिन हजारों में होगी।

    मैं जितने हो सके उतने मजदूरों को लेकर कल आता हूं और सभी मेंढकोको पकड़कर दूर नदी में छोड़ा आता हू।

    अगले दिन वह इंसान कई सारे मजदूरों को लेकर वहां आ गया था और वह वक्ता अभी खड़े खड़े यह सब कुछ देख रहा था।

    छोटे से तालाब में सब मजदूरों ने मिलकर जाल डालकर मेंढ़को को पकड़ना शुरू किया। देखते ही देखते कई सारे मेंढक पकड़ लिए गए।

    जब उस इंसान ने देखा के ज्यादा से ज्यादा 90- 100 मेंढक ही पकड़े गए हैं तो वह बोला कि कल रात तो इस तालाब में हजारों की संख्या में मेंढक थे।

    रात के समय सारे के सारे कहां चले गए? और बस इतने ही बचे हैं?

    अब वक्ता ने उसे समझाते हुए कहा, सभी मेंढक यहीं के यहीं है।

    तुमने कल यही सारे मेंढको की ध्वनि सुनी थी।

    यह सारे मिलकर इतना हो हल्ला मचा रहे थे कि तुम्हें इसकी संख्या हजारों में लगी।

    अब आप ध्यान से समझो इसी प्रकार जब तुम अपने आसपास के कुछ ही लोगों को अपने बारे में भला बुरा बोलते सुना तो तुम भी

    बहुत बड़ी गलती कर बैठे। तुम्हें ऐसा लगने लगा कि जो कोई भी तुम्हारे संपर्क में आ रहा है वह हर आदमी तुम्हारे बारे में गलत सोच रहा है, गलत बोल रहा है।

    अब जो लोग ऐसा बोल रहे थे उसकी संख्या इस  मेंढकोकी संख्या जितनी ही थी।

    अब अगली बार किसी को अपने बारे में भला बुरा बोलते सुनो तो इतना ध्यान में रखना  हो सकता है कि बहुत थोड़ी संख्या में लोग आपके बारे में ऐसा बोल रहे हो।

    और हां एक बात और चाहे तुम कितने भी अच्छे इंसान क्यों ना हो समाज में कोई तो ऐसा होगा ही जो तुम्हारी बुराई करेगा ही करेगा।

    अब उस इंसान की आंखें खुल चुकी वह फिर से अपने पुराने व्यक्तित्व की तरफ लौट जाने की एक नई दिशा उसे मिल गयी थी|

    Moral:  दोस्तों हमें भी इस इंसान की तरह हमारे आस पास के और समाज के कुछ लोगों के व्यवहार को सभी लोगों से नहीं जोड़ना चाहिए। एक हिंदी फिल्म के गाने की बहुत ही असरदार पंक्तियां है…….

    .कुछ तो लोग कहेंगे

    लोगों का काम है कहना

    छोड़ो बेकार की बातों में                  inspiring stories in hindi for success

    कहीं बीत ना जाये रैना

    कुछ तो लोग कहेंगे

     

    कुछ रीत जगत की ऐसी है

    हर एक सुबह की शाम हुई

    कुछ रीत जगत की ऐसी है

    हर एक सुबह की शाम हुई

    तू कौन है तेरा नाम है क्या

    सीता भी यहाँ बदनाम हुई

    फिर क्यों संसार की बातों से

    भीग गए तेरे नैना।

    जीवन में यह बात हमेशा याद रखना दोस्तों हम जो हैं वह हम हैं जो लोग कह रहे हैं वह हम नहीं।

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    inspiring hindi Story-3

    एक बार एक आदमी बैंक में पैसे निकालने गया। बैंक में बहुत भीड़ थी जब उसकी बारी आई तो बैंक के कैशियर में औसत पेमेंट कर दी।

    वह आदमी पैसों को थैले में रखकर वहां से चल दिया उसने करीब 200000 रुपए बैंक से निकाले थे। लेकिन बैंक के कैशियर ने गलती से उसे 210000₹ दे दिए थे।

    लेकिन उसने ऐसा जताया के उसको कुछ पता ही नहीं है और पैसे चुपचाप अपने पास रख लिए।

    उसके दिमाग में कई तरह के विचार आ रहे थे। उसने सोचा कि इसमें मेरा क्या दोष है फिर उसके मन में आया क्यों उसे यह पैसे लौटा देना चाहिए।

    लेकिन फिर से विचार बदला उसने सोचा यदि मैं गलती करके किसी को ज्यादा पैसे दे देता हूं तो मुझे भला कोई लौटाएगा?

    बार बार उसके मन के ख्याल बदलते रहे थोड़ी देर ऐसा ख्याल आता था कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग में से कोई ना कोई नई चीज बाहर निकल कर आती थी।

    पैसे वापस ना देने के हजार बहाने मिलते थे।

    लेकिन हर इंसान के अंदर सिर्फ शैतानी दिमाग ही नहीं होता लेकिन अपने दिल की आवाज भी होती है।

    रुक रुक कर उसके दिल में से आवाज आ रही थी? क्या ऐसा करना ठीक है?

    दूसरे की गलती का फायदा उठाकर खुद बेईमान ना होने का दिखावा करते हो क्या यही तुम्हारी इंसानियत है?

    उसके दिल और दिमाग के बीच कशमकश कई देर तक चली।

    अचानक उसने थैले में से ₹10000 निकाल लिए और बैंक की ओर प्रस्थान किया।

    अब उसका  बेचैन मन शांत होने लगा था चेहरे पर प्रसन्नता के भाव थे। वह अपने आप को एक वैचारिक बीमारी से मुक्त पाया हुआ समझता था।

    उसके चेहरे पर इतनी प्रसन्नता थी मानो उसने कोई बड़ी जंग जीत ली हो।

    बैंक पहुंचकर देखा तो कैशियर थोड़ी चिंता में दिख रहा था।

    जब इस आदमी ने उसको ₹10000 वापस लौटाए तब जाकर

    कैशियर ने चैन की सांस ली।

    अपनी जेब से 500 का एक नोट निकाल कर उसने उसके हाथ में थमा या और कहा अरे भाई आप तो बहुत बड़े नेक दिल इंसान हो।

    आज मेरी तरफ से आपके बच्चों को कुछ मिठाई खिला देना।

    मेहरबानी करके ना मत बोलना।

    तब उस आदमी ने कहा के आभार आप को नहीं मुझे आपका व्यक्त करना चाहिए…. और मैं आपको मुंह मीठा कराऊंगा।

    बैंक के कैशियर ने आश्चर्य से पूछा अरे भाई, आप किस वजह से ऐसा कर रहे हो?

    तब उस आदमी ने कहा मैं इस बात के लिए आपका आभारी हूं कि यह ₹10000 ने मुझे अपने अंदर झांकने का मौका दिया।

    आज मेरे दिल और दिमाग की परीक्षा हुई। आपकी गलती ने मुझे जीवन का सबसे बड़ा गुण सिखाया।

    आज मेरी अंदर बुराई पर अच्छाई की जीत हुई… और यह सब आपकी वजह से हुआ इसलिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।          inspiring stories in hindi for success

    Moral-

    दोस्तो, समाज में दो तरह के लोग हैं एक ऐसे लोग जो अपनी प्रमाणिकता का पुरस्कार और प्रशंसा पाने का मौका नहीं गवाते।

    और ऐसे लोग भी है जो दूसरों को पुरस्कृत करते हैं।

    लेकिन हमारे जीवन में प्रामाणिकता का कोई पुरस्कार नहीं होता।

    प्रमाणिकता अमूल्य है, प्रामाणिकता और इमानदारी अपने आप में ही एक बहुत बड़ा पुरस्कार है। ऐसे मौके पर अपने आप को कंट्रोल करना एक बहुत बड़ी चैलेंज होती है।

    अपने अंतरात्मा में झांकने का अवसर जिंदगी में हमें कभी कभी ही मिलता है। हमें ऐसे सुनहरे अवसर को गवाना नहीं चाहिए लेकिन ऐसे अवसर को उत्सव में बदल देना चाहिए।

    Remember:Honesty is such a lonely word

    Everyone is so untrue

    Honesty is hardly ever heard

    And mostly what I need from you.

    Motivational story in hindi about life part-4

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    inspirational stories in hindi for success-part 5




     

     

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  • Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

    Story-1

    Inspirational short stories about life in hindi

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    शिक्षक समीर जोशी कई दिनों के बाद अपने दोस्त की मुलाकात करने उसकी दुकान पर आए।

    कई दिन हो गए थे समीर को मिले इसलिए उसको देखते ही दोस्त के चेहरे पर खुशी छा गई। दोनों ने बातों का पिटारा खोल दिया।

    चाय नाश्ता कर लेने के बाद समीर बोला दोस्त में एक बात पूछूं

    इससे पहले जब भी मैं यहां आया यहां कस्टमर बहुत ज्यादा हुआ करते थे। हमें बात करने का समय भी नहीं मिलता था।

    लेकिन आज मैं देख रहा हूं कि कस्टमर का यहां पर तो अकाल पड़ा हुआ है। दुकान में वर्कर्स भी पहले के मुकाबले बहुत कम दिखाई दे रहे हैं।

    दोस्त ने समीर की बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा, अरे जाने दे यार, हमने मार्केट के चढ़ाव उतार को देखा है। आज मंदी है तो कल तेजी होगी।

    इस बात पर समीर थोड़ा असहज हुआ और बोला, दोस्त ऐसी बातों को इग्नोर मत कर। इस बात का तुझे भी पता है की तेरी आस पास कपड़े की सात आठ दूसरी नई दुकानें हुई है।

    स्पर्धा काफी है और तेरी दुकान तो…….

    समीर की बातों को हवा में उड़ाते हुए दोस्त मजाकिया लहजे में बोला, नई दुकाने होने से मुझे क्या फर्क पड़ेगा? एैसे तो कहीं आते हैं और चले जाते हैं….

    समीर को पता लग गया था कि यह बहुत टेढ़ा इंसान है ऐसे नहीं समझेगा।

    उसने अपने दोस्त को थोड़े दिनों के बाद अपने घर पर बुलाया।

    जब दोस्त थोड़े दिनों के बाद उनके घर पहुंचा तो शिक्षक समीर ने

    गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। थोड़ी देर चाय नाश्ता और बातें होती रही बाद में समीर उसको अपने घर में बनी प्रयोगशाला में ले गया।

    दोस्त, आज मैं तुझे एक अनोखा और रसप्रद प्रयोग दिखाता हूं। समीर ने एक पात्र में गरम पानी लिया और उसमें एक मेंढ़क को डाला।

     गर्म पानी के कांटेक्ट में आते ही मेंढक सतर्क हो गया और छलांग लगाकर भाग निकला।

    फिर समीर ने पात्र से गर्म पानी फेंक कर उसमें ठंडा पानी भरा।

    एक बार फिर मेंढक को उस में डाला। बहुत ही स्वाभाविक था मेंढक उसमें आराम से तैरने लगा।

    तभी समीर ने एक अनोखा काम किया, उसने पात्र को उठाकर

    एक गैस बर्नर पर रख दिया और बहुत ही धीमी आंच पर पानी गर्म करने लगा।

    थोड़ी देर में पानी गर्म होने लगा मेंढ़क को थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन मेंढक अपने आप को पात्र में गर्म हुए पानी के तापमान के हिसाब से एडजस्ट करता गया।

    जैसे जैसे पानी गर्म होता गया वैसे-वैसे मेंढक अपने शरीर के तापमान को एडजस्ट करता गया और आराम से पढ़ा रहा।

    लेकिन जब एक हद से ज्यादा पानी गर्म हो गया और उबलने लगा तब मेंढक को लगा कि अब मेरी जान को खतरा है। तब उसने पूरे जोरों से बाहर कूदने की कोशिश की

    लेकिन बार-बार खुद को एडजस्ट करते करते उसके शरीर की काफी एनर्जी वेस्ट हो चुकी थी और अब अपने आप को बचाने के लिए नहीं उसके पास कोई शक्ति बची थी और ना ही समय बचा था देखते ही देखते उबलते पानी ने मेंढक की जान ले ली।

    प्रयोग देखने के बाद दोस्त बोला-

    यार तूने यह क्या किया मेंढ़क को यूहीं मार क्यों दिया?

    और मुझे यह सब दिखाने कि  क्या जरूरत थी?

    समीर बोला, इस मेंढक को मैंने नहीं मारा उसने खुद को मारा है।

    अगर वह बदलती हुई परिस्थिति में बार-बार अपने आप को एडजस्ट नहीं करता और उससे बचने के कुछ उपाय ढूंढता तो वह आसानी से बच जाता।

    और रही बात तुझे बताने की तो तू भी इसी मेंढक की तरह इस वक्त परिस्थिति में से बाहर निकलने का सोच नहीं रहा और ऐसे ही अपना बिजनेस चला रहा है।

    तेरा कारोबार कितना बड़ा है और तू बाजार की परिस्थितियों को समझ ही नहीं रहा और बस ऐसा ही सोचे जा रहा है की यह सब अपने आप हो जाएगा।

    लेकिन जिंदगी में एक बात याद रखना दोस्त अगर तू आज हो रहे बदलाव के अनुसार अपने आप को ढाल नहीं सका तो इसी तरह इस मेंढक के जैसे कल को संभालने के लिए न तो तेरे पास कोई शक्ति बचेगी और नहीं तेरे पास वक्त बचेगा।

    शिक्षक समीर की बात ने उसकी आंखें खोल दी। उसने अपने दोस्त को गले लगाया और प्रॉमिस किया फिर एक बार वह

    पहले की तरह  बिजनेस लीडर बनकर दिखाएगा।

    दोस्तो समीर सर के उस दोस्त की तरह कई लोग अपनी जिंदगी में अपने आसपास हो रहे किसी भी बदलाव को नजरअंदाज करते रहते हैं। दूसरे लोग अपनी जिन क्षमताओं के कारण नौकरी के लिए चुने जाते हैं बस उसी पर अटके रहते हैं खुद में कुछ भी बदलाव नहीं करते। अपने आप को अपडेट करना उसे याद आता ही नहीं। कई लोग सालों से जिस ढंग से अपना धंधा कर रहे होते हैं बस उसी तरीको को पकड़ कर बैठे रहते हैं और बाद में बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है।डार्विन का Fitness for survival याद रखो।

    दोस्तों यदि आप भी इस गलती को अपनी जिंदगी में दोहरा रहे हो तो सतर्क हो जाइए और इस कहानी से बोध लेते हुए अपने आसपास हो रहे किसी भी परिवर्तन के प्रति अलर्ट रहें

    ताकि परिवर्तन की बड़ी से बड़ी आंधी भी आप जो भी क्षेत्र में काम कर रहे हो उसकी जड़ों को हिला ना पाए।

    Story-2 Inspirational short stories about life in hindi

    एक डॉक्टर साहब शीघ्र गति से हॉस्पिटल के एक वॉर्ड में दाखिल हुए। एक इमरजेंसी केस होने की वजह से उसे तुरंत बुलाया गया था। अंदर आते ही उसने पाया के जिस लड़के का अकस्मात हुआ था उनके स्वजन बड़ी आतुरता से उनकी राह देख रहे थे।

    डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता उन पर बरस पड़ा,

    क्या एैसे निभाते हैं अपना फर्ज़? जब जी चाहे चले आते हो

    अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो आपको तो मैं छोड़ने वाला नहीं

    डॉक्टर एकदम शांत चित से सुनते रहे फिर बड़ी विनम्रता से बोले

    मुझे क्षमा कीजिए, मैं यहां नहीं था। और इमरजेंसी का कॉल मिलने के बाद जितना भी हो सके उतनी जल्दी से मैं यहां पहुंचा हूं। मेहरबानी करके आप लोग शांति रखिए ताकि मैं ठीक से इसका इलाज कर सकूं।

    अरे आप हमें शांत होने को कह रहे हो? लड़के के पिता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। क्या इस समय अगर आप मेरी जगह पर होते तो आप चुप रहते? शांत रहने की सलाह देना

    सरल है लेकिन जिस पर बीत रही हो उसी को पता होता है।

    आप लोगों के पास मानव ह्रदय जैसी कोई चीज ही नहीं होती।

    दया की भावना ही मर चुकी है…. आप सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोचते  रहते हो… पिताजी बस बोलते ही रहे……

    डॉक्टर ने कहा… यदि भगवान ने चाहा तो सब कुछ अच्छा हो जाएगा आप लोग प्रार्थना कीजिए मैं ऑपरेशन के लिए जा रहा हूं।

    इतना कहते ही डॉक्टर चले गए।

    Motivational story in hindi for success-part 1

    Inspirational short stories about life in hindi

    बाहर लड़के के पिता की छटपटाहट अभी भी चालू थी…

    कैसे निर्दयी  लोग होते हैं …. अपने आप को बहुत बड़ा समझते हैं…. सुफियानी सलाह देते हैं…

    लगभग 2 घंटे के बाद जब डॉक्टर बाहर निकले…  उनके चेहरे पर मुस्कान थी और बोले…आपके बेटे को अब कोई खतरा नहीं है… भगवान का लाख-लाख शुक्र …

    इतना सुनते ही लड़के के स्वजन की खुशी का ठिकाना ना रहा…

    उन्होंने डॉक्टर से पूछा… उनको अस्पताल से छुट्टी कब मिलेगी?

    लेकिन बिना कुछ जवाब दिए डॉक्टर बिजली की रफ्तार से वापस चले गए… इसी सवाल को नर्स से पूछा गया…

    लड़के के पिता ने नर्स से कहा…यह डॉक्टर तो बहुत अभिमानी है… हमारे सवाल को मानो सुना ही नहीं और ऐसे ही चल दिया…

    अब नर्स का सब्र टूट गया… उसकी आंखों में आंसू आ गए.. गला रूंध गया… और बोली.. आज सुबह की बात है जब एक भयावह अकस्मात में डॉक्टर साहब के लड़के की.. मौत हो गई..

    जब हमने उन्हें आपके लड़के की परिस्थिति के बारे में बताएं यार तब वे अपने बेटे के  अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे।लेकिन आपके लड़के की परिस्थिति जानकार वे फौरन यहां चले आए।

    अपने दुख को एक बाजू रखकर उसने आपके बेटे की जान बचाई और अब वह अपने लाडले की अंतिम क्रिया के लिए वापस घर जा रहे हैं।

    इतना सुनते ही लड़के के स्वजन  और पिता की काटो तो खून न निकले ऐसी हालत हो गई। लड़के के पिता को अपने बोले हुए एक एक शब्द  लोहे के हथौड़े की तरह, उन पर ही बार कर रहे थे।

     Moral- दोस्तों कई बार हम किसी भी परिस्थिति को पूरी तरह जाने बिना उस पर हमारी प्रतिक्रिया दे देते हैं।

    हमें सबसे पहले हर किसी की हालत और परिस्थिति को जाना चाहिए समझना चाहिए और बाद में हमें बोलना चाहिए।

    कई बार हम बिना जाने समझे अनजाने में ही उसको ही ठेस पहुंचा देते हैं…. जो इंसान हमारे भले के लिए सोच रहा हो।

    inspiring stories in hindi for success-part 3

    Story-3 Inspirational short stories about life in hindi 

    सातवीं कक्षा के सभी स्टूडेंट काफी उमंग में थे। इस बार उन्हेंवन्य जीवन दिखाने के लिए ले जाया जा रहा था। सही वक्त पर सभी स्टूडेंट पिकनिक का सारा सामान और मौज मजा मस्ती करने के लिए बिल्कुल तैयार थे।

    पिकनिक की बसमे सब ने अपनी अपनी जगह ले ली और थोड़े  ही घंटे में बस वन्य जीवन पार्क पर पहुंच गई।

    वहां सब बच्चों को एक बड़े कैंटर में बिठाया और एक गाइड उन्हें वन्य जीवन पार्क दिखाने के लिए जंगल में ले गया।

    प्रिंसिपल भी स्टूडेंट को अपने आसपास के परिसर और विविध प्राणी पशु पक्षी के बारे में स्टूडेंट को बहुत ही रोचक जानकारियां दे रहे थे। बच्चे भी बहुत इंटरेस्ट से प्रिंसिपल की बात सुन रहे थे।

    बच्चों के लिए यह बिल्कुल नया एक्सपीरियंस था। वे कई सारे वन्य जीव और जंगली पशु पक्षियों को देख कर आनंदित हो गए थे।

    रोमांचक सफर चालू था कि तभी अचानक गाइडने सभी विद्यार्थियों को शांत रहने को कहा,….चू,…..प आप सब बिल्कुल शांत रहिए और मैं जो दिखाने जा रहा हूं वह एक बहुत ही अनोखा

    और दुर्लभ दृश्य है। एक मादा जिराफ इस वक्त अपने बच्चे को

    जन्म दे रही है….

    सभी स्टूडेंट बड़े रोमांच से उस दृश्य को देखने लगे। मादा जिराफ की हाइट काफी थी।

    जन्म लेते ही बच्चा बहुत ऊंचाई से जोर से जमीन पर गिरा और उसने गिरते ही अपने  पांव अंदर की तरफ मोड लिए।

    बच्चे को लगा के अभी भी व नई दुनिया में नहीं है

    अपनी मां की कोख में ही है।

    मां नीचे झुककर बच्चे को बड़े प्यार से देखने लगी। अपनी लंबी जीभ से उसको चाटने लगी।

    सभी विद्यार्थी एक्साइटमेंट से देख रहे थे… अचानक ही कुछ ऐसी अनोखी घटना हुई जिसके बारे में विद्यार्थी सोच भी नहीं सकते थे… मादा जिराफ ने अपने बच्चे को

    बहुत ही जोर से एक लात मारी और बच्चा अपनी जगह से दूसरी ओर पलट गया।

    सभी स्टूडेंट चिल्ला उठे सर जी, आप उस मादा जिराफ का कुछ कीजिए  वरना यह तो बच्चे को जान से मार डालेगी।

    प्रिंसिपल की ओर से कोई जवाब नहीं मिला सब लोग फिर उस दृश्य को आतुरता से देखने लगे।

    बच्चा अपनी जगह से बड़ी मुश्किल से उठने का प्रयत्न कर रहा था तभी एक बार फिर मादा जिराफ ने उसे जोर से दूसरी लात मारी। इस लात के प्रहार से बच्चा अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ

    और जैसे तैसे करके चलने लगा। देखते ही देखते मादा जिराफ और उसका बच्चा जंगल में अदृश्य हो गए।

    ऐसा दृश्य देखकर सभी विद्यार्थी आश्चर्यचकित थे और उसने सर से पूछा कि वह मां अपने ही बच्चे को इतनी बेरहमी से लात क्यों मार रही थी.. अगर उसके बच्चे को ज्यादा लग जाता और उसको कुछ यदि हो जाता तो?

    अब प्रिंसीपल बोले मेरी बात ध्यान से सुनो…

    जंगल में कई हिंसक और खूंखार प्राणी होते हैं। यहां पर इस बच्चे का जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि…..

    वह अपनी जिंदगी बचाने के लिए जितनी जल्दी हो सके इतनी जल्दी अपने पैरों पर चलना सीख ले अगर वह ऐसा नहीं कर सकता तो उसकी जान पर खतरा मंडराता रहेगा।

    अगर मादा जिराफ उसे यहां पर इसी अवस्था में पड़े रहने देती और उसको लात नहीं मारती तो शायद यह बच्चा अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था और कोई भी हिंसक प्राणी उसे अपना शिकार बना कर खा जाता।

    Moral:

    यह सिर्फ कहानी नहीं है दोस्तों जरा ध्यान से सोचो हमारे मां-बाप भी जिंदगी में हमें कई बार डांटते हैं, कभी कभी भला बुरा कह देते हैं…. स्वाभाविक है हमें अच्छा नहीं लगता|

    लेकिन अब इस कहानी से जोड़कर यदि हम सोचे तो अपने मां बाप की डांट की वजह से आज हमारी जिंदगी में हम जो कुछ भी है वह बन पाए हैं

    इसलिए दोस्तों हमें हमारी जिंदगी में कभी भी हमारे घर में अपने से बड़ों की सख्ती को दिल में ना लेते हुए उसके पीछे जो आपका भला करने की उनके हृदय की भावना है , उसके बारे में सोचना चाहिए।

    Motivational story in hindi about life part-4

    नम्र विनंती- आपको यदि कोई ऐसी घटना या प्रसंग याद हो कि जिस में घर के बड़ों के कहने के कारण किसी के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया हो….

    और उसकी जिंदगी पूरी की पूरी बदल गई तो ऐसी घटना कोई ऐसा यादगार प्रसंग जो किसी महान व्यक्ति की जिंदगी से जुड़ा हो या आपकी जिंदगी से जुड़ा हो तो उस घटना या प्रसंग को नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर शेयर जरूर करिएगा।

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  • Motivational story in hindi for success-part 1

    Motivational story in hindi for success-part 1

    Motivational story in hindi for success   

    Story-1

    This motivational story in hindi for success can change your life so read it carefully…….

                     

    एक शाला में शिक्षक ने अपने विद्यार्थियों को एक बात सुनाई और बोले

    एक वक्त की बात है कि एक वक्त एक जहाज की दुर्घटना हो गई

     

    जहाज में पति-पत्नी सवार थे |

    पति पत्नी ने देखा के जहाज पर एक लाइफ बोट है उनमें एक ही व्यक्ति का समावेश हो सकता है|

     

    थोड़ी देर सोचने के बाद उस आदमी ने अपनी पत्नी को नीचे धक्का दे दिया और खुद लाइफ बोट पर जाकर बैठ गया|

     

    पत्नी जोर से कुछ बोली

     

    शिक्षक ने विद्यार्थियों से पूछा तुम अनुमान लगाओ कि वह जोर से क्या बोली होगी?

     

    बहुत से विद्यार्थियों ने कहा उसने कहा होगा तुम क्रूर हो मैंने तुमसे अंधा प्यार किया तुमने मुझे धोखा दिया

     

    सभी शिक्षक ने देखा कि एक विद्यार्थी चुपचाप बैठा है और कुछ सोच रहा है

     

    शिक्षक ने उसे बुलाया और कहा अब तुम  ही बताओ उसने चिल्लाकर क्या कहा होगा

     

    विद्यार्थी बोला उसने कहा होगा के हमारे बच्चों का ध्यान रखना

    अब शिक्षक को आश्चर्य हुआ और बोले तुमने यह बात कभी भी पहले सुनी है क्या?

     

    बच्चे ने थोड़ी देर सोच कर जवाब दिया नहीं

     

    लेकिन मेरी मां ने मरने के वक्त मेरे पिताजी को यही बात कही थी

    तेरा उत्तर बिल्कुल सही है।

     

    फिर जहाज डूब गया और वह आदमी अपने घर गया

     

    अपनी भोली भाली बच्ची का पालन पोषण कर उसकी परवरिश की

    कई साल के बाद उस आदमी की मौत हो गई तो उस लड़की को घर में से अपने पिता की एक डायरी मिली उसमें लिखा था कि

     

    जब वह जहाज पर गए तब से उन्हें पता था कि उसकी पत्नी को एक गंभीर बीमारी है और उसके बचने की संभावना ना के बराबर है

    बावजूद उसने उसको बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए

    इस उम्मीद से कि वह ठीक हो जाए लेकिन ऐसा हो ना सका और दुर्घटना हो गई

     

    वह भी उसके साथ समंदर की गहराइयों में मर जाना चाहता था

     

    लेकिन सिर्फ अपनी बच्ची के लिए भारी हृदयसे उसने पत्नी को समंदर में डूब जाने को अकेला ही छोड़ दिया।

     

    बात पूरी हो गई पूरे क्लास में सन्नाटा सा छा गया।

     

    शिक्षक समझ चुके थे कि विद्यार्थियों को कहानी पूरी तरह समझ में आ चुकी है

    Moral of story-

    संसार में अच्छा और बुरा दोनों है

     

    लेकिन दोनों को समझने में बहुत कठिनाई आती है

     

    क्योंकि यह सब परिस्थितियों पर आधारित है उसे समझने में थोड़ी कठिनाई आती है।

     

    अतः हमें जो दिखाई देता हो उस पर बिना सोचे हमें अपनी राय नहीं देनी चाहिए पहले बात को पूरी तरह समझ लेना जरूरी है

     

    अगर कोई अपना हाथ मदद के लिए आगे बढ़ाएं तो ऐसा नहीं कि वह उपकार कर रहा है लेकिन वह दोस्ती का मूल्य समझता है।

     

    कोई अपना काम पूरी निष्ठा से करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह डर कर करता है

    लेकिन मतलब यह है कि उसे परिश्रम का महत्व समझ में आता है और वह देश की उन्नति में अपना योगदान देता है|

     

    अगर कोई आपको किसी भी प्रकार की मदद करने को आतुर है तो उसका मतलब यह तो नहीं कि वह फालतू है

    और आपसे कुछ बदले की भावना है।

    इसका मतलब यह है कि वह अपना एक मित्र खोना नहीं चाहता।

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    Motivational story in hindi 

     inspirational hindi Story-2

    एक नगर में एक शांत औरत रहती थी। एक समय की बात है वह उसके पुत्र के साथ शाम को बाज़ार जा रही थी।

    उसी वक्त एक पागल महिला दोनों के सामने आ गई और उस लड़के की मां को भला बुरा कहने  लगी।

    उस औरत ने बहुत भला बुरा कहा लेकिन इस महिला की बातों का मां पर मानो कोई असर ही नही और वह मंद मंद मुस्कान के साथ आगे बढ़ी।

    पागल औरत अचंबित रह गई उसने सोचा इस पर तो कोई असर ही नहीं है।

    उसने और ज्यादा बुरा भला बोलने की ठान ली। अब वो पहले से ज्यादा उन्माद में क्रोधित होकर उसके पति और पूरे परिवार के लिए मन में जो आए वह कहने लगी।

    लड़की की मां बस सुनती गई। काफी देर तक यह तमाशा चला कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पागल औरत वहां से चलती बनी।

    जब वो चली गई तब बेटे ने अपनी मां को पूछा  मां उस औरत ने इतनी गालियां दी पिताजी और हमारे परिवार के लिए बुरी बातें कहीं और आप बस सुनती रही?

    वह बोलती रही और आप सुनती रही और मन मन मुस्कुराती भी रही क्या आपको उनकी बातों से जरा भी दुख नहीं हुआ?

    मां कुछ ना बोली सिर्फ बेटे को चुपचाप अपने साथ चलने को कहा। घर पर पहुंचने पर मैंने कहा तुम यहां ठहरो मैं अभी आई।

    थोड़ी देर के बाद मैं अपने रूम में से कुछ गंदे कपड़े ले आई और बेटे को बोले यह लो तुम अपने कपड़े बदल लो।

    बेटा बोला मां ये तो बहुत मैले  हैं। I इसमें तो बदबू आ रही है। बेटे ने उन कपड़ों को तिरस्कार से फेंक दिया।

    अब मां ने बेटे को बड़े प्यार से कहा कोई तुमसे बेमतलब भिड जाता है और कुछ भी बोल देता है

    तब उसके गंदे शब्दों का असर हमें अपने निर्मल मन पर कभी भी नहीं होने देना चाहिए।

    हम भी उसके साथ ऐसा बर्ताव करेंगे तो हमने और उन में फर्क ही क्या रह गया?

    किसी की फेंकी हुई गंदगी को अपने मन में बसा के हम अपना मन क्यों खराब करें? और जिसके शब्दों का कोई मूल्य ही नहीं है उसके पीछे हम अपना कीमती समय क्यों बर्बाद करें?

     

     

    Inspirational short stories about life in hindi-part 2

     

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     inspiring hindi Story-3

    एक समय की बात है। एक महाराजा ने गांव के विद्वानों की एक सभा बुलाई और उनसे सवाल किया।

    मेरे जन्माक्षर के मुताबिक मेरे नसीब में राजा बनने का लिखा था परंतु उसी समय अनेक लोगों ने जन्म लिया तो वे राजा क्यों नहीं बन सके? मैं समझना चाहता हूं।

    इस सवाल का किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

    वहां पर एक बूढ़ा आदमी खड़ा हुआ और उसने कहा महाराज एक काम कीजिए यहां से एक घनघोर जंगल में आपको एक संत पुरुष मिलेंगे वह आपके सवाल का बिल्कुल सही जवाब दे सकते हैं।

    राजा बहुत जल्दी से घनघोर जंगल में पहुंचा वहां पहुंच कर उसने देखा कि एक सिद्ध पुरुष वहां अंगार खा रहे थे।

    राजा के प्रश्न पूछने पर उसने क्रोध से कहा तेरे सवाल का जवाब आगे इन पर्वतों के पीछे कई सालों से एक् संत पुरुष रहते हैं वह बदला सकते हैं।

    राजा की सवाल का जवाब जानने की उत्तेजना बढ़ गई कई कठिन मार्गो को पार करके राजा वे संत  पुरुष के पास पहुंचा।

    वहां का दृश्य देखकर राजा की आंखें फटी की फटी रह गई। वे संत अपने शरीर के मांस को  चिमटे से नोच नोच कर खा रहे थे।

    राजा के  सवाल पूछने पर संत ने क्रोधित होते हुए कहा मैं भूख से आकुल व्याकुल हूं मेरे पास वक्त नहीं है।

    आगे गांव में एक बच्चे का जन्म होने वाला है और वह बच्चा थोड़ी ही देर जीवित रहेगा वह बच्चा तेरे सवाल का जवाब दे सकता है।

    अब राजा बहुत उलझन में पड़ गया।

    बड़ी कमाल की घटना उसके साथ घट रही थी। राजा फिर से कठिनाइयों को पार करके सामने वाले गांव जा पहुंचा।

    बच्चे के जन्म के साथ ही उन्होंने उस बच्चे को राजा के हाथों में थमा दिया।

    राजा के सामने बच्चा खिलखिला कर हंस ने लगा और उसने कहा राजा समय तो मेरे पास भी नहीं है लेकिन अपने सवाल का जवाब सुन लो-

    आप मैं और दोनों संत पुरुष सात जन्म पहले चारों भाई राजकुमार थे।

    एक बार एक जंगल में शिकार करने के लिए हम 3 दिन तक बिना खाए पिए भटकते रहे। अचानक हम चारों को आटे की एक पोटली मिली।

    हम सब ने मिलकर उसकी चार रोटी सेकी और अपनी अपनी रोटी खाने बैठ गए। अभी खाना शुरू ही किया था कि भूख प्यास से आकुल व्याकुल एक् संत पुरुष वहा पर आए।

    अंगार खाने वाले से  उसने कहा। बच्चा मैंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया अपनी रोटी मुझे दे दे मुझ पर रहम कर।

    अब भूख मुझसे सही नहीं जाती मैं भूख के मारे मर जाऊंगा। इतना सुनते ही उसको क्रोध आ गया और उसने कहा मैं तुम्हें क्यों दूं भला मुझे भी जोरों की भूख लगी है। चल फुट यहां से…..

    फिर वह संत पुरुष मांस खाने वाले भैया के पास गए और उन से विनती की लेकिन उसने भी संत पुरुष का अपमान किया और कह दिया कि-

    बड़ी कठिनाई से मिली यह रोटी मैं तुम्हें क्यों दूं फिर क्या मैं अपने शरीर का मांस नोच कर खाऊंगा?

    भूख से तड़पते संत पुरुष मेरे पास आए और मुझसे रोटी मांगी किंतु मैंने भी निर्दयी होकर बोल दिया निकलो यहां से मैं क्या भूखा मरु?

    अब उनकी अंतिम आशा आप थे राजा। आपके पास आकर वे गिड़गिड़ाए। आपको उस पर तरस आ गया और आपने अपनी रोटी में से आधी रोटी उन संत पुरुष को दे दी।

    रोटी पाकर संत प्रसन्न हुए और उसने कहा। तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कर्म के अनुसार लिखा जाएगा।

    बच्चे ने कहा इस प्रकार हम सब लोग अपने अपने कर्मों का फल भोग रहे है। इतना कहते ही बच्चा मर गया।

    Moral: जैसी करनी वैसी भरनी। हमें अपने अच्छे कर्मों का अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्मों का बुरा।

    पासवर्ड यदि गलत हो तो कुछ भी नहीं खुलता तो सोचो हमारे गलत कर्मों से स्वर्ग के दरवाजे हमारे लिए कैसे खुलेंग?

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    inspiring stories in hindi for success-part 3

     best motivational hindi Story-4

    एक विद्यार्थी को कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता नसीब नहीं हुई।

    वह हिम्मत हार गया, उम्मीद की कोई किरण उनके जीवन में नहीं रही, बुरे ख्यालों से वह बेचैन हो गया। जब कोई उपाय न सूजा तो उसने सुसाइड करने का निश्चय किया।

    जब वे  एक जंगल में गया और सुसाइड का प्रयत्न कर रहा था तभी अचानक एक महात्मा ने उसे देखा।

    महात्मा ने कहा बालक ऐसी भी क्या बात है और तुम यहां इस जंगल में अकेले?

    तब उसने कहा मैं अपनी जिंदगी में कड़ी मेहनत कर चुका हूं लेकिन उसका कोई परिणाम ना मिलने से मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं ,अब मेरे जीने की कोई वजह नहीं।

    महात्मा ने उनसे सवाल किया कितने समय से तुम कड़ी मेहनत कर रहे हो?

    विद्यार्थी बोला करीब 2 साल बीत चुके है, मैं परीक्षा में असफल हुआ हूं,

    और मुझे कहीं जॉब भी नहीं मिल रही,

    महात्मा हस पड़े- अरे बेटे तुम्हे सब कुछ मिल जाएगा। थोड़ी और मेहनत करो बस कुछ ही दिन…..

    विद्यार्थी ने कहा- मैं किसी के लायक नहीं हूं। मुजसे क्या होगा?

    जब महात्मा ने गौर किया कि विद्यार्थी बिल्कुल नासीपास हो गया है तो उन्होंने कहा-

    एक समय की बात है भगवान ने 2 पौधे लगाए,

    एक पौधा बांस का और दूसरा furn का ।

    Furn वाला पौधा जल्दी से बड़ा हो गया लेकिन बांस का पौधा ज्यों का त्यों रहा।

    भगवान हिम्मत नहीं हारे। दूसरा साल भी ऐसे ही बिता।Furn

    का पौधा बहुत बड़ा हो गया। फिर भी भगवान हिम्मत नहीं हारे।

    थोड़े दिन बीत जाने पर बांस के पौधे में अंकुर फूटे और बांस का पेड़ आसमान छूने लगा।

    बांस के पेड़ को अपनी जड़े ज्यादा ताकतवर करने में थोड़े साल लग गए।

    महात्मा ने विद्यार्थी से कहा- यह आपका कड़ी मेहनत का समय, अपनी जड़े मजबूत करने के लिए है।

    आप इस समय को अमूल्य समझे। जैसे ही आप की जड़े मजबूत हो जाएगी आप आसमान को छूने लगोगे।

    बांस  ने अपनी तुलना furn से नहीं की। क्योंकि बांस को मालूम है

    की फर्न की जड़े बहुत कमजोर होती है। जरा सा तूफान आने पर उखड़ जाएगी। लेकिन अपनी जड़े इतनी मजबूत है कि बड़ा सा बड़ा तूफ़ान भी उसे डगमगा नहीं सकता।

    इसलिए विद्यार्थियों जीवन में कभी भी संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए। कड़ी से कड़ी मेहनत करके अपनी जड़ों को इतना स्ट्रांग बना ले के बड़े से बड़ा तूफान आपके फौलादी इरादों को कभी भी कमजोर ना कर सके।

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    inspirational stories in hindi for success-part 5

     



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